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मोटापा - एक दीर्घकालिक बीमारी या जीवनशैली की समस्या?

मोटापा: एक बढ़ती हुई स्वास्थ्य समस्या

मोटापा भारत समेत दुनिया के विभिन्न देशों में एक बढ़ती हुई स्वास्थ्य समस्या का विषय है। यह सभी आयु वर्ग और पृष्ठभूमि के व्यक्तियों को प्रभावित करता है। इसे शरीर में अतिरिक्त चर्बी के रूप में परिभाषित किया जाता है और आमतौर पर इसे बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) द्वारा मापा जाता है। मोटापा सिर्फ कॉस्मेटिक चिंता नहीं है, बल्कि एक पुरानी समस्या है जिसका इलाज न किए जाने पर गंभीर स्वास्थ्य परिणाम हो सकते हैं। इस ब्लॉग में, हम मोटापे के कारणों, यह जीवनशैली की समस्या है या अपने आप में कोई बीमारी है, और इससे जुड़े जोखिमों का पता लगाएंगे।


मोटापा क्या है?

मोटापा एक ऐसी स्वास्थ्य स्थिति है जिसमें मानव शरीर में अत्यधिक मात्रा में चर्बी जमा हो जाती है। इसे आमतौर पर बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) द्वारा मापा जाता है, जिसे किसी व्यक्ति के वजन को किलोग्राम में उसकी ऊंचाई के वर्ग मीटर से विभाजित करके गणना की जाती है। 25 या उससे अधिक बीएमआई वाले अधिक वजन के माने जाते हैं, जबकि 30 या उससे अधिक का बीएमआई मोटापे की श्रेणी में आता है। मोटापा एक दीर्घकालिक बीमारी है जो अगर अनुपचारित छोड़ दी जाए तो गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है।


मोटापे के कारण

मोटापा विभिन्न कारकों के कारण हो सकता है, जिनमें आनुवंशिकता, जीवनशैली में बदलाव, हार्मोनल समस्याएँ और कुछ दवाएँ शामिल हैं।

  • आनुवांशिकता: मोटापा परिवारों में चल सकता है, और शोध बताते हैं कि आनुवंशिक कारक इस बीमारी के उत्पन्न होने में भूमिका निभा सकते हैं। अध्ययनों से पता चला है कि मोटापे के पारिवारिक इतिहास वाले लोगों में स्वयं इस स्थिति के विकसित होने का अधिक जोखिम होता है।
  • जीवनशैली में परिवर्तन: एक गतिहीन जीवनशैली और खराब आहार आदतें वजन बढ़ाने और मोटापे के विकास में योगदान कर सकती हैं। बहुत से लोग जरूरत से ज्यादा कैलोरी का सेवन करते हैं, और उन्हें जलाने के लिए पर्याप्त शारीरिक गतिविधि नहीं करते हैं।
  • हार्मोनल समस्याएँ: हार्मोनल असंतुलन भी मोटापे के विकास में योगदान कर सकता है। उदाहरण के लिए, हाइपोथायरायडिज्म (अंडरएक्टिव थायराइड ग्रंथि) वाले लोगों में जीवनशैली में बदलाव करने के बावजूद भी वजन कम करने में दिक़्क़त हो सकती है। इसके अतिरिक्त, पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) से ग्रस्त लोगों को अक्सर वजन कम करने में कठिनाई होती है और उन्हें मोटापे का खतरा अधिक होता है।
  • दवाएँ: कुछ दवाएँ वजन बढ़ा सकती हैं, जैसे कुछ एंटीडिप्रेसेंट और एंटी-सीजर दवाएँ। आप जो भी दवा ले रहे हैं, उसके संभावित दुष्प्रभावों के बारे में अपने डॉक्टर से बात करना अहम है।


क्या मोटापा सिर्फ एक जीवनशैली की समस्या है या यह अपने आप में एक बीमारी है?

मोटापा एक जटिल बीमारी है जो कई कारकों के संयोजन से होती है, जिसमें आनुवंशिकी, जीवनशैली और हार्मोनल असंतुलन शामिल हैं। हालांकि मोटापे के इलाज में डाइट और व्यायाम जैसे जीवनशैली में बदलाव प्रभावी हो सकते हैं, यह केवल इच्छाशक्ति या व्यक्तिगत जिम्मेदारी का मामला नहीं है। मोटापा एक दीर्घकालिक बीमारी है जिसके लिए चिकित्सीय देखभाल और निरंतर नियंत्रण की आवश्यकता होती है।


मोटापे के जोखिम

मोटापा शरीर पर सिर से लेकर पैर तक व्यापक नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। अधिक वजन वाले लोगों से जुड़ी कुछ सबसे आम स्वास्थ्य समस्याओं में शामिल हैं:

  • उच्च रक्तचाप: मोटापा रक्तचाप में वृद्धि का कारण बन सकता है, जो व्यक्ति को हृदय रोग और स्ट्रोक के खतरे में डाल सकता है।
  • उच्च कोलेस्ट्रॉल: मोटापा कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा सकता है, जिससे व्यक्ति को हृदय रोग का खतरा हो सकता है।
  • मधुमेह: लोगों में टाइप 2 मधुमेह का एक प्रमुख जोखिम कारक अधिक वजन होता है, जो अगर अनुपचारित छोड़ दिया जाए तो गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ पैदा कर सकता है।
  • मेटाबॉलिक सिंड्रोम: उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल और मधुमेह सहित एक साथ होने वाली स्थितियों के समूह को मेटाबॉलिक सिंड्रोम के रूप में जाना जाता है। यह सिंड्रोम फैटी लीवर रोग, स्ट्रोक और दिल का दौरा पड़ने के बढ़ते जोखिम और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।
  • मोटापे के खतरे भारतीयों और एशियाई लोगों के लिए अधिक गंभीर: भारतीयों और एशियाई व्यक्तियों में मोटापे से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा अधिक होता है, खासकर अगर उनका वजन 15-20 किलो बढ़ गया है। यह उनके विशिष्ट आनुवंशिक बनावट और सांस्कृतिक कारकों के कारण है जो वजन बढ़ाने में योगदान कर सकते हैं, जैसे कि कार्बोहाइड्रेट से भरपूर आहार।
  • महिलाओं में बांझपन और पीसीओएस की समस्या: मोटापा महिलाओं में बांझपन और पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) का कारण भी बन सकता है। पीसीओएस एक ऐसी स्थिति है जो महिलाओं के अंडाशय को प्रभावित करती है और यह अनियमित मासिक धर्म, गर्भवती होने में कठिनाई और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है।
  • मोटापा कैंसर का खतरा बढ़ाता है: मोटापा के कारण कई तरह के कैंसर होने का खतरा बढ़ सकता है, जिसमें स्तन कैंसर, कोलन कैंसर और एंडोमेट्रियल कैंसर शामिल हैं। अधिक वजन या मोटापा कैंसर का पता लगाना और उसका इलाज भी मुश्किल बना सकता है।
  • मोटापा जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है: मोटापा किसी व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता पर भी महत्वपूर्ण असर डाल सकता है। अतिरिक्त वजन से जोड़ों में दर्द शुरू हो सकता है, खासकर कूल्हों, घुटनों और टखनों में। इससे लोगों के लिए शारीरिक गतिविधियाँ करना मुश्किल हो सकता है, जो उनकी वजन-संबंधी समस्याएँ और बढ़ सकती हैं। इसके अतिरिक्त, मोटापा आत्म-सम्मान और आत्मविश्वास की कमी का कारण भी बनता है, जो किसी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डालता है।
  • बचपन का मोटापा: कम उम्र में मधुमेह विकसित करने वाले युवाओं को अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए और जितनी जल्दी हो सके मोटापे से संबंधित समस्या का समाधान करना चाहिए। अधिक वजन होना टाइप 2 मधुमेह का एक प्रमुख जोखिम कारक है, और मोटे युवाओं में जटिलताओं का खतरा अधिक होता है। उन्हें अपना वजन कम करने और अपने समग्र स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए।


मोटापा कैसे प्रबंधित करें?

मोटापा प्रबंधन एक जटिल प्रक्रिया है जिसके लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की ज़रूरत होती है। मोटापा प्रबंधन के लिए कई विकल्प उपलब्ध हैं, जिनमें जीवनशैली में बदलाव, दवाएँ और सर्जरी शामिल हैं।

जीवनशैली में बदलाव:

मोटापा प्रबंधन की आधारशिला जीवनशैली में बदलाव है। इसमें स्वस्थ आहार और नियमित शारीरिक गतिविधि करना शामिल है। एक स्वस्थ आहार में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा का संतुलित भाग होना चाहिए और इसमें चीनी, संतृप्त वसा और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ की मात्रा कम होनी चाहिए। भारतीय आहार में अक्सर कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार के सेवन पर जोर दिया जाता है, जो वजन बढ़ाने में एक अहम भूमिका निभाता है। अतः वजन कम करने के लिए कार्बोहाइड्रेट का सेवन कम करना और आहार में अधिक प्रोटीन शामिल करना महत्वपूर्ण है। इसमें मछली, पोल्ट्री, और दुबला मांस जैसे खाद्य पदार्थ शामिल हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त, मिठाई, नमकीन और चावल, रोटी जैसे उच्च कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों को कम खाने से कैलोरी का सेवन कम करने में मदद मिलती है।

नियमित शारीरिक गतिविधि कैलोरी जलाने और समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करती है। प्रत्येक व्यक्ति को प्रति सप्ताह कम से कम 150 मिनट मध्यम एरोबिक व्यायाम या 75 मिनट भारी एरोबिक व्यायाम करना चाहिए। नियमित रूप से 30 मिनट की तेज गति से चलना भी असरदार साबित होता है। यह बचपन के मोटापे के लिए भी काम करता है।

दवाएँ:

जीवनशैली में बदलाव के साथ-साथ दवाओं का उपयोग मोटापा प्रबंधन में सहायक होता है। कई ऐसी दवाएँ हैं जिन्हें FDA द्वारा मोटापा के इलाज के लिए स्वीकृति मिली हैं, जिनमें ऑर्लिस्टैट, लोर्कासेरिन और फेंटरमाइन-टोपिरामेट शामिल हैं। ये दवाएं भूख को कम करके या तृप्ति की भावना बढ़ाकर काम करती हैं। यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि दवाओं का उपयोग जीवनशैली में बदलाव के स्थान में नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि उनके पूरक के रूप में किया जाना चाहिए।

सर्जरी:

गंभीर मोटापे से ग्रस्त उन लोगों के लिए सर्जरी एक कारगर उपचार विकल्प है जो जीवनशैली में बदलाव और दवाओं के माध्यम से वजन कम करने में असमर्थ रहे हैं। सर्जरी एक गंभीर निर्णय होता है और केवल वजन घटाने के विशेषज्ञ द्वारा गहन मूल्यांकन के बाद ही इस पर विचार किया जाना चाहिए।

This blog is a Hindi version of an English-written Blog - OBESITY - A Chronic Disease or a Lifestyle Problem?

Medanta Medical Team
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