गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज: जांच और सावधानियां

TABLE OF CONTENTS
गर्भावस्था एक महिला के जीवन का अत्यंत महत्वपूर्ण समय होता है। इस दौरान माँ और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना आवश्यक होता है। मेदांता, गुरुग्राम के डॉ. राजेश राजपूत, जो एंडोक्राइनोलॉजी विभाग के निदेशक हैं, गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी साझा करते हैं।
गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज का पता लगाने के लिए नियमित जांच आवश्यक है। यह जानकारी हर गर्भवती महिला के लिए उपयोगी है, खासकर उन महिलाओं के लिए जिनके परिवार में डायबिटीज का इतिहास है या जिनका वजन अधिक है।
गर्भावस्था में शुगर लेवल की जांच कब करवाएं
डॉ. राजपूत के अनुसार, गर्भावस्था में शुगर लेवल की जांच दो महत्वपूर्ण समय पर करवानी चाहिए:
पहली एंटीनेटल विजिट पर
हर महिला को अपनी पहली एंटीनेटल विजिट (गर्भ धारण के बाद पहली बार डॉक्टर से मिलना) पर अपना ग्लूकोज लेवल अवश्य चेक करवाना चाहिए। यह जांच गर्भावस्था के शुरुआती चरण में ही मधुमेह का पता लगाने में मदद करती है।
पहली एंटीनेटल विजिट पर शुगर चेक करवाना हर गर्भवती महिला के लिए जरूरी है। इससे समय रहते मधुमेह का पता लगाया जा सकता है और उचित उपचार शुरू किया जा सकता है।
24 से 28 सप्ताह के बीच
डॉक्टर की सलाह है कि गर्भावस्था में शुगर लेवल की जांच दो बार अवश्य करवाएं। यदि पहली जांच (जो आमतौर पर पहले 12 सप्ताह के दौरान की जाती है) में शुगर का स्तर सामान्य आता है, तो भी 24 से 28 सप्ताह के बीच दोबारा जांच करवाना महत्वपूर्ण है।
गर्भावस्था में शुगर लेवल नॉर्मल आने पर भी 24-28 सप्ताह में दोबारा जांच करवाना महत्वपूर्ण है। यह दूसरी जांच गर्भावस्था के दौरान विकसित होने वाले मधुमेह का पता लगाने के लिए अत्यंत आवश्यक है।
गर्भावस्था के दौरान मधुमेह के जोखिम कारक
डॉ. राजपूत बताते हैं कि कुछ महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान मधुमेह होने का खतरा अधिक होता है। इन जोखिम कारकों को जानना महत्वपूर्ण है:
पारिवारिक इतिहास
परिवार में डायबिटीज का इतिहास होने पर गर्भावस्था के दौरान मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है। यदि आपके माता या पिता किसी को भी डायबिटीज है, तो आपको विशेष सावधानी बरतनी चाहिए और नियमित जांच करवानी चाहिए।
अधिक वजन
गर्भ धारण के समय यदि महिला का वजन पहले से ही अधिक है, तो गर्भावस्था के दौरान मधुमेह होने की संभावना बढ़ जाती है। अधिक वजन वाली महिलाओं को अपने शुगर लेवल की नियमित जांच करवानी चाहिए।
सभी गर्भवती महिलाओं के लिए सिफारिशें
डॉ. राजेश राजपूत द्वारा गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज पर दी गई सलाह सभी गर्भवती महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है:
हर महिला को, चाहे उसके परिवार में डायबिटीज का इतिहास हो या न हो, अपनी पहली एंटीनेटल विजिट पर शुगर लेवल की जांच करवानी चाहिए।
यदि पहली जांच में शुगर लेवल सामान्य आता है, तो भी 24 से 28 सप्ताह के बीच दोबारा जांच करवाना आवश्यक है।
जिन महिलाओं के परिवार में डायबिटीज का इतिहास है या जिनका वजन अधिक है, उन्हें विशेष सावधानी बरतनी चाहिए और अपने डॉक्टर के निर्देशों का पालन करना चाहिए।
निष्कर्ष
गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज एक गंभीर स्थिति हो सकती है, लेकिन समय पर जांच और उचित देखभाल से इसका प्रबंधन किया जा सकता है। डॉ. राजेश राजपूत की सलाह है कि सभी गर्भवती महिलाएँ अपनी पहली एंटीनेटल विजिट पर और फिर 24-28 सप्ताह के बीच अपने शुगर लेवल की जांच अवश्य करवाएं।
गर्भावस्था के दौरान नियमित जांच और डॉक्टर की सलाह का पालन करके, आप अपने और अपने बच्चे के स्वास्थ्य की रक्षा कर सकती हैं। याद रखें, समय पर पता लगाना और उचित उपचार ही स्वस्थ गर्भावस्था की कुंजी है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या हर गर्भवती महिला को शुगर टेस्ट करवाना चाहिए?
हाँ, हर गर्भवती महिला को अपनी पहली एंटीनेटल विजिट पर और फिर 24-28 सप्ताह के बीच शुगर टेस्ट करवाना चाहिए।
यदि मेरे परिवार में किसी को डायबिटीज नहीं है, तो क्या मुझे भी जांच करवानी चाहिए?
हाँ, परिवार में डायबिटीज का इतिहास न होने पर भी हर गर्भवती महिला को शुगर की जांच करवानी चाहिए, क्योंकि गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज किसी को भी हो सकती है।
पहली जांच में शुगर नॉर्मल आने पर भी दोबारा जांच क्यों जरूरी है?
कई बार गर्भावस्था के दौरान बाद के महीनों में डायबिटीज विकसित हो सकती है, इसलिए 24-28 सप्ताह के बीच दोबारा जांच करवाना महत्वपूर्ण है।
अधिक वजन होने पर क्या विशेष सावधानी बरतनी चाहिए?
यदि गर्भ धारण के समय आपका वजन अधिक है, तो आपको गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज होने का खतरा अधिक होता है। ऐसी स्थिति में नियमित जांच और डॉक्टर की सलाह का पालन करना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज का पता लगने पर क्या करना चाहिए?
यदि आपको गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज का पता चलता है, तो घबराएं नहीं। अपने डॉक्टर की सलाह का पालन करें, उचित आहार लें, और नियमित रूप से अपने शुगर लेवल की निगरानी करें।