एक्सीडेंटल ड्रग पॉइजनिंग: क्या हमारे बच्चे सुरक्षित हैं?
- 30 Jun 2023
- #सामान्य कल्याण
- #स्वास्थ्य जागरूकता
हाल ही में, मेदांता के आपातकालीन विभाग में एक असाधारण विषाक्तता (poisoning) का मामला सामने आया। जिसमें मरीज तीन साल के जुड़वां बच्चे थे, जिन्हें आकस्मिक थायरॉक्सिन विषाक्तता के लिए भर्ती किया गया था। जब इन जुड़वां बच्चों ने अचानक तेज़ बुख़ार, और चक्कर जैसे लक्षण प्रदर्शित करना शुरू किया, तो उन्हें हॉस्पिटल में लाया गया। जब पूछताछ की गई तो यह पता चला कि उन्होंने गलती से दादी के थायरॉइड दवा की 4-5 गोलियों का सेवन कर लिया था।
इस दशक के पहले पांच सालों में, भारत में दवा की अवांछित खुराक या विषाक्तता के 64,000 से अधिक मामले दर्ज हुए। और यह आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है, क्योंकि पाइजन कंट्रोल सेंटर के अनुसार उन्हें हर 60 सेकंड में अकस्मात जुवेनाइल ड्रग पॉइजनिंग के बारे में कॉल प्राप्त होते हैं।
आइए पता करते है कि हमारे राष्ट्र में ये अकस्मात मौतों के बढ़ती संख्या के क्या कारण हैं।
अकस्मात दवा की विषाक्तता तब होती है जब कोई व्यक्ति बहुत बड़ी मात्रा में उन्हें प्रीस्क्राइब नहीं की गई दवाओं या ड्रग का सेवन करता है। बच्चे, अपनी जिज्ञासा के स्वभाव के कारण, इस तरह के अकस्मात सेवन के प्रति बहुत संवेदनशील होते हैं।
बच्चों में अकस्मात दवा की विषाक्तता के अधिकांश मामले तब होते हैं जब:
अगर आपके बच्चे ने अज्ञात दवा के सेवन किया होने का संदेह हो, तो निम्नलिखित लक्षणों पर ध्यान दें:
यदि आपको ऊपर बताए किसी लक्षण का संदेह अपने बच्चे में हो, तो तत्काल चिकित्सा सहायता के लिए अपने निकटतम हॉस्पिटल या डॉक्टर से मदद लें।
हर दवा विषाक्तता के मामले को विशेष उपचार पद्धति की आवश्यकता होती है, लेकिन जब तक मदद आप तक पहुंचती है, आप निम्नलिखित निर्देशों का पालन कर सकते हैं:
1970 में अमेरिका के पॉइजन प्रीवेंशन पैकेजिंग एक्ट के अनुसार, हर दवा की चाइल्ड रेसिस्टेंट पैकेजिंग (सुरक्षा कैप, पंक्चर-रोधी) होनी चाहिए ताकि 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को दवा के अनियंत्रित प्रभाव से बचाया जा सके।
हालांकि, भारत में ऐसे कोई पैकेजिंग नियम लागू नहीं हैं।
मेदांता में टॉक्सोल्जी विशेषज्ञों द्वारा आयोजित एक अध्ययन में पाया गया कि बच्चों में एक्सीडेंटल ड्रग पॉइजनिंग के प्रमुख कारणों में से एक यह है कि दादा-दादी अपनी दवाओं को बच्चों की पहुँच से बाहर रखना भूल जाते हैं। इस अध्ययन में खुलासा हुआ कि 13% दादा-दादी अपनी दवाएँ बेड के पास की मेज़, रसोई की पट्टी, या बाथरूम के वाशबेसिन पर छोड़ देते हैं, जिसके कारण बच्चों के लिए उन्हें आसानी से मिल जाती है।
ये खोज दवा सुरक्षा के मामले में सामान्य जागरूकता फैलाने के साथ-साथ हेल्थ केयर इंडस्ट्री के लिए सुरक्षा परियोजनाओं को तैयार करने की आवश्यकता को दोहराते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि खतरनाक दवाओं को बाल-प्रतिरोधी पैकेजों में पैक किया जाना चाहिए।
हालाँकि जब तक चाइल्डप्रूफ पैकेजिंग नहीं बनती है तब तक सतर्क रहें और बच्चों में ड्रग पॉइजनिंग को रोकने के लिए निम्नलिखित कदम उठाएँ:
बच्चों में एक्सीडेंटल ड्रग पॉइजनिंग की संख्या में स्थिर वृद्धि देखी जा रही है। ऐसे हादसों को रोकने के लिए ड्रग पॉइजनिंग के प्रति जागरूकता फैलाने, बच्चों के आस-पास सतर्क रहने और चाइल्डप्रूफ पैकेजिंग की शुरुआत महत्वपूर्ण कदम होते हैं।
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