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आंशिक हिप रिप्लेसमेंट क्या होता है?

आंशिक हिप रिप्लेसमेंट क्या होता है?

आंशिक हिप रिप्लेसमेंट एक ऐसी सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें केवल हिप जॉइंट के बॉल भाग को बदला जाता है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, हिप हेमी ऑर्थोप्लास्टी का अर्थ है ‘हाफ हिप रिप्लेसमेंट’। हिप जॉइंट एक बॉल एंड सॉकेट जॉइंट होता है, जिसमें हेमी ऑर्थोप्लास्टी के दौरान सिर्फ बॉल भाग को बदला जाता है, जबकि सॉकेट भाग को यथावत रखा जाता है।

इस प्रक्रिया में, जब हिप जॉइंट के बॉल भाग में फ्रैक्चर होता है और वह इतना गंभीर होता है कि उसे फिक्स नहीं किया जा सकता, तब डॉक्टर इस भाग को कृत्रिम इम्प्लांट से बदल देते हैं। यह इम्प्लांट स्टेम में लगाया जाता है और इसे हिप हेमी ऑर्थोप्लास्टी कहा जाता है।

हिप जॉइंट रिप्लेसमेंट और हेमीअर्थोप्लास्टी में अंतर

पूरे हिप जॉइंट को बदलने के विपरीत, हेमीअर्थोप्लास्टी में केवल बॉल भाग को बदला जाता है, सॉकेट को नहीं। जब किसी मरीज के हिप जॉइंट के बॉल भाग में फ्रैक्चर होता है, और वह ऑपरेशन से फिक्स नहीं हो सकता, तब इस प्रकार के रिप्लेसमेंट की आवश्यकता होती है।

डॉ. राजीव सिन्हा के अनुसार, इस प्रक्रिया में सॉकेट भाग यथावत रहता है और केवल बॉल साइड को बदला जाता है। यह एक अनसीमेंटेड इम्प्लांट होता है जो स्टेम में लगाया जाता है।

कूल्हे का ऑपरेशन: सीमेंटेड और अनसीमेंटेड इम्प्लांट

हिप हेमी ऑर्थोप्लास्टी में दो प्रकार के इम्प्लांट का उपयोग किया जाता है - सीमेंटेड और अनसीमेंटेड। डॉ. सिन्हा के अनुसार, उम्र के आधार पर इम्प्लांट का चयन किया जाता है:

  • युवा मरीजों के लिए (60 वर्ष से कम): इन मरीजों में अनसीमेंटेड इम्प्लांट का उपयोग किया जाता है।

  • वृद्ध मरीजों के लिए (70-75 वर्ष से अधिक): इन मरीजों में सीमेंटेड इम्प्लांट का उपयोग किया जाता है।

वृद्ध मरीजों में सीमेंटेड इम्प्लांट का उपयोग करने का कारण यह है कि अधिक उम्र में हड्डियों में कमजोरी आ जाती है, जिसे ओस्टियोपेनिया या ऑस्टियोपोरोसिस कहा जाता है। डॉ. सिन्हा बताते हैं कि दोनों प्रकार के इम्प्लांट का सफलता दर बहुत अच्छा है और इनकी लंबी आयु भी होती है।

हिप रिप्लेसमेंट की आवश्यकता कब होती है?

हिप रिप्लेसमेंट की आवश्यकता तब होती है जब हिप जॉइंट का फ्रैक्चर इतना गंभीर हो कि उसे फिक्स नहीं किया जा सकता। डॉ. सिन्हा के अनुसार, बॉल के फ्रैक्चर के मामले में, अगर मरीज 60 वर्ष से कम उम्र का है, तो डॉक्टर हर संभव कोशिश करते हैं कि फिक्सेशन करके हिप जॉइंट को बचाया जा सके।

हालांकि, अधिकतर मामलों में फ्रैक्चर पूरी तरह से ठीक नहीं होता है, इसलिए हिप हेमी ऑर्थोप्लास्टी एक सफल विकल्प है। इस प्रक्रिया में केवल हिप जॉइंट के बॉल भाग को बदला जाता है।

हिप हेमी ऑर्थोप्लास्टी की प्रक्रिया और समय

कूल्हे का ऑपरेशन आमतौर पर एक से डेढ़ घंटे में पूरा हो जाता है और इसमें रक्त की हानि भी कम होती है। डॉ. सिन्हा बताते हैं कि यह आमतौर पर एक आपातकालीन प्रक्रिया होती है, इसलिए फ्रैक्चर के बाद जितनी जल्दी हो सके, ऑपरेशन किया जाता है।

ऑपरेशन से पहले, मरीज की स्थिति के अनुसार एनेस्थेटिक, कार्डियोलॉजी और रेस्पिरेटरी विशेषज्ञों की सलाह ली जाती है। इसके बाद, जितनी जल्दी संभव हो, ऑपरेशन किया जाता है।

हिप रिप्लेसमेंट रिकवरी का समय और प्रक्रिया

हिप रिप्लेसमेंट रिकवरी में सक्रिय मरीजों को दो से तीन हफ्ते में वॉकर की आवश्यकता नहीं रह जाती है। डॉ. सिन्हा के अनुसार, ऑपरेशन के बाद रिकवरी काफी अच्छी होती है। अगर मरीज सक्रिय है, तो पहले दिन से नहीं तो दूसरे दिन से ही उन्हें पूरा वजन देकर चलना शुरू करा दिया जाता है।

शुरू में, संतुलन बनाए रखने के लिए वॉकर की आवश्यकता होती है। हालांकि, सक्रिय मरीजों को दो से तीन हफ्ते में ही लगने लगता है कि उन्हें वॉकर की आवश्यकता नहीं है, और वे स्वतंत्र रूप से चलना-फिरना शुरू कर देते हैं।

इस प्रक्रिया में किसी विशेष आराम अवधि की आवश्यकता नहीं होती है। हड्डी के ठीक होने में दो से तीन हफ्ते का समय लगता है, और इस दौरान थोड़ा दर्द हो सकता है। डॉ. सिन्हा बताते हैं कि यह ऑपरेशन बहुत सफल होता है।

हिप सर्जरी के बाद सावधानियां और देखभाल

हिप सर्जरी के बाद सावधानियां बरतना आवश्यक है, जैसे जमीन पर न बैठना और पश्चिमी शौचालय का उपयोग करना। डॉ. सिन्हा के अनुसार, ऑपरेशन के बाद कुछ विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए:

  • कभी भी कुर्सी के नीचे या जमीन पर न बैठें।

  • छोटे स्टूल या माँचे पर न बैठें।

  • वेस्टर्न कमोड का उपयोग करें, ताकि डिसलोकेशन या अन्य जोखिम न हो।

इन सावधानियों का पालन करने से इम्प्लांट की लंबी आयु सुनिश्चित होती है और जटिलताओं से बचा जा सकता है।

डॉ. राजीव सिन्हा के अनुसार, हिप हेमी ऑर्थोप्लास्टी एक आपातकालीन प्रक्रिया है, इसलिए सही सर्जन और अस्पताल का चयन करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने सलाह दी है कि ऐसे अस्पताल का चयन करें जहां सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध हों।

आंशिक हिप रिप्लेसमेंट एक सफल प्रक्रिया है जो कूल्हे के जोड़ के फ्रैक्चर के इलाज में प्रभावी है। सही इम्प्लांट का चयन, कुशल सर्जन और ऑपरेशन के बाद उचित देखभाल के साथ, मरीज जल्दी से सामान्य जीवन में लौट सकते हैं।

अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न 

  1. क्या यह प्रक्रिया सुरक्षित है?

    हाँ, यह बहुत सुरक्षित प्रक्रिया है, विशेषकर अनुभवी सर्जन द्वारा किए जाने पर।

  2. पूर्ण हिप रिप्लेसमेंट और आंशिक हिप रिप्लेसमेंट में क्या अन्तर होता है?

    पूर्ण रिप्लेसमेंट में कूल्हे के जोड़ के बॉल और सॉकेट दोनों बदले जाते हैं, जबकि आंशिक में केवल बॉल बदली जाती है।

  3. सीमेंटेड और अनसीमेंटेड इम्प्लांट में क्या अंतर है?

    • सीमेंटेड इम्प्लांट: अधिक उम्र वालों (70-75 वर्ष से अधिक) में उपयोग होता है।

    • अनसीमेंटेड इम्प्लांट: अपेक्षाकृत कम उम्र के मरीजों में उपयोग होता है जिनकी हड्डियाँ मजबूत होती हैं।

Dr. Rajiv Ranjan Sinha
Orthopaedics
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