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क्या तनाव (stress) पुरुषों को अलग तरह से प्रभावित करता है?

क्या तनाव (stress) पुरुषों को अलग तरह से प्रभावित करता है?

हम सभी को तनाव कभी ना कभी प्रभावित करता है। दैनिक जीवन के कुछ ऐसी घटनाएँ जैसे समय सीमा पर काम को पूरा करना, अपनी पूँजी का प्रबंधन, या रिश्ते में आयी समस्या से निपटना, में आपको तनाव के लक्षण महसूस हो सकते हैं। हालाँकि थोड़ा तनाव सामान्य होता है, लेकिन लंबे समय तक बहुत अधिक तनाव आपके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डाल सकता है। 

 

तनाव क्या होता है? 

 

जब किसी व्यक्ति पर चारों ओर का दबाव (काम, परिवार, रिश्ते, आमदनी आदि से संबंधित) जब उनसे निपटने की क्षमता से अधिक हो जाता है, तो इसे तनाव के रूप में जाना जाता है। तनाव मुख्यतः दो प्रकार का होता है: यूस्ट्रेस, जिसे लाभकारी तनाव भी कहा जाता है जो लोगों को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करता है और दूसरा प्रकार निराशा (distress), जिसे अनुपयोगी या हानिकारक तनाव भी माना जाता है, जिसका बहुत अधिक स्तर व्यक्ति में मानसिक और शारीरिक समस्याओं का कारण बन सकता है। 

 

क्या तनाव पुरुषों और महिलाओं पर अलग-अलग तरह से प्रभाव डालता है?

 

साइकोलॉजिकल रिव्यू के जुलाई 2000 में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, हालांकि पुरुष और महिला दोनों ही विभिन्न प्रकार के तनाव का सामना करते हैं, और वे दोनों ही तनाव से अलग-अलग तरीके से निपटते हैं। इसका मुख्य कारण दोनों लिंगों के बीच में मौजूद हार्मोनल अंतर होता है। तनाव के समय, कॉर्टिसोल, एपिनेफ्रिन और ऑक्सीटोसिन हार्मोन रक्त प्रवाह में स्रावित होते हैं। कॉर्टिसोल और एपिनेफ्रिन रक्तचाप और रक्त शर्करा के उच्च स्तर के लिए जिम्मेदार होते हैं और प्रतिरक्षा प्रणाली की कार्यक्षमता को कमजोर करते हैं। ऑक्सीटोसिन मस्तिष्क से स्रावित होता है, जो कॉर्टिसोल और एपिनेफ्रिन की उत्पादन को रोकने के संकेत देता है, और अच्छी और आरामदायक भावनाओं को बढ़ावा देता है।

 

महिलाओं में ऑक्सीटोसिन की अधिक मात्रा और उसकी दूसरे प्रजननीय हार्मोनों के साथ जुड़ने की विशेष क्षमता के कारण महिलाएँ तनाव की अवस्था में अपनी देखभाल और पोषण करने के माध्यम से इसका सामना करती हैं। वहीं, पुरुषों में ऑक्सीटोसिन हॉर्मोन कम बनता है, जिससे कई पुरुष तनाव की अवस्था में फाइट और फ्लाइट प्रतिक्रिया देते हैं। जो कि महिलाओं की प्रतिक्रिया से भिन्न होती है, जिसके फलस्वरूप कई पुरुष तनाव को अपने मन में दबाने का प्रयास करते हैं या अपनी समस्याओं से बचने के अलग-अलग तरीके ढूँढते हैं।

 

दुर्भाग्यवश, पुरुषों और महिलाओं दोनों में तनाव के समय हार्मोनल परिवर्तन के परिणाम से उच्च रक्तचाप, रक्त शर्करा स्तरों में वृद्धि और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली जैसी समस्याएँ हो सकती हैं। क्रॉनिक तनाव गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का भी कारण बन सकता है।

 

तनाव पुरुषों को कैसे प्रभावित करता है?

 

हालांकि तनाव पुरुषों और महिलाओं दोनों को समान रूप से प्रभावित कर सकता है, लेकिन इसके उभरने के तरीक़ों में अंतर होने की वजह से पुरुषों में तनाव स्तर अधिक होता है। तनाव एक पुरुष के लिए जीवन के सभी पहलुओं को प्रभावित कर सकता है, जिसमें भावनाएँ, व्यवहार, संज्ञानात्मक (cognitive) क्षमताएँ और शारीरिक स्वास्थ्य शामिल होता हैं। हालांकि तनाव एक व्यक्तिगत अनुभव हो सकता है, जिसके लक्षण और उपचार प्रक्रिया हर व्यक्ति में भिन्न-भिन्न हो सकती हैं। लेकिन यह ध्यान रखें कि दीर्घकालिक तनाव आपके स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर भी डाल सकता है। यदि आपको निम्नलिखित लक्षणों में से कोई भी लक्षण अनुभव हो रहें हो, तो अपने डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें:

 

1. भावनात्मक लक्षण

  • अत्यधिक मूड स्विंग्स
  • आसानी से गुस्सा आना और भावुक हो जाना 
  • अपनी भावनाओं पर नियंत्रण खोना
  • मन में अधिक चिंताएँ और बेचैनी महसूस करना 
  • आत्म सम्मान में कमी महसूस करना 
  • ख़ुद को सब से अलग करना 

2. शारीरिक लक्षण

  • ऊर्जा स्तर में कमी लगना 
  • लगातार सिरदर्द रहना 
  • पेट-संबंधी समस्याएँ, जिनमें दस्त, कब्ज, और मतली शामिल हो सकती है
  • बिना कारण मांसपेशियों में दर्द महसूस होना
  • बार-बार सर्दी और जुकाम होना
  • सीने में दर्द और हृदय दर का बढ़ना
  • अनिद्रा
  • सेक्सुअल इच्छा की कमी
  • तनावपूर्ण स्थितियों में घबराहट और कंपन
  • हाथ-पैर ठंडे पड़ना और पसीने आना 
  • मुँह सूखना 
  • तनाव के कारण दांतों को पीसना या जबड़े को भींचना 

3.  मानसिक लक्षण

  • लगातार चिंतित रहना 
  • अत्यधिक सोचना
  • भूलने की समस्या और अव्यवस्थित रहना 
  • ध्यान केंद्रित करने में दिक़्क़त आना 
  • नकारात्मक सोच

4.  व्यवहार संबंधी लक्षण

  • भूख की आदत में बदलाव आना 
  • काम को टालमटोल करना और जिम्मेदारियों से बचना
  • नशीली दवाओं, सिगरेट या शराब का उपयोग ज़्यादा करना 
  • घबराहट भरे व्यवहार जैसे लगातार चहलकदमी करना, नाखून चबाना और हिलना-डुलना प्रदर्शित करना

 

तनाव के दीर्घकालिक प्रभाव क्या हो सकते हैं?

 

प्रतिदिन थोड़ा तनावग्रस्त होना कोई गंभीर समस्या नहीं होती है और इसे आमतौर पर अपने तनाव के कारकों के बारे में जागरूक रहकर और उन्हें नियंत्रित करने के तरीके ढूंढकर सही किया जा सकता है। हालाँकि, चल रहा, क्रॉनिक तनाव कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है जिनमें मुख्य निम्नलिखित हैं:

  • मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ, जैसे कि क्रॉनिक डिप्रेशन, चिंता, और व्यक्तित्व विकार (personality disorders)
  • हृदय रोग, जैसे कोरोनरी हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, अराइथ्मिया, और हार्ट अटैक
  • मोटापा 
  • यौन रोग संबंधी समस्याएँ, जैसे नपुंसकता और शीघ्रपतन
  • त्वचा और बालों से संबंधित समस्याएँ, जैसे मुहाँसे, सोरायसिस, एक्जिमा, अत्यधिक या स्थायी बालों का झड़ना
  • पाचन-तंत्र संबंधी स्थितियाँ, जैसे गैस्ट्रोइसोफेजियल रिफ्लक्स रोग (जीईआरडी), गैस्ट्राइटिस, अल्सरेटिव कोलाइटिस, और आईबीएस (इरिटेबल बाउल सिंड्रोम)
  • कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली, जिससे कारण आप संक्रमण और बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं।

 

क्या तनाव को नियंत्रित किया जा सकता है?

 

हाँ। यदि आप स्वयं को छोटी-छोटी बातों पर तनावग्रस्त होता महसूस करते हैं, तो इस स्थिति में तनाव प्रबंधन रणनीतियाँ आपकी मदद कर सकती हैं, इनमें कुछ निम्नलिखित हैं

  • नियमित शारीरिक व्यायाम 
  • रिलैक्सेशन तकनीक, जिनमें गहरी साँस लेना, ध्यान, योग या ताई ची मुख्य हैं।
  • दोस्तों और परिवार के साथ मेलजोल करना 
  • शौक और अन्य मनोरंजक गतिविधियों में भाग लेना 

 

इन तनाव-मुक्ति गतिविधियों में भाग लेने के अलावा, भरपूर नींद लेना और स्वस्थ, संतुलित आहार खाना भी अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। तम्बाकू और शराब के सेवन से बचना या इनका सेवन कम करना सबसे अच्छा उपाय माना जाता है। इन उपायों को अपनाने के बावजूद भी यदि आपको अपने तनाव को नियंत्रित करना मुश्किल लग रहा है, तो अपने डॉक्टर या विशेषज्ञ से संपर्क करें। आपका डॉक्टर किसी भी संभावित कारण और स्रोत की पहचान करने और आपके तनाव को अधिक सटीक तरीके से नियंत्रित करने में आपकी मदद करेंगे।

Medanta Medical Team
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