Facebook Twitter instagram Youtube
शरर-पर-अतयधक-चत-anxiety-क-7-परभव

शरीर पर अत्याधिक चिंता (Anxiety) के 7 प्रभाव

चिंता किसी वर्तमान स्थिति या आगामी घटना के बारे में तनाव के लिए आपकी एक सामान्य शारीरिक प्रतिक्रिया है। यह प्रतिक्रिया आपके प्रमस्तिष्क (Amygdala) में शुरू होती है, जो की मस्तिष्क का एक क्षेत्र है जो हाइपोथैलेमस को संकट के संकेत भेजता है। इन संकेतों को तब शरीर के बाकी हिस्सों में 'लड़ाई या उड़ान' (fight or flight) प्रतिक्रिया उत्पन्न करने के लिए भेजा जाता है।

 

शारीरिक रूप से, सकारात्मक तनाव एक अल्पकालिक प्रतिक्रिया होती है, इस स्थिति में एड्रेनालिन हार्मोन, हृदय गति में वृद्धि, मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह, और ऑक्सीजन में वृद्धि सामूहिक रूप से हमें समस्या पर ध्यान केंद्रित करने और उसका सामना करने के लिए तैयार करती है।

 

हालाँकि लंबे समय तक दैनिक जीवन में कई स्थितियों के बारे में जैसे ट्रैफिक के कारण काम पर देर से पहुंचने की आशंका, तय समय में काम न कर पाना, एक खोई हुई वस्तु, बच्चे का रोना , परीक्षा या साक्षात्कार के तनाव का डर, किसी व्यक्ति से मिलने या सामाजिककरण का डर, परिवारजन से मिलने का समय न मिलना, और इसी तरह की अन्य चिंता तनाव की एक श्रृंखला को ट्रिगर कर सकते हैं जिससे आपके शरीर में भावनात्मक और शारीरिक हानिकारक प्रतिक्रियाएं हो सकती हैं।

 

चिंता विकार (Anxiety Disorders) के प्रकार

 

• सामान्य चिंता विकार (Generalised Anxiety Disorder or GAD):

 

यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब आप हर दिन की अधिकांश परिस्थितियों के बारे में अधिक चिंतित हो जाते हैं और आपको यह भी याद नहीं हैं कि पिछली बार कब आप आराम की मानसिक स्थिति में थे। इस प्रकार की चिंता, मस्तिष्क के रसायनों में असंतुलन के कारण होती है जो व्यक्ति के मूड, सेरोटोनिन और नॉरएड्रेनालाईन हॉर्मोन, हिंसा, दुर्व्यवहार या धमकाने जैसे पुराने आघातों का संयोजन, लम्बे समय से दर्द की स्थिति, या वंशानुगत कारक पर निर्भर करते हैं।

 

• ऑब्सेसिव कम्पल्सिव डिसऑर्डर (OCD):

 

OCD में व्यक्ति को जुनूनी विचार पैदा हो सकते हैं जो व्यक्ति को परेशान करते हैं और किसी रूटीन को बार-बार करने की अत्यधिक इच्छा या मजबूरी पैदा करता है। यह उसकी आदतों में दिखायी देता है, चाहे वह लगातार सफाई करना हो, अनावश्यक रूप से हाथ धोना, दराज में वस्तुओं को एक निश्चित तरीके से व्यवस्थित करना, कपड़े तह करना आदि।

 

• पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD):

 

यह चिंता विकार किसी व्यक्ति में विशेष रूप से तनावपूर्ण समय के बाद होता है जैसे कि युद्ध क्षेत्र में होना, किसी हमले या दुखद दुर्घटना से बचना, या किसी प्राकृतिक आपदा के कारण घटी घटना।

 

• भय (Phobia):

 

किसी जीव, स्थान या घटना, मधुमक्खियों, मकड़ियों, ऊंचाइयों, अंधेरे, तंग जगहों, आग, आदि के अत्यधिक डर के कारण व्यक्ति को फोबिया का अनुभव होता है।

 

• त्रास का अनुभव (Panic Attacks):

 

लंबे समय तक चिंता या तनाव की स्थिति में व्यक्ति को पैनिक अटैक आ सकते हैं। इसमें व्यक्ति को शारीरिक लक्षणों जैसे कि दिल की धड़कन, पसीना, ठंडे हाथ और पैर, सांस लेने में असमर्थता या हाइपरवेंटिलेट महसूस हो सकता है। दीर्घकालिक चिंता से व्यक्ति को अन्य शारीरिक लक्षण जैसे आलस्य, चक्कर आना, और सब कुछ नष्ट होने की भावना महसूस हो सकती है। लंबे समय तक चिंता गंभीर प्रभाव पैदा कर सकती है जो आपके शरीर के लिए हानिकारक हैं। दीर्घकालिक चिंता के कुछ निम्न प्रभाव हो सकते हैं:

 

• साँस में दिक़्क़त

 

जब कोई व्यक्ति अत्यधिक चिंता करता हैं तो उसकी साँस छोटी, उथली और तेज़ हो जाती है। इससे साँस में ली गई ऑक्सीजन की मात्रा व्यक्ति द्वारा छोड़ी गई कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा से अधिक होती है। कार्बन डाइऑक्साइड की अधिक मात्रा मस्तिष्क की रक्त आपूर्ति को कम कर सकती है, जिससे चक्कर आना, झुनझुनी या हाथ या पैर में सुन्नता या बेहोशी हो सकती है। चिंता अस्थमा के लक्षणों को भी बदतर कर सकती है। वायुमार्ग की सूजन या क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) से ग्रसित मरीजों को भी तनाव के कारण बार-बार अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता हो सकती है।

 

• पेट और आंतों के विकार

 

लगातार चिंता से पुरानी पाचन और मलत्याग संबंधी समस्याएं जैसे पेट में दर्द, अत्यधिक सूजन या पेट में ऐंठन, दस्त, इरिटेबल बाउल सिंड्रोम, और उल्टी हो सकती हैं।

 

• प्रतिरक्षा तंत्र पर असर

 

बार-बार स्ट्रेस हार्मोन के स्राव और लड़ाई या उड़ान प्रतिक्रिया से मुकाबला करने से आपके शरीर को बीच में सामान्य आराम की स्थिति में लौटने का समय नहीं मिल पता, जिससे आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली बीमारी और वायरल संक्रमणों की चपेट में आ जाती है।

 

• दिल की बीमारी

 

आमतौर पर चिंता के दौरान व्यक्ति को दिल की धड़कन और सांस में तेज़ी महसूस होती हैं। लगातार उच्च स्ट्रेस हार्मोन की वजह से उच्च रक्तचाप और हृदय रोग या दिल के दौरे जैसी कोरोनरी बीमारियाँ के होने का ख़तरा बढ़ जाता हैं।

 

• मांसपेशियों में तनाव और पुराना दर्द

 

बार-बार तनाव की स्थिति में प्रमस्तिष्क (Amygdala) आपके केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में बार-बार संकट के संकेत आपकी मांसपेशियों को संकुचित या कसने पर प्रतिबंधित करते हैं। लगातार मांसपेशियों में तनाव से मांसपेशियों में ऐंठन, अकड़न या दर्द हो सकता है और यह दर्द पूरे शरीर में फैल सकता है। इसके परिणामस्वरूप आपके शरीर में पुराने दर्द फिर से उत्पन्न हो सकते हैं जैसे कि जोड़ों का दर्द, गठिया, या फ़ाइब्रोमायलज़िया।

 

• याददाश्त खोना

 

यदि आप लगातार चिंतित रहते हैं या सामान्यीकृत चिंता विकार (GAD) से ग्रसित हैं, तो यह आपकी अल्पकालिक या कामकाजी स्मृति को प्रभावित कर सकता है। इसके परिणामस्वरूप, आप स्वयं को बार-बार गलतियाँ करते हुए पा सकते हैं, महत्वपूर्ण अपॉइंटमेंट को भूल सकते हैं, और व्यस्त कार्यक्रम का सामना करने में दिक़्क़त महसूस कर सकते हैं। जब ऐसा लगातार होता है, तो आप कार्यस्थल या घर पर महत्वपूर्ण निर्णय लेने में कठिनाई महसूस करते हैं और स्कूल या कार्यालय में आपके प्रदर्शन पर गंभीर असर दिख सकता है। इससे फलस्वरूप आप अधिक चिंतित हो जाते हैं, और अवसाद से ग्रसित हो सकते हैं।

 

• वजन बढ़ना

 

जब आप बार-बार चिंतित होते हैं, तो आपका मस्तिष्क आपके शरीर में एड्रेनालिन और कोर्टिसोल हार्मोन का अधिक स्राव करता है। यह अधिक स्राव आपको चॉकलेट, पेस्ट्री या केक जैसे मीठे आरामदायक खाद्य पदार्थों और अधिक चीनी वाले पेय पदार्थों के सेवन के लिए बाध्य करता है। इसके परिणामस्वरूप आपके रक्त शर्करा के स्तर में वृद्धि और बाद में गिरावट के कारण नमकीन और मीठे खाद्य पदार्थों के लिए लगातार लालसा बनी रहती है। लगातार चिंता और हॉर्मोन के उच्च स्तर के इस अंतहीन रोलर-कोस्टर से आपका वजन और मोटापा बढ़ सकता है।

 

चिंता और अवसाद (depression) ऊर्जा की दो अलग-अलग अवस्थाएँ (उच्च और निम्न) हैं जो भय, असहायता की भावना, दैनिक गतिविधियों पर अनियंत्रण, और हताशा या निराशा के एक सामान्य चक्र से जुड़ी हैं। बिना इलाज के लंबे समय तक चिंता विकार अवसाद की स्थिति पैदा कर सकते हैं। हालांकि, प्यार और परिवार के समर्थन, ध्यान और कई अन्य तकनीकों का उपयोग करके चिंता की समस्या को दूर किया जा सकता है। यदि आप लगातार चिंतित हैं तो इसे नज़रअंदाज़ ना करें और जितनी जल्दी हो सके अपने डॉक्टर से उचित परामर्श लें।

 

This blog is a Hindi version of English written Blog - The Dark Side Of Anxiety: 7 Effects Of Anxiety On The Body

 
Medanta Medical Team
Back to top