Facebook Twitter instagram Youtube
इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम के साथ जीवनयापन के बारे में 7 बातें

इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम के साथ जीवनयापन के बारे में 7 बातें

इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम या आईबीएस, एक सामान्य गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्थिति होती है, जिसमें व्यक्ति के पाचन तंत्र का व्यवहार उसके दैनिक जीवन को प्रभावित करता है। इस स्थिति में वह पेट दर्द, पेट में आफ़रा (bloating), शोच जाते वक़्त पेट में दर्द या असहजता, या दस्त का अनुभव कर सकता है। यह स्थिति इर्रिटेबल बाउल रोग से अलग होती है जिसके परिणामस्वरूप आंतों में सूजन या अल्सर होते हैं। 

 

आईबीएस का ख़तरा किन व्यक्तियों में अधिक होता है?

 

कुछ व्यक्तियों में आईबीएस विकसित होने का खतरा अन्य व्यक्तियों की तुलना में अधिक होता है। हालाँकि यह किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है, परंतु कई कारक इसके विकास के जोखिम को बढ़ा सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • उच्च तनाव स्तर: जो व्यक्ति अपने दैनिक जीवन में उच्च तनाव का सामना करते हैं, वे इस सिंड्रोम के लिये अत्यधिक संवेदनशील होते हैं। यौन या घरेलू दुर्व्यवहार, दर्दनाक जीवन की घटनाएँ और कई मानसिक विकार जैसे कारक आईबीएस का कारण बन सकते हैं। 
  • खाद्य संवेदनशीलता (food sensitivity): संवेदनशील कोलन वाले व्यक्तियों को अपने पाचन तंत्र में काफ़ी परेशानी महसूस होती है, और हालांकि डेयरी, नट्स, वसा और मांस जैसे खाद्य पदार्थ आईबीएस का प्रारंभिक कारण नहीं होते हैं, लेकिन ये इस स्थिति का ट्रिगर घटक हो सकते हैं। 
  • एंटीबायोटिक्स और एंटीडिप्रेसेंट्स: जो व्यक्ति एंटीबायोटिक्स या एंटीडिप्रेसेंट्स की उच्च खुराक का सेवन करते हैं, वे इस स्थिति के प्रति अतिसंवेदनशील हो सकते हैं।
  • हार्मोनल बदलाव: आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली तनाव और संक्रमण के प्रति अलग-अलग प्रतिक्रिया दे सकती है, और ये परिवर्तन आईबीएस के लक्षणों को ट्रिगर कर सकते हैं।

 

इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम के संकेत और लक्षण 

 

आईबीएस से पीड़ित व्यक्ति में इस स्थिति से संबंधित लक्षण बार-बार उत्पन्न होते दिखते हैं, और यदि आपके डॉक्टर ने इस स्थित का निदान किया है तो नीचे बताई कुछ तकनीकों द्वारा आप आईबीएस के साथ स्वस्थ जीवन बिता सकते हैं:

 

  • ख़ुद को आईबीएस स्थिति के बारे में शिक्षित करें:  - हालाँकि आईबीएस आपके जीवन में कई चुनौतियाँ लाता है, फिर भी उचित उपायों के साथ यह स्थिति प्रबंधनीय होती है। अपनी स्थित के बारे में जितना संभव हो उतनी जानकारी प्राप्त करें। जितना अधिक आप इस सिंड्रोम के बारे में जानेंगे, उतना ही आपको इसे मैनेज करने में मदद मिलेगी। किताबें, लेख, या विभिन्न मेडिकल जर्नल पढ़ें, अपने डॉक्टर से इस स्थिति से संबंधित बात करें और इसके बारे में सब कुछ जानें।
  • अपने आहार और उससे संबंधित प्रतिक्रियाओं को ट्रैक करें: - आप कौनसी खाद्य वस्तुओं का सेवन करते हैं, और आपका पाचन तंत्र उनके प्रति क्या प्रतिक्रिया करता है, इस पर नज़र रखना, आईबीएस के कारण होने वाले दर्द से राहत पाने की दिशा में एक अहम चरण होता है। अपने लक्षणों, दवाओं, प्रतिक्रियाओं और बदलावों को एक डायरी में लिखने से आपको अपने शारीरिक कार्यों को बेहतर ढंग से जानने में मदद मिलने के साथ-साथ डॉक्टर को आपकी दवाओं और उपचार में आवश्यक बदलाव करने में भी मदद मिलेगी।
  • अपने डॉक्टर और परिवार के सदस्यों से खुल कर बात करें: - यह समझना आपके लिये आवश्यक है कि आईबीएस कोई कैंसर का प्रकार नहीं है, और यह कभी भी किसी कैंसर का कारण नहीं बन सकता है, और आपको इससे अकेले सामना करने की ज़रूरत नहीं है। आप अपने डॉक्टर, परिवार और दोस्तों से सहायता लें, क्योंकि ये सब ही आपकी सबसे बड़ी सहायता प्रणाली होते हैं। अपने डॉक्टर को अपने दर्द और परेशानी के बारे में खुल कर बतायें, और उनके द्वारा सुझाए गए ख़ान-पान में बदलाव के बारे में  अपने परिवार को भी बतायें।
  • अपना तनाव स्तर को नियंत्रित रखें: - आईबीएस में तनाव एक प्रमुख योगदान कारक होता है। मैडिटेशन और तनाव-नियंत्रण तकनीक आपके द्वारा दिन-प्रतिदिन महसूस होने वाले तनाव को नियंत्रित करने के अच्छे तरीके सिद्ध हुए हैं। अगर आप आईबीएस के लक्षण प्रकट होने पर घबराएंगे तो इससे आपकी हालत और गंभीर हो सकती है। 
  • हर परिस्थिति के लिए तैयार रहें:- आईबीएस से निपटने के लिए आपको थोड़े धैर्य और साहस की ज़रूरत पड़ेगी। अतः जब भी आप घर से बाहर निकले तो यह सुनिश्चित करें कि आप किसी भी परिस्थिति के लिए तैयार हो।

 

नीचे कुछ आवश्यक बातें हैं जिनके बारे में आपको जानकारी होनी चाहिए:

 

  1. जब आप बाहर कही जाते हैं, चाहे वो कोई कार्यक्रम या रेस्तराँ हो, वहाँ निकटतम मौजूद शौचालय के बारे में आपको पता हो 
  2. अगर आप किसी रेस्तराँ में जा रहे हैं, तो अपने आहार में उपयोग आने वाली सामग्री पर ध्यान दें और मेनू से परिचित होना बेहतर होता है
  3. यदि आप किसी थिएटर/संगीत/सेमिनार में गये हों, तो संभव हो सके तो शौचालय तक आसानी से पहुंचने के लिए गलियारे की ओर बैठें
  4. शर्मनाक स्थिति उत्पन्न होने पर उसे स्वीकार करें और शांति से लोगों को अपनी समस्या के बारे में बताएं
  • थेरेपी का विकल्प चुनें: - यदि आपको आईबीएस से उभरने में लगातार परेशानी हो रही है, तो पेशेवर से मदद लेने में हिचकिचाएँ नहीं। आपकी दवा के साथ मनोचिकित्सा उपचार आपको इन परिवर्तनों को आसानी से दूर करने में मदद कर सकती है। यह संज्ञानात्मक व्यवहार (Cognitive Behavioural) थेरेपी का एक हिस्सा होती है और इसमें रिलेक्सेशन थेरेपी, सम्मोहन चिकित्सा और अन्य तरीके शामिल होते हैं। 
  • अपनी दिनचर्या में व्यायाम को शामिल करें: - आपके डॉक्टर के द्वारा सुझाया गया नियमित, हल्का व्यायाम आपको काफ़ी आराम दे सकता है। यह केवल आईबीएस के कारण होने वाले आपके तनाव और चिंता को नियंत्रित करने में आपकी मदद करता हैंबल्कि इसके साथ-साथ इसके कारण होने वाले दर्द को कम करने में भी सहायता करता है।

 

इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम या आईबीएस कोई दुर्लभ समस्या नहीं है और यह किसी भी उम्र और लिंग को प्रभावित कर सकती है। आईबीएस के साथ आरामदायक जीवनयापन करने के लिए आप कई प्रकार के तरीके अपना सकते हैं। इसमें छिपाने या शर्मिंदा होने जैसा कुछ भी नहीं है, और यह सबसे महत्वपूर्ण होता है कि आप अपने लक्षणों को दोष देने के बजाय उन्हें नियंत्रित करने के अथक प्रयासों के साथ जीना शुरू करें।

 

This blog is a Hindi version of an English-written Blog - 7 Things to Know About Living with Irritable Bowel Syndrome

 
Medanta Medical Team
Back to top