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कीमोथेरेपी और इम्यूनोथेरेपी के बीच अंतर: कौन सी थेरेपी आपके लिए उपयुक्त है?

कीमोथेरेपी और इम्यूनोथेरेपी विभिन्न कैंसर के लिए उपचार विकल्प होते हैं। कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि और पास के ऊतकों और अन्य जगहों पर फैलने को नियंत्रित करने के लिए दोनों उपचार अलग-अलग तरीके से कार्य करते हैं। आइए इस ब्लॉग में कीमोथेरेपी और इम्यूनोथेरेपी के मध्य मुख्य अंतर, उनकी प्रभावशीलता, दुष्प्रभाव, वे जिस प्रकार के कैंसर पर काम करते हैं, और इसमें शामिल खर्च जैसे पहलुओं पर विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं। 

 

कीमोथेरेपी एक रासायनिक उपचार प्रक्रिया होती है, जिसमें विभिन्न दवाओं का प्रयोग होता है, जो सीधे कैंसर कोशिकाओं पर प्रभाव डालती हैं। कीमोथेरेपी में काम आने वाली दवाएँ कैंसर कोशिकाओं के कोशिका विभाजन चरण पर असर डालती है। इसीलिए यह कैंसर के विकास और प्रसार को रोकने में मदद करती हैं। 

 

वही इम्यूनोथेरेपी कैंसर कोशिकाओं पर अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है। कुछ कैंसर कोशिकाएँ आनुवंशिक संशोधन के कारण व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली से बच जाती हैं। कैंसर कोशिकाएँ इन परिवर्तनों के कारण, प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा नष्ट हुए बिना लगातार विभाजित होती रहती हैं। 

 

कैंसर के लिए दी जाने वाली इम्यूनोथेरेपी व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने में सहायता करती हैं। 

 

प्रतिरक्षा प्रणाली आपके शरीर में मौजूद कैंसर कोशिकाओं को पहचानती हैं, और उन्हें नष्ट करने के लिए विशिष्ट टी कोशिकाओं का उत्पादन करती है। टी कोशिकाएँ प्रतिरक्षा प्रणाली का अहम हिस्सा होती हैं जो हमारे शरीर को बाहरी हानिकारक पदार्थों से रक्षा करती हैं। ये कोशिकाएँ कैंसर के विरुद्ध प्रतिरक्षा प्रणाली की कार्यवाही में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। 

 

कीमोथेरेपी और इम्यूनोथेरेपी में अंतर 

 

कीमोथेरेपी और इम्यूनोथेरेपी के बीच अंतर विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है, जिनमें शामिल हैं

 

  • क्रिया काल (Duration of Action) - कीमोथेरेपी की दवाएँ तब तक काम करती रहती हैं, जब तक वह शरीर में मौजूद रहती हैं। यह सीधे कैंसर कोशिकाओं को प्रभावित करता है और लेने के तुरंत बाद ही काम करना शुरू कर देता है।  वही दूसरी तरफ़, इम्यूनोथेरेपी प्रतिरक्षा प्रणाली को उत्तेजित करती है, ताकि वह कैंसर कोशिकाओं के प्रति कार्यवाही कर सकें। यह प्रक्रिया कार्य शुरू करने में समय लगाती है। सक्रिय उपचार रोकने के बाद भी इम्यूनोथेरेपी प्रभावी रहती है। 
  • प्रभावशीलता - कीमोथेरेपी की प्रभावशीलता तब तक बनी रहती है जब तक व्यक्ति दवाएँ लेना जारी रखता है। वहीं, इलाज रोकने के बाद भी इम्यूनोथेरेपी प्रभावशील रहती है।  इम्यूनोथेरेपी कैंसर कोशिकाओं के प्रति प्रतिरक्षा स्मृति को बढ़ाती है और उसके दुबारा होने के ख़तरे को कम करती है। यह स्मृति लंबे समय में इम्यूनोथेरेपी को अधिक प्रभावी और व्यावहारिक बनाती है।  अगर कोई कैंसर से पीड़ित व्यक्ति इम्यूनोथेरेपी और कीमोथेरेपी एक साथ लेता है, तो उस स्थिति में, संपूर्ण परिणाम सकारात्मक होते हैं और लंबे समय तक रहते हैं।
  • दुष्परिणाम  - कीमोथेरेपी उन कैंसर कोशिकाओं पर हमला करती है जो अनियंत्रित रूप से विभाजित होती हैं। लेकिन इनके साथ-साथ, यह तेज़ी से विभाजित होने वाली शरीर की सामान्य कोशिकाओं जैसे बाल, त्वचा, रक्त कोशिकाओं और आंतों की कोशिकाओं पर भी असर डालती है। जिसके परिणामस्वरूप बालों का झड़ना, मतली, त्वचा में संक्रमण, घाव और शुष्क त्वचा जैसे दुष्प्रभाव महसूस हो सकते हैं। इम्यूनोथेरेपी से होने वाले दुष्प्रभाव मुख्यतः प्रतिरक्षा प्रणाली की अत्यधिक सक्रियता के कारण होते हैं। इसमें मतली, फ्लू, बुखार, चक्कर आना, मांसपेशियों में दर्द, जोड़ों में दर्द और इंजेक्शन स्थल पर प्रतिक्रिया शामिल होते हैं। 
  • कैंसर के प्रकार  - अधिकांशतः डॉक्टर कैंसर के उपचार में सर्जरी से पहले कैंसर को कम करने के लिए कीमोथेरेपी का उपयोग करना पसंद करते हैं। यह अधिकांश कैंसर कोशिकाओं के दुबारा बनने से रोकने में भी मदद करता है। यह अंतिम चरण के कैंसर की प्रगति को धीमा करने में भी मदद करता है।  - वहीं, इम्यूनोथेरेपी प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत और उत्तेजित करने का काम करती है और सभी कैंसर के लिए फायदेमंद सिद्ध होती है। डॉक्टर इसका प्रयोग उन कैंसर में करते हैं जो कीमोथेरेपी के प्रति अप्रतिक्रियाशील होते हैं।
  • थेरेपी देने का तरीक़ा  - इम्यूनोथेरेपी में दी जाने वाली दवाओं को अंतःशिरा (I.V.) मार्ग के माध्यम से व्यक्ति के शरीर में दिया जाता है। कुछ मामलों में, डॉक्टर इम्यूनोथेरेपी में दी जाने वाली दवाओं को त्वचा के नीचे या मांसपेशियों में भी इंजेक्ट कर सकते हैं। त्वचा कैंसर के मामलों में, डॉक्टर व्यक्ति की त्वचा तक इम्यूनोथेरेपी दवा पहुंचाने के लिए एक टोपिकल क्रीम का उपयोग करते हैं। उसी तरह मूत्राशय के कैंसर के मामलों में, डॉक्टर कैथेटर की मदद से इम्यूनोथेरेपी की दवा को सीधे मूत्राशय में इंजेक्ट करते हैं।  कीमोथेरेपी दवाओं को कैथेटर या अंतःशिरा (I.V.) इन्फ्यूजन पंप द्वारा सीधे रक्तप्रवाह में दिया जाता है। कीमोथेरेपी दवाओं को  कैथेटर द्वारा रीढ़ की हड्डी तक भी पहुंचाया जा सकता है, जिससे यह सीधे मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के चारों तरफ़ मौजूद द्रव्य में पहुँच सकें।

कई मामलों में, कीमोथेरेपी दवाओं को ट्यूमर में रक्त पहुँचाने वाली मुख्य धमनी में भी इंजेक्ट किया जाता है। कई बार, कैंसर शरीर के ऐसे अंगों को भी प्रभावित करता है, जो कि एक बंद परिवेश में होते हैं, इनमें छाती, पेट या मूत्राशय के अंग शामिल होते हैं। ऐसी स्थितियों में चिकित्सीय तकनीशियन कैथेटर का उपयोग करके कीमोथेरेपी दवा को सीधे इन कैविटी में पहुंचाता है। 

 

इसके अलावा, कीमोथेरेपी दवाओं को मांसपेशियों में या सीधे ट्यूमर में भी इंजेक्ट किया जा सकता है। 

 

  • दवाओं के प्रकार  - कीमोथेरेपी दवाओं में ऐल्किलेटिंग एजेंट्स जैसी दवाएँ शामिल होती हैं, जो कोशिकाओं के डीएनए पर प्रभाव डालती हैं, कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करती हैं, और उनके विभाजन को रोकती हैं।

यदि इन ऐल्किलेटिंग एजेंट्स का उच्च मात्रा में और लंबे समय तक उपयोग किया जाए, तो यह अस्थि मज्जा को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे रक्त कोशिकाओं के निर्माण में भी बाधा सकती है। उसी तरह एंटिमेटाबोलाइट्स वे कीमोथेरेपी दवाएँ हैं जो कैंसर कोशिकाओं के डीएनए और आरएनए के साथ क्रिया करती हैं, और उनके विभाजन को रोकती हैं।  एंटीट्यूमर एंटीबायोटिक्स दवाएँ सूक्ष्म-जीवाणुओं से निष्कर्षित की जाती हैं। ये दवाएँ डीएनए के संश्लेषण पर प्रभाव डालती हैं और डीएनए की तन्तुओं को भी तोड़ती हैं। माइटोटिक और टॉपोइसोमेरेज इन्हिबिटर्स कीमोथेरेपी दवाएँ कोशिकाओं के विभाजन के लिए आवश्यक एंजाइमों को क्षति पहुँचा कर कैंसर कोशिकाओं के विभाजन को रोकती हैं। उच्च मात्राओं में, ये माइटोटिक इन्हिबिटर्स मरीज़ के नसों को क्षति पहुँचा सकती हैं।

 

इम्यूनोथेरेपी दवाओं में मॉनोक्लोनल एंटीबॉडीज़ शामिल हैं जो कैंसर कोशिकाओं के सतही प्रोटीन के साथ क्रिया कर उन्हें नष्ट करते हैं। 

 

इम्यूनोथेरेपी दवाओं में कैंसर वैक्सीन भी शामिल हैं। इन टीकाकरण को मृत कैंसर कोशिका या उनके प्रोटीनों से बनाया जाता है और इनकी सहायता से आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर के खिलाफ सक्रिय करते हैं। इम्यून सिस्टम मॉड्यूलेटर्स जैसे कि इंटरलूकिन्स और इंटरफेरोंस प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत करने में मदद करते हैं ताकि वह कैंसर कोशिकाओं से लड़ने में सक्षम हो।

 

टी सेल ट्रांस्फर थेरेपी में, रोगी के शरीर से कोशिकाओं को निकाला जाता है। और उन्हें प्रयोगशाला में संशोधित और विकसित किया जाता है। फिर इन कोशिकाओं को रोगी के शरीर में वापस स्थानांतरित किया जाता है ताकि समग्र प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को मज़बूत किया जा सके। इस प्रक्रिया में 2-8 सप्ताह का समय लग सकता है।

  • लागत  - उपचार की कुल लागत कई कारकों जैसे कैंसर के प्रकार, कैंसर की स्टेज और उपचार के प्रकार पर निर्भर करती है। इम्यूनोथेरेपी आम तौर पर लंबी अवधि तक चलने वाला उपचार होता है, जिसकी लागत कीमोथेरेपी से अधिक होती है। 

 

उपचार निर्णय को प्रभावित करने वाले जैव रासायनिक (Biochemical) मार्कर:

 

बायोकेमिकल मार्कर का उपयोग मुख्यतः उस उपचार पद्धति को चुनने के लिए किया जाता है जो विशेष कैंसर के लिए प्रभावी सिद्ध होती है। जैव रासायनिक मार्कर रोग की शुरुआत या प्रगति के दौरान बने या परिवर्तित हार्मोन, एंजाइम, प्रोटीन, एंटीजन या एंटीबॉडी जैसे जैव रासायनिक यौगिक होते हैं। 

 

विभिन्न प्रकार के कैंसरों से संबंधित बायोकेमिकल मार्कर निम्नलिखित हैं

  • पीएल-1: यह एक प्रकार का प्रोटीन होता है, जिनकी कैंसर कोशिकाओं में उपस्थिति उन्हें प्रतिरक्षा प्रणाली के हमले से सुरक्षा प्रदान करती है। अधिक पीएल-1 प्रोटीन मार्कर की मात्रा यह इंगित करती है कि इसके विरुद्ध इम्यूनोथेरेपी अधिक प्रभावी होगी। 
  • माइक्रोसैटेलाइट अस्थिरता-उच्च: यह बायोमार्कर डीएनए में हुई क्षति की मरम्मत करने में शरीर की असमर्थता को इंगित करता है, इसके परिणामस्वरूप असामान्य प्रोटीन का निर्माण होता है और असामान्य कोशिका विभाजन भी होता है। इस बायोमार्कर की उपस्थिति वाले कैंसर के लिए इम्यूनोथेरेपी ही एकमात्र प्रभावी उपचार होता है। 
  • ट्यूमर म्युटेशन बर्डन: यह परीक्षण जीनोम सीक्वन्स की मदद से ट्यूमर म्युटेशनों की घनत्व अच्छे से विश्लेषण करता है। ये म्युटेशन इम्यूनोथेरेपी को पसंदीदा उपचार विकल्प बनाती हैं। 

 

निष्कर्ष 

 

इम्यूनोथेरेपी और कीमोथेरेपी दो अलग-अलग दवा उपचार विकल्प हैं जिनका उपयोग विभिन्न कैंसर के उपचार में किया जाता है। कीमोथेरेपी सीधे कैंसर कोशिकाओं पर असर करती है, वही दूसरी तरफ़, इम्यूनोथेरेपी कैंसर कोशिकाओं से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत करती है। इसीलिए हमेशा एक ऑन्कोलॉजिस्ट से परामर्श लें और आपके लिए उपलब्ध सर्वोत्तम उपचार विकल्पों पर चर्चा करें।

 

This blog is a Hindi version of an English-written Blog  - Difference between Chemotherapy and Immunotherapy: Which Therapy is Better for You?

Dr. Harshvardhan Atreya
Cancer Care
Meet The Doctor
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