बुजुर्गों में आम स्पाइनल समस्याएं
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डॉक्टर विनीश माथुर मेदांता हॉस्पिटल, गुरुग्राम में स्पाइन सर्विसेज के डायरेक्टर हैं। उन्होंने रीढ़ की हड्डी और उम्र के संबंध पर विस्तार से चर्चा की है। उनके अनुसार, ज्यादातर लोग कहते हैं कि रीढ़ की हड्डी की समस्याएं उम्र बढ़ने के साथ अधिक आम हो जाती हैं। यह एक वास्तविकता है, और इसका कारण शरीर की एजिंग प्रक्रिया और स्पाइन की संरचना में निहित है।
डॉ. माथुर बताते हैं कि उम्र बढ़ने के साथ रीढ़ की हड्डी की समस्याएं आम हो जाती हैं, और बुजुर्गों में स्पाइनल समस्याएं अक्सर उनके जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करती हैं। रीढ़ की हड्डी से जुड़ी बुजुर्गों की समस्याएं उनके दैनिक जीवन को कठिन बना देती हैं, और इन समस्याओं को समझना महत्वपूर्ण है।
डॉ. माथुर ने समझाया कि रीढ़ की हड्डी में 24 हड्डियां होती हैं, जिन्हें कशेरुकाएं (वर्टेब्रे) कहा जाता है। ये सभी 24 हड्डियां एक लाइन में जुड़ी होती हैं। इनके बीच में जोड़ होते हैं, जिन्हें डिस्क कहते हैं, और पीछे की ओर फॉसेट जोड़ होते हैं। यह संरचना अत्यंत लचीली, संतुलित और गतिशील है, जो शरीर को किसी भी आकार में मुड़ने की अनुमति देती है।
उनके अनुसार, रीढ़ की हड्डी में 100 से अधिक जोड़ होते हैं, और ये सभी गतिशील जोड़ हैं। समय के साथ, इन जोड़ों में आर्थराइटिस विकसित होता है, डिस्क खराब हो जाती हैं, और जोड़ थोड़े घिस जाते हैं। इससे अतिरिक्त हड्डी का निर्माण होता है, जिसे लोग आमतौर पर “हड्डी बढ़ना” कहते हैं। ये जोड़ दर्दनाक आर्थराइटिस का कारण बनते हैं।
डॉ. माथुर बताते हैं कि आर्थराइटिस के विभिन्न रूप होते हैं। कुछ ऑस्टियोआर्थराइटिस होते हैं, जहां केवल जोड़ों की समस्या होती है। जब तंत्रिकाएं प्रभावित होती हैं, तो लंबर कैनाल स्टेनोसिस का निदान किया जाता है। जब डिस्क अधिक खराब हो जाती हैं या फट जाती हैं, तो डिजनरेटिव डिस्क डिजीज की समस्या उत्पन्न होती है।
उन्होंने यह भी बताया कि उम्र बढ़ने के साथ डिजनरेटिव डिस्क डिजीज की संभावना बढ़ जाती है, और बुजुर्गों में लंबर कैनाल स्टेनोसिस एक आम समस्या है। ऑस्टियोआर्थराइटिस में केवल जोड़ों की समस्या होती है, और उम्र बढ़ने के साथ इसका खतरा भी बढ़ जाता है।
डॉ. माथुर ने एक महत्वपूर्ण बात पर प्रकाश डाला है कि कैंसर, संक्रमण, मधुमेह से जुड़े संक्रमण, और कम प्रतिरक्षा - ये सभी समस्याएं भी उम्र के साथ बढ़ती जाती हैं और अधिक आम हो जाती हैं।
उनके अनुसार, रीढ़ की हड्डी कैंसर के फैलने के लिए एक पसंदीदा और अधिमान्य स्थान है। इसलिए, कई ट्यूमर पहली बार रीढ़ की हड्डी में ही पाए जाते हैं। इसके अलावा, पुरानी पीढ़ी के लोग अक्सर टीबी (ट्यूबरकुलोसिस) के संपर्क में रहे होते हैं, जिससे रीढ़ की हड्डी में टीबी का पुनर्सक्रियण हो सकता है। मधुमेह के रोगियों में प्रतिरक्षा कम होती है, जिससे उनमें संक्रमण होने की संभावना बढ़ जाती है।
डॉ. माथुर ने स्पष्ट किया कि इन सभी कारणों से, उम्र बढ़ने के साथ पीठ दर्द और रीढ़ की हड्डी की समस्याओं की संख्या बढ़ जाती है।
डॉ. माथुर के अनुसार, उम्र बढ़ने के साथ, कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए:
छह हफ्ते से अधिक समय तक रहने वाला पीठ दर्द: यदि पीठ दर्द छह हफ्ते से अधिक समय तक रहता है, तो यह चिंता का विषय हो सकता है।
पीठ दर्द के साथ तंत्रिका का दर्द: यदि पीठ दर्द के साथ तंत्रिका दर्द (जिसे साइटिका कहते हैं) भी होता है, तो यह अधिक गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है।
बुखार या वजन घटना: यदि पीठ दर्द के साथ बुखार होता है या बिना किसी कारण के वजन कम होता है, तो ये लक्षण इंगित करते हैं कि दर्द सामान्य डिजनरेटिव दर्द से थोड़ा अलग हो सकता है।
डॉ. माथुर ने इन लक्षणों के मामले में तुरंत चिकित्सा सहायता लेने और जांच कराने की सलाह दी है।
डॉ. विनीश माथुर के अनुसार, बुजुर्गों में स्पाइनल समस्याएं आम हैं और उम्र बढ़ने के साथ इनकी संभावना बढ़ जाती है। रीढ़ की हड्डी की संरचना और कार्यप्रणाली को समझना, और उम्र के साथ होने वाले परिवर्तनों को जानना महत्वपूर्ण है। यदि कोई व्यक्ति या उनके परिवार के बुजुर्ग सदस्य को लंबे समय तक पीठ दर्द, तंत्रिका दर्द, बुखार या बिना कारण वजन घटने जैसे लक्षण हों, तो तुरंत चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए।
डॉ. माथुर यह भी बताते हैं कि समय पर निदान और उचित उपचार से इन समस्याओं को प्रबंधित किया जा सकता है और जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सकता है।
क्या उम्र बढ़ने पर रीढ़ की हड्डी की समस्याएं सामान्य हैं?
उम्र बढ़ने के साथ रीढ़ की हड्डी में कई प्राकृतिक बदलाव आते हैं जैसे जोड़ों में आर्थराइटिस, डिस्क का घिसना, और हड्डियों का बढ़ना। ये सभी बुजुर्गों में पीठ दर्द और अन्य रीढ़ की हड्डी संबंधी समस्याओं का कारण बनते हैं।
क्या रीढ़ की समस्याएं सिर्फ हड्डियों से जुड़ी होती हैं?
नहीं, रीढ़ की हड्डी से निकलने वाली नसों पर भी असर पड़ सकता है। इससे तंत्रिका दर्द, सुन्नता, या साइटिका जैसे लक्षण हो सकते हैं।
क्या हर स्पाइनल समस्या का ऑपरेशन ज़रूरी होता है?
नहीं, कई स्पाइनल समस्याएं दवाओं, फिजियोथेरेपी और जीवनशैली में बदलाव से ठीक हो सकती हैं। डॉक्टर सर्जरी की सलाह तब दी जाती है जब लक्षण बहुत गंभीर हों या नसों पर दबाव ज्यादा हो।
रीढ़ की हड्डी स्वस्थ रखने के लिए क्या उपाय करने क्या करें?
नियमित टहलना और हल्का व्यायाम
संतुलित आहार (कैल्शियम और विटामिन D से भरपूर)
बैठने और खड़े होने की सही मुद्रा
वजन नियंत्रित रखें
समय पर मेडिकल चेकअप कराएं