स्तन कैंसर सर्जरी के प्रकारों के बारे में जानें

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स्तन कैंसर का निदान होना किसी भी महिला के लिए एक गंभीर चिंता का विषय होता है। हालांकि, आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में हुई प्रगति के कारण, स्तन कैंसर के उपचार के लिए अब कई प्रकार की सर्जिकल विधियां उपलब्ध हैं। मेदांता गुरुग्राम की डॉ. कंचन कौर इन विभिन्न सर्जिकल विकल्पों पर प्रकाश डालती हैं, जिनसे मरीजों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार आया है।
स्तन संरक्षण सर्जरी
डॉ. कंचन कौर के अनुसार, अगर मरीज समय पर डॉक्टर के पास आता है, जब कैंसर का आकार छोटा होता है, तो पूरे स्तन को निकालने की आवश्यकता नहीं होती। कई मरीजों के मन में यह डर होता है कि अगर स्तन को बचाया जाए तो कैंसर के वापस आने का खतरा अधिक होगा। लेकिन यह समझना बहुत जरूरी है कि आधुनिक तकनीकों के साथ, अगर समय पर कैंसर का पता लगाकर उसका सही तरीके से व्यापक स्थानीय उत्सर्जन (वाइड लोकल एक्सीजन) किया जाए - यानी कैंसर और उसके आसपास के थोड़े स्वस्थ स्तन ऊतक को निकाला जाए, और फिर उस स्तन को रेडियोथेरेपी दी जाए, तो कैंसर के वापस आने का खतरा अधिक नहीं होता।
डॉ. कौर स्पष्ट करती हैं कि जितना सुरक्षित पूरे स्तन को निकालना है, उतना ही सुरक्षित स्तन को बचाना भी है। इसके लिए डॉक्टर को स्तन की अच्छी तरह से जांच करनी होती है - मैमोग्राम, अल्ट्रासाउंड और कई बार एमआरआई के माध्यम से, यह सुनिश्चित करने के लिए कि केवल एक ही छोटा कैंसर है जिसे आसानी से निकाला जा सकता है और बचे हुए स्तन को सामान्य आकार दिया जा सकता है।
लिम्फ नोड प्रक्रियाएं
जब स्तन कैंसर की सर्जरी की जाती है, तो उपचार का एक हिस्सा स्तन से संबंधित होता है - क्या स्तन को बचाया जाए या निकाला जाए। दूसरा महत्वपूर्ण हिस्सा बगल में स्थित लिम्फ नोड या बगल की गांठों से संबंधित होता है।
डॉ. कौर बताती हैं कि पहले के समय में, जब पूरा स्तन निकाला जाता था, तब साथ ही बगल की सभी गांठों को भी निकाल दिया जाता था, जिसे एक्सिलरी क्लीयरेंस कहते हैं। इसके कई दुष्प्रभाव हो सकते हैं - बाजू में सूजन आना, संक्रमण का खतरा बढ़ना, और उस तरफ के कंधे में दर्द रहना।
लेकिन आधुनिक तकनीकों के साथ, अब डॉक्टर केवल कुछ लिम्फ नोड को निकालकर जांच करते हैं - एक प्रक्रिया जिसे सेंटिनल लिम्फ नोड बायोप्सी कहते हैं। अगर प्रारंभिक जांच में डॉक्टर को लगता है कि कैंसर बगल तक नहीं फैला है, तो ऑपरेशन के समय विशेष डाई और मशीनों का उपयोग करके केवल कुछ छोटे लिम्फ नोड निकाले जाते हैं। अगर इन नोड्स में कैंसर नहीं पाया जाता, तो बाकी के लिम्फ नोड्स को निकालने की आवश्यकता नहीं होती, जिससे मरीज बगल की गांठों को सुरक्षित रख सकती है और लिम्फ नोड्स को निकालने के दुष्प्रभावों से बच सकती है।
पूरा स्तन निकालना और पुनर्निर्माण
डॉ. कंचन कौर बताती हैं कि कई मामलों में, पूरा स्तन निकालना (टोटल ब्रेस्ट रिमूवल) आवश्यक होता है, जिसमें पूरे स्तन को निकालकर उस क्षेत्र को समतल कर दिया जाता है। यह प्रक्रिया महिलाओं के लिए मनोवैज्ञानिक रूप से बहुत कष्टदायक हो सकती है, क्योंकि इससे उनकी स्त्रीत्व प्रभावित होता है, जिससे शर्म और अवसाद की भावना पैदा हो सकती है।
इसलिए, डॉक्टर हमेशा मरीज के साथ स्तन पुनर्निर्माण (ब्रेस्ट रिकंस्ट्रक्शन) के विकल्पों पर चर्चा करते हैं। कई मरीजों में, स्तन की त्वचा और निपल को बचाया जा सकता है और केवल अंदर के स्तन ऊतक को निकालकर, नए स्तन से भरा जा सकता है। यह नया स्तन सिलिकॉन जैसे बाहरी पदार्थ से या शरीर के अन्य अंगों से, जैसे पीठ की मांसपेशियां या पेट की वसा से बनाया जा सकता है।
इस प्रकार की सर्जरी को स्किन एंड निपल स्पेयरिंग मस्टेक्टमी विद रिकंस्ट्रक्शन कहते हैं। कुछ महिलाओं में, स्तन की त्वचा और निपल को बचाना संभव नहीं होता। ऐसे मामलों में भी, पुनर्निर्माण के लिए उपयोग किए जाने वाले क्षेत्र से त्वचा लाकर, स्तन को नया आकार दिया जा सकता है। इन महिलाओं में, निप्पल भी नए से बनाई जा सकती है और टैटू के माध्यम से स्तन को सामान्य आकार दिया जा सकता है।
ऑन्कोप्लास्टिक ब्रेस्ट सर्जरी
डॉ. कौर बताती हैं कि कुछ ऐसे मामले भी होते हैं जहां मरीज न तो पूरे स्तन के निकालने के लिए उपयुक्त होता है और न ही गांठ इतनी छोटी होती है कि आत्मविश्वास के साथ केवल गांठ को निकाला जा सके। ऐसे मामलों में, ऑन्कोप्लास्टिक ब्रेस्ट सर्जरी की जाती है।
इस प्रक्रिया में, प्लास्टिक सर्जिकल तकनीकों का उपयोग साथ-साथ करके स्तन को फिर से आकार दिया जाता है। डॉक्टर केवल गांठ को निकालते हैं, लेकिन अगर अधिक ऊतक निकाला जाता है, तो आसपास की वसा, त्वचा और मांसपेशियों को स्थानांतरित करके स्तन को नया आकार और रूप दिया जाता है।
रेडियोथेरेपी की आवश्यकता
डॉ. कंचन कौर इस बात पर जोर देती हैं कि अगर स्तन बचाने वाली सर्जरी की जाती है, तो उसके बाद रेडियोथेरेपी आवश्यक है। वहीं, कुल स्तन निकालने के बाद रेडियोथेरेपी केवल तभी आवश्यक होती है जब कैंसर का आकार बहुत बड़ा हो या कैंसर लिम्फ नोड्स तक पहुंच गया हो।
निष्कर्ष
डॉ. कौर के अनुसार, स्तन कैंसर का इलाज ऑन्कोलॉजिकल रूप से सुरक्षित होना बहुत जरूरी है। साथ ही, मरीज को मनोवैज्ञानिक रूप से संभालकर उसे सर्वोत्तम आकार देना भी चिकित्सकों की जिम्मेदारी है। मरीजों को अपने डॉक्टर के साथ सभी उपलब्ध विकल्पों पर चर्चा करनी चाहिए ताकि उनके लिए सबसे उपयुक्त उपचार चुना जा सके।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या स्तन बचाने वाली सर्जरी के बाद कैंसर के वापस आने का खतरा अधिक होता है?
नहीं, आधुनिक तकनीकों के साथ, अगर समय पर कैंसर का पता लगाकर उसका सही तरीके से व्यापक स्थानीय उत्सर्जन किया जाए और फिर रेडियोथेरेपी दी जाए, तो कैंसर के वापस आने का खतरा अधिक नहीं होता। यह पूरे स्तन को निकालने के समान ही सुरक्षित है।
स्तन बचाने वाली सर्जरी किनके लिए उपयुक्त है?
वे मरीज जिन्हें समय पर डॉक्टर के पास आने पर छोटे आकार का कैंसर पाया जाता है, वे स्तन बचाने वाली सर्जरी के लिए उपयुक्त हो सकते हैं। इसके लिए डॉक्टर मैमोग्राम, अल्ट्रासाउंड और कभी-कभी एमआरआई के माध्यम से स्तन की विस्तृत जांच करते हैं।
सेंटिनल लिम्फ नोड बायोप्सी क्या है?
यह एक प्रक्रिया है जिसमें विशेष डाई और मशीनों का उपयोग करके केवल कुछ महत्वपूर्ण लिम्फ नोड को निकालकर जांच की जाती है, यह देखने के लिए कि क्या कैंसर बगल तक पहुंचा है। अगर इन नोड्स में कैंसर नहीं पाया जाता, तो बाकी के लिम्फ नोड्स को निकालने की आवश्यकता नहीं होती।
एक्सिलरी क्लीयरेंस के क्या संभावित दुष्प्रभाव हैं?
एक्सिलरी क्लीयरेंस (बगल की सभी गांठों को निकालना) के दुष्प्रभावों में बाजू में सूजन आना, संक्रमण का खतरा बढ़ना, और उस तरफ के कंधे में दर्द होना शामिल हैं।
स्तन पुनर्निर्माण के क्या विकल्प हैं?
स्तन पुनर्निर्माण सिलिकॉन जैसे बाहरी पदार्थ से या शरीर के अन्य अंगों से, जैसे पीठ की मांसपेशियां या पेट की वसा से किया जा सकता है। कई मामलों में, स्तन की त्वचा और निपल को बचाया जा सकता है, अन्यथा, निप्पल नई बनाई जा सकती है और टैटू के माध्यम से स्तन को सामान्य रूप दिया जा सकता है।
क्या स्तन की सर्जरी के बाद रेडियोथेरेपी हमेशा आवश्यक होती है?
स्तन बचाने वाली सर्जरी के बाद रेडियोथेरेपी आवश्यक होती है। कुल स्तन निकालने के बाद, रेडियोथेरेपी केवल तभी आवश्यक होती है जब कैंसर का आकार बहुत बड़ा हो या कैंसर लिम्फ नोड्स तक पहुंच गया हो।
कुल स्तन निकालने के क्या मनोवैज्ञानिक प्रभाव हो सकते हैं?
कुल स्तन निकालना महिलाओं के लिए मनोवैज्ञानिक रूप से कष्टदायक हो सकता है, क्योंकि इससे उनकी स्त्रीत्व प्रभावित हो सकती है, जिससे शर्म और अवसाद की भावना पैदा हो सकती है। इसलिए, स्तन पुनर्निर्माण विकल्प पर चर्चा करना महत्वपूर्ण है।
क्या हर स्तन कैंसर मरीज के लिए कुल स्तन निकालना आवश्यक है?
नहीं, हर मरीज के लिए कुल स्तन निकालना आवश्यक नहीं है। आधुनिक तकनीकों के साथ, कई मरीजों में स्तन बचाने वाली सर्जरी या ऑन्कोप्लास्टिक सर्जरी संभव है, खासकर जब कैंसर का आकार छोटा हो और समय पर पता लगाया गया हो।
क्या स्तन बचाने वाली सर्जरी के बाद स्तन का आकार बदल जाता है?
स्तन बचाने वाली सर्जरी में कैंसर और उसके आसपास के कुछ ऊतकों को निकाला जाता है, जिससे स्तन का आकार कुछ बदल सकता है। हालांकि, ऑन्कोप्लास्टिक तकनीकों का उपयोग करके, डॉक्टर स्तन को संतोषजनक आकार और रूप दे सकते हैं, ताकि यह अधिक सामान्य दिखे।