हंटिंगटन रोग: मस्तिष्क का एक दुर्लभ आनुवंशिक विकार

हंटिंगटन रोग मस्तिष्क का एक दुर्लभ आनुवंशिक विकार है जो व्यक्ति के मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिकाओं के धीरे-धीरे विघटन का कारण बनता है।
दिल्ली विश्वविद्यालय, साउथ कैंपस के जेनेटिक्स विभाग के एक शोध में यह पाया गया कि इंसुलिन सिग्नलिंग के स्तरों के बढ़ने से मस्तिष्क की कोशिका-स्तर की कार्य क्षमता को फिर से बहाल किया जा सकता है, जिससे रोग के बढ़ने की प्रक्रिया को रोका जा सकता है। हालांकि, इसे समर्थन करने के लिए ओर अध्ययन किए जाने की आवश्यकता है।
हंटिंगटन बीमारी क्या है और यह लाइलाज क्यों है?
हंटिंगटन बीमारी एक दुर्लभ, प्रगतिशील न्यूरोडीजेनेरेटिव विकार है जो भारत में 10,000 लोगों में से 1 को प्रभावित करता है। यह बीमारी एक दोषयुक्त जीन के कारण होती है और आपके मस्तिष्क के केंद्रीय हिस्से में महत्वपूर्ण परिवर्तनों का कारण बनती है, जिससे आपके मूड, चाल, और सोचने की क्षमता पर प्रभाव पड़ता है।
यह एक वंशानुगत बीमारी है जो व्यक्ति की सम्पूर्ण आनुवांशिकी सूची के 23 क्रोमोसोम में से 4 नंबर वाले क्रोमोसोम पर मौजूद एक दोषपूर्ण जीन के कारण होती है। न्यूरोनल हानि आमतौर पर स्ट्रायटम (आपके मस्तिष्क का एक हिस्सा जो स्वैच्छिक गतियों के लिए जिम्मेदार है) से शुरू होती है और धीरे-धीरे आपके मस्तिष्क के सबकोर्टिकल और कॉर्टिकल क्षेत्रों को प्रभावित करती है जो आपके शरीर की सभी पांच इंद्रियों से सोचने और सूचना प्रसंस्करण जैसे संज्ञानात्मक कार्यों के लिए उत्तरदायी होते हैं।
हंटिंगटन बीमारी के लक्षण और संकेत आमतौर पर 30 वर्ष की आयु के बाद दिखने शुरू होते हैं, लेकिन यदि आप 20 की आयु से पहले ही इसके लक्षण महसूस करते हैं, तो आपकी स्थिति को जुवेनाइल हंटिंगटन के रूप में श्रेणीबद्ध किया जाएगा। इस बीमारी का 20 की आयु से पहले निदान होने पर अक्सर विभिन्न लक्षण दिखाई देते हैं और यह सामान्य से अधिक तेजी से बढ़ता है।
हंटिंगटन रोग जैसी बीमारी को ठीक करने के लिए जीनों को बदलना सामान्यतः स्पष्ट समाधान लग सकता है, लेकिन शोधकर्ता यह सुनिश्चित करने के लिए हर कदम उठा रहे हैं कि बीमारी पैदा करने वाले डीएनए के क्रम को काटने से पहले उनके पास सबसे सुरक्षित और प्रभावी उपचार विधि उपलब्ध हो।
हंटिंगटन रोग आपके जीवन को कैसे प्रभावित करता है?
हंटिंगटन बीमारी का कारण हंटिंग्टिन जीन के अंतिम हिस्से में एक विशिष्ट डीएनए क्रम के असामान्य पुनरावृत्ति होता है। इसे चिकित्सक जॉर्ज हंटिंगटन ने 1872 में पहली बार वंशानुगत कोरिया (Hereditary Chorea) के रूप में वर्णित किया था।
दोषपूर्ण जीन एक विषाक्त प्रोटीन को मुक्त करता है जो इकट्ठा होता है और मस्तिष्क कोशिकाओं के न्यूरॉन को क्षति पहुंचाता है। दोषपूर्ण हंटिंगटन प्रोटीन मस्तिष्क कोशिकाओं में परिवर्तन पैदा करता है जो अस्वेच्छिक गतियों, विचारशीलता और तर्कशक्ति में स्थिर कमी, और विभिन्न मानसिक स्वास्थ्य विकारों का कारण बनता है। यह विकार डोमिनेंट होता है, इसका मतलब है कि जो कोई इसे माता-पिता से आनुवंशिक रूप से विरासत में लेता है, उसमें अंततः इस बीमारी का विकास होगा ही।
हंटिंगटन रोग के लक्षण और संकेत क्या हैं?
हंटिंगटन रोग आम तौर पर गतिविधि, संज्ञानात्मक और मानसिक विकारों के संकेतों और लक्षणों के विस्तृत श्रेणी को प्रदर्शित करती है जो प्रभाव में भिन्न हो सकते हैं।
हंटिंगटन रोग से चलने-फिरने संबंधी विकारों के संकेत और लक्षण:
संकेतों और लक्षणों में स्वैच्छिक और अनैच्छिक दोनों प्रकार के दोष शामिल होते हैं जैसे:
- कोरिया, या अनैच्छिक झटके और छटपटाहट जैसी गतियाँ
- डिस्टोनिया, या मांसपेशियों में अकड़न या संकुचन
- आंखों की असामान्य या धीमे गतियाँ
- मुद्रा, संतुलन, और चाल का बिगड़ना
- बोलने में कठिनाई और निगलने में समस्या आना
हंटिंगटन बीमारी से मानसिक विकारों के लक्षण और संकेत:
हंटिंगटन की बीमारी से जूझ रहे लोगों के लिए डिप्रेशन एक जानी मानी मानसिक स्थिति है। यह केवल बीमारी के पता चलने की वजह से ही नहीं होता, बल्कि यह मस्तिष्क की चोट और उसके परिणामस्वरूप मस्तिष्क की कार्य क्षमता में होने वाले परिवर्तनों के कारण भी हो सकता है। इसके लक्षण और संकेतों में शामिल हैं:
- चिड़चिड़ा, उदास, और निरुत्साह महसूस करना
- समाज और दोस्तों से दूरी बनाना
- अनिद्रा
- ऊर्जा की हानि या थकान
- बार-बार आत्महत्या के विचार
इसके साथ अन्य मानसिक विकारों में शामिल हैं:
- ओसीडी, या जुनूनी बाध्यकारी विकार (Obsessive Compulsive Disorder), जिसमें दोहराए जाने वाले, दखल देने वाले व्यवहार होते हैं
- मानिया, जो एक उच्च मनोदशा और आत्मसम्मान में वृद्धि का कारण है
- बायपोलर विकार, जो एक अत्यधिक डिप्रेशन और मानिया के चरम स्पेक्ट्रम प्रदर्शित करता है
हंटिंगटन बीमारी से होने वाले संज्ञानात्मक (Cognitive) विकारों के संकेत और लक्षण:
हंटिंगटन की बीमारी से जुड़े संज्ञानात्मक अवस्थाएँ निम्नलिखित हो सकती हैं:
- ध्यान केंद्रित करने, कार्यों को प्राथमिकता देने, और व्यवस्थित करने में मुश्किल महसूस होना
- विचार प्रक्रिया, व्यवहार, या क्रिया में लचीलेपन की कमी (जिसे अटलता के रूप में भी जाना जाता है)
- आत्मनियंत्रण की कमी से आवेगपूर्ण व्यवहार और यौन संकीर्णता होती है
- अपने व्यवहार के प्रति जागरूकता की कमी
- विचार को प्रोसेस करने और शब्दों को ढूँढ़ने में गति में कमी
- नई जानकारी सीखने और बनाए रखने में कठिनाई
हंटिंगटन रोग का निदान कैसे किया जाता है?
हंटिंगटन बीमारी के लक्षण और संकेतों की पुष्टि के लिए अब एक आनुवांशिक परीक्षण उपलब्ध है। डॉक्टर आपके लक्षणों के आधार पर हंटिंगटन प्रोटीन के दोषपूर्ण जीन के लिए परीक्षण करते हैं, या उन लोगों में दोषपूर्ण जीन की खोज करते हैं जिन्होंने अब तक कोई लक्षण नहीं दिखाए हैं, ताकि जोखिम की पुष्टि की जा सके।
आनुवांशिक सलाह किसी भी व्यक्ति के लिए जो एक आनुवांशिक परीक्षण से गुजर रहा है, निदान से पहले और उसके बाद, दी जाती है।
हंटिंगटन बीमारी वाले व्यक्ति के साथ जीवन
जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, हंटिंगटन बीमारी से प्रभावित होने वाले व्यक्ति को अत्यधिक मात्रा में समय, समर्थन, और धैर्य की आवश्यकता होगी। कहने की जरूरत नहीं है कि इस स्थिति की दुर्लभता के कारण आर्थिक बोझ भी काफ़ी अधिक होता है।
एक देखभालकर्ता के रूप में, यह कठिन, और भावनात्मक और शारीरिक रूप से थकाने वाला हो सकता है। यह हमेशा अच्छा रहता है कि आप आवश्यकता होने पर समर्थन प्राप्त करें, चाहे वह डॉक्टर से हो, या आपके दोस्तों और परिवार से हो। हालांकि, नीचे कुछ बातें बताई हैं जो आपकी मदद करने के लिए हैं:
- अधिक सुनें और सतर्क रहें: जिस व्यक्ति की आप देखभाल कर रहे हैं, वह बड़े परिवर्तनों से गुजर रहा है। उनकी स्थिति के आधार पर हमें अपनी बातचीत करने के तरीक़े में परिवर्तन लाना होगा। सतर्क रहें, ध्यान भटकाने वाली बातों से बचें और जितना हो सके धैर्यशील रहें।
- नियमित रूप से उनका तापमान को ट्रैक करें: हंटिंगटन की बीमारी वाले व्यक्तियों में अक्सर शरीर का तापमान बदलता रहता है, जो उनके मूड को काफी प्रभावित करता है। हमेशा उनके ठंडे या गर्म होने के संकेतों पर नज़र रखें और तैयार रहें।
- बड़े निर्णयों को नजरअंदाज न करें: यह सुनने में चाहे कठिन सा लगे, परंतु एक समय ऐसा आएगा जब मरीज अपने आप कोई भी निर्णय नहीं ले पाएगा। तब आपके लिए आगे बढ़ कर जिम्मेदारी लेने का समय होगा।
- मदद मांगने में हिचकिचाएं नहीं: चाहे यह आपकी भावनात्मक, चिकित्सीय, या आर्थिक मदद हो, जब भी आपको आवश्यकता हो, तुरंत मदद प्राप्त करें। हंटिंगटन बीमारी वाले व्यक्ति की देखभाल करने के मामले में कोई जरूरत या सवाल तुच्छ नहीं होता है।
- अपना ध्यान रखें: बार-बार खुद को थोड़े समय के लिए ब्रेक दें और अपनी आवश्यकताओं का भी ख्याल रखें। किसी हंटिंगटन बीमारी वाले व्यक्ति की देखभाल करना काफी थका देने वाला हो सकता है। अतः याद रखें कि आपको खुद को शारीरिक और भावनात्मक रूप से स्वस्थ रखना है।
हंटिंगटन रोग का इलाज अभी भी खोजा जा रहा है। तब तक, हम केवल लक्षणों से राहत पाने और प्रभावित व्यक्तियों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए उपचार विधियों का उपयोग कर सकते हैं। सही समर्थन से बहुत फर्क पड़ता है।
This blog is a Hindi version of an English-written Blog - Huntington’s Disease – a Rare Genetic Disorder of the Brain