भारत में धूम्रपान कोई नई समस्या नहीं है। भारतीयों ने विभिन्न आकार और रूपों में तंबाकू जैसे हुक्का और बीड़ी से लेकर तंबाकू के पत्ते तक का सेवन किया है और करते रहे हैं।
हालाँकि, तंबाकू के सेवन से पूरे विश्व में 6 मिलियन से अधिक लोगों की मृत्यु हर साल होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुमान के अनुसार पूरे विश्व में 21वीं सदी के अंत तक तम्बाकू के सेवन से समय से पहले होने वाली मौतों की संख्या 1 अरब तक हो सकती है, इसीलिए यह बहुत ज़रूरी हो जाता है कि धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों को इस खतरनाक आदत को छोड़ने के लिए उचित तरीके अपनाने चाहिए।
सिगरेट के धुएँ में 4000 से अधिक जहरीले रसायन मौजूद होते हैं, जिनमें से 69 कार्सिनोजन या कैंसर पैदा करने वाले कारक माने जाते हैं। धूम्रपान में उपस्थित निकोटीन रसायन की वजह से यह लत लगाने वाला होता है। यह वह रसायन है जो आपके सिगरेट के पहले ही कश को लेने के 6 सेकंड के भीतर आपके मस्तिष्क तक पहुँचता है।
निकोटीन के अलावा सिगरेट में मौजूद कई रसायन आपके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं, जैसे कि:
इसे ई-सिगरेट के रूप में भी जाना जाता है, ये निकोटीन-डिलीवरी उपकरणों के रूप में वर्गीकृत उत्पाद होते हैं जो हीटिंग के माध्यम से निकोटीन और सुगंधित रसायनों को एरोसोल के रूप में छोड़ते हैं। आजकल बड़ी संख्या में भारतीय अपनी सिगरेट पीने की आदतों को कम करने के लिए ई-सिगरेट का उपयोग करते हैं, जिसे "वेप" कहा जाता है।
लेकिन, क्या धूम्रपान की लत छोड़ने के लिए वैपिंग सच में एक स्वस्थ विकल्प है?
विज्ञान, इंजीनियरिंग और मेडिसिन की राष्ट्रीय अकादमियों की एक रिपोर्ट के अनुसार ई-सिगरेट पारंपरिक सिगरेट की तुलना में कम हानिकारक हैं, जो गर्म होने पर पर कई तरह के हानिकारक रसायनों का उत्पादन करती है, जो कई गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकती हैं।
अक्सर लोग ई-सिगरेट को पारंपरिक सिगरेट के लिए एक स्वस्थ विकल्प मानते है, प्रारंभिक शोध और अमेरिका में नए पंजीकृत मामलों के अनुसार ई-सिगरेट के भारी उपयोगकर्ताओं में फेफड़ों की समस्याओं में वृद्धि के केस सामने आए हैं। ई-सिगरेट और वैपिंग से जुड़ी हुई संभावित चिकित्सीय जटिलताओं के कारण भारत सरकार ने ई-सिगरेट की बिक्री पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव भी दिया है।
अमेरिका ने फेफड़ों की क्षति, रक्त स्वास्थ्य, और अन्य स्वास्थ्य स्थितियों संबंधित कम से कम 100 नए मामलों की सूचना दी है, जिसके लिए वे वैपिंग को जिम्मेदार मान रहे हैं।
फेफड़ों के स्वास्थ्य पर प्रभाव - अत्यधिक वैपिंग की वजह से होने वाले विभिन्न पल्मोनरी रोगों का पता लगाने के लिए अनुसंधान चल रहा है। ज्यादातर लोग जो इससे बीमार हुए है, उनमें से कुछ अस्पताल में भर्ती है, और कुछ गहन देखभाल और चिकित्सा निगरानी में हैं। ऐसा भी संदेह है कि ई-सिगरेट की एरोसोल में मौजूद रसायन फेफड़ों के ऊतकों में गंभीर क्षति और सूजन पैदा कर सकते हैं। इसके कारण उत्पन्न हुए लक्षणों में साँस लेने में कठिनाई, छोटी-छोटी साँस आना, या सीने में दर्द, बुखार, खांसी, उल्टी और दस्त शामिल हैं।
मस्तिष्क के स्वास्थ्य पर प्रभाव - कुछ रिसर्च के अनुसार ई-सिगरेट में मौजूद रसायन मस्तिष्क की स्टेम कोशिकाओं में तनाव प्रतिक्रिया उत्पन्न करते हैं। ई-सिगरेट के इन हानिकारक घटकों से थोड़ी देर के संपर्क से भी कोशिका मृत्यु या न्यूरोडीजेनेरेटिव रोगों की शुरुआत हो सकती है। ई-सिगरेट में निकोटीन का उच्च स्तर "निकोटीन फ़्लोडिंग” का कारण बनता है, जिसके कारण मस्तिष्क के विशेष रिसेप्टर्स खुल जाते हैं जो कैल्शियम और अन्य आयनों को मस्तिष्क में प्रवेश की अनुमति देते हैं। इससे कोशिकाओं के कार्यों में बदलाव होता है, जिससे कोशिकाएँ टूट सकती हैं या उनसे रिसाव हो सकता हैं, जिससे कोशिका की मृत्यु हो सकती है। यह आपकी याददाश्त, सीखने और कॉग्निटिव कार्यों को प्रभावित कर सकता है।
मिर्गी का दौरा (seizures) - फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) विशेष रूप से युवाओं में ई-सिगरेट, या मिर्गी के साथ वैपिंग के बीच मौजूद संभावित लिंक पर शोध कर रहा है। हालांकि इनके मध्य कोई वैज्ञानिक लिंक अभी तक स्थापित नहीं किया गया है, परंतु यह निकोटीन विषाक्तता के कारण हो सकता है। तरल निकोटीन, जब निगल लिया जाता है या त्वचा के माध्यम से अवशोषित होता है, तो व्यक्ति को मिर्गी के दौरे पड़ सकते हैं। अभी तक रिपोर्ट किए गए सीजर्स के मामलों में वास्तविक कारण का पता लगाने के लिए अभी भी अनुसंधान चल रहा है।
रक्त की हेल्थ - हाल ही में की गई रिसर्च से पता चला है कि वैपिंग आपके रक्त वाहिकाओं के कार्यों को अस्थायी रूप से प्रभावित कर सकती है। कई शोधकर्ता अभी भी कार्डियोवैस्कुलर कार्यों में हुए ऐसे परिवर्तनों के लिए जिम्मेदार रासायनिक घटको का पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं।
हालांकि वेपिंग को धूम्रपान की तुलना में अधिक सुरक्षित माना जाता है, परंतु यह पूरी तरह से सुरक्षित विकल्प नहीं होता है। फेफड़ों के स्वास्थ्य पर एयरोसोलिज्ड रसायनों के प्रभाव को समझने के लिए अभी भी रिसर्च चल रहे हैं। कुछ अध्ययनों के अनुसार ई-सिगरेट में इस्तेमाल होने वाले फ्लेवरिंग पॉड लगातार इस्तेमाल के साथ फेफड़ों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डाल सकते हैं। हाल के चिकित्सा मामलों और साथ में ई-सिगरेट की बिक्री और उपयोग के बारे में सरकार की बढ़ती चिंता को देखते हुए यह सुझाव देते हैं कि ई-सिगरेट सही गतिविधि नहीं है। यदि आप फेफड़ों की सूजन के किसी भी लक्षण को महसूस करते हैं, खासकर जब आप वैपिंग कर रहे हो, तो अपने डॉक्टर से तुरंत परामर्श करें।
Related articles
Prev ल्यूकोडर्मा क्या...
Next Know Constipation in Children, Relief Methods ...