स्ट्रोक क्या होता है एवं इसके प्रकार

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मस्तिष्क हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है, जो हमारी सभी गतिविधियों को नियंत्रित करता है। जब इस महत्वपूर्ण अंग को कोई नुकसान पहुंचता है, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। स्ट्रोक या मस्तिष्क आघात ऐसी ही एक गंभीर स्थिति है। मेदांता, पटना के वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डॉ. मुकुंद प्रसाद स्ट्रोक के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी साझा करते हैं। आइए जानते हैं कि स्ट्रोक क्या है और इसके प्रकार क्या हैं।
स्ट्रोक क्या होता है?
डॉ. मुकुंद प्रसाद के अनुसार, “स्ट्रोक मतलब मस्तिष्क आघात। आघात कोई भी ऐसा अटैक जो कि मस्तिष्क पर अचानक होता है, जिससे कि हाथ-पैर में लकवा मार देता है या फिर रोगी को बोलने में दिक्कत होता है, मुँह टेढ़ा हो जाता है, इसे स्ट्रोक बोलते हैं।”
स्ट्रोक मस्तिष्क पर होने वाला एक अचानक हमला है, जिसमें मस्तिष्क के किसी हिस्से में रक्त का प्रवाह बाधित हो जाता है। इससे मस्तिष्क की कोशिकाओं को ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं मिल पाते, जिससे वे मरने लगती हैं। स्ट्रोक के प्रमुख लक्षणों में शामिल हैं:
हाथ और पैर में लकवा या कमजोरी
बोलने में कठिनाई
मुँह का टेढ़ा होना
स्ट्रोक के प्रकार
डॉ. मुकुंद प्रसाद बताते हैं कि स्ट्रोक मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं:
1. इस्किमिक स्ट्रोक
इस्किमिक स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं में रुकावट आ जाती है, जिससे मस्तिष्क के किसी हिस्से में रक्त का प्रवाह कम या बंद हो जाता है। यह रुकावट आमतौर पर रक्त के थक्के के कारण होती है।
डॉ. प्रसाद इस्किमिक स्ट्रोक के बारे में एक महत्वपूर्ण जानकारी देते हैं: “इस्किमिक स्ट्रोक के बारे में जानना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि इस्किमिक स्ट्रोक जो है, इसको हम लोग अगर समय से, बीमारी शुरू होने के तीन घंटे के अंदर अगर अस्पताल पहुंच जाए, तो इसको हम लोग उलट सकते हैं, मतलब जो लकवा या पैरालिसिस हो रहा है उसको हम लोग ठीक कर सकते हैं।”
2. हेमरेजिक स्ट्रोक
हेमरेजिक स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क की कोई रक्त वाहिका फट जाती है और रक्त मस्तिष्क के ऊतकों में फैल जाता है। इससे मस्तिष्क के ऊतकों को नुकसान पहुंचता है।
डॉ. प्रसाद बताते हैं, “हेमरेजिक स्ट्रोक में यह संभव नहीं है,” जिसका अर्थ है कि हेमरेजिक स्ट्रोक में इस्किमिक स्ट्रोक की तरह तीन घंटे के भीतर पैरालिसिस को उलटना संभव नहीं है।
समय का महत्व: “गोल्डन अवर” का सिद्धांत
डॉ. मुकुंद प्रसाद स्ट्रोक के इलाज में समय के महत्व पर जोर देते हैं। उनके अनुसार, “इस्किमिक स्ट्रोक में यही विंडो अवधि निकल गई तो फिर इसको ठीक करना मुश्किल है क्योंकि फिर मस्तिस्क की क्षति स्थायी हो जाती है।”
स्ट्रोक के लक्षण दिखने के बाद पहले तीन घंटे को “गोल्डन अवर” या “स्वर्णिम घंटे” कहा जाता है। इस समय के भीतर अगर रोगी को उपचार मिल जाए, तो मस्तिष्क को स्थायी नुकसान से बचाया जा सकता है और लकवे जैसे लक्षणों को उलटा किया जा सकता है।
निष्कर्ष
स्ट्रोक एक गंभीर चिकित्सकीय आपात स्थिति है जिसमें तत्काल चिकित्सा सहायता की आवश्यकता होती है। इस्किमिक स्ट्रोक और हेमरेजिक स्ट्रोक के बीच अंतर समझना महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस्किमिक स्ट्रोक में शुरुआती घंटों में उपचार से स्थायी नुकसान को रोका जा सकता है।
डॉ. मुकुंद प्रसाद के अनुसार, स्ट्रोक के लक्षणों को पहचानना और तुरंत चिकित्सकीय सहायता लेना जीवन और मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बचाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। विशेष रूप से इस्किमिक स्ट्रोक में, पहले तीन घंटों के भीतर उपचार शुरू करना रोगी के पूर्ण स्वास्थ्य लाभ की संभावना को काफी बढ़ा सकता है।
अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न
स्ट्रोक क्या होता है?
स्ट्रोक एक चिकित्सकीय आपातकालीन स्थिति है, जिसमें मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति अचानक रुक जाती है या रक्तस्राव हो जाता है, जिससे मस्तिष्क की कोशिकाएं मरने लगती हैं।
स्ट्रोक के प्रमुख लक्षण क्या हैं?
एक ओर हाथ-पैर में कमजोरी या लकवा
बोलने या समझने में कठिनाई
मुँह का टेढ़ा होना
संतुलन नहीं बनना
गोल्डन अवर” क्या है?
स्ट्रोक के लक्षण दिखने के पहले तीन घंटे को गोल्डन अवर या स्वर्णिम घंटे कहते हैं। इस समय में इलाज शुरू करने से रोगी के ठीक होने की संभावना सबसे अधिक होती है।
स्ट्रोक होने पर क्या करना चाहिए?
स्ट्रोक के लक्षण दिखते ही रोगी को तुरंत पास के अस्पताल ले जाएं। समय बर्बाद न करें, क्योंकि हर मिनट मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकता है।