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आपको अपने हीमोग्लोबिन के स्तर पर नज़र क्यों रखनी चाहिए?

  • 30 Jul 2023
  • #स्तर कम होने के कारण
  • #स्तर कम होने के लक्षण
  • #हीमोग्लोबिन स्तर

हिमोग्लोबिन (Hb या Hgb) एक प्रकार का प्रोटीन होता है जो रक्त की कोशिकाओं में पाया जाता है, और यह ऑक्सीजन के परिवहन में भूमिका निभाता है। शरीर में हिमोग्लोबिन के कम स्तर के कारण कई बीमारियों के होने का जोखिम बढ़ सकता है।

 

पुरुषों में, 13.2 ग्राम प्रति डेसीलीटर (132 ग्राम प्रति लीटर) से हिमोग्लोबिन का कम स्तर और महिलाओं में, 11.6 ग्राम प्रति डेसीलीटर (116 ग्राम प्रति लीटर) से कम हिमोग्लोबिन स्तर आमतौर पर कई बीमारियों के खतरे को बढ़ा देता है। ये सीमाएँ विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों में थोड़ी अलग-अलग भी हो सकती हैं।

 

सामान्य से थोड़ा कम हिमोग्लोबिन स्तर आमतौर पर आपके भावनात्मक स्थिति पर कम प्रभाव डालती है। एनीमिया अधिक गंभीर और लक्षणात्मक कम हीमोग्लोबिन स्तर का कारण बन सकता है। 

 

हीमोग्लोबिन का स्तर कम होने पर क्या होता है? 

 

यदि कोई स्थिति या कोई विशेष बीमारी आपके शरीर की लाल रक्त कोशिकाओं (आरबीसी) का उत्पादन करने की क्षमता को प्रभावित करती है, तो आपके हीमोग्लोबिन का स्तर कम हो सकता है।

 

जब आपके शरीर में हिमोग्लोबिन का स्तर कम हो जाता है, तो आपके शरीर को कार्य करने के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती, जिससे आपको थकान और कमजोरी महसूस होती है।

 

कम हीमोग्लोबिन का कौन सा स्तर ख़तरनाक हो सकता है?

 

महिलाओं के लिए हिमोग्लोबिन का स्तर 12.3 ग्राम प्रति डेसीलीटर से 15.3 ग्राम प्रति डेसीलीटर के मध्य सामान्य माना जाता है। वही पुरुषों में हिमोग्लोबिन का स्तर 13.5 12 ग्राम/डीएल या उससे कम होने पर खतरनाक कम स्तर माना जाता है, और इसी तरह महिलाओं में हिमोग्लोबिन का स्तर 12 ग्राम/डीएल से कम एक गंभीर रूप से कम हिमोग्लोबिन स्तर होता है। 

 

कम हीमोग्लोबिन का निदान करने के लिए क्या परीक्षण किए जाते हैं? 

 

कम हीमोग्लोबिन स्तर को जाँचने के लिए निम्न सामान्य परीक्षण हैं:

  • पूर्ण रक्त गणना (सीबीसी): यह परीक्षण व्यक्ति के हिमोग्लोबिन के स्तर को मापने के लिए सबसे आम परीक्षण होता है। इसमें रक्त में लाल कणों, सफेद कणों और प्लेटलेट्स की संख्या के साथ ही हिमोग्लोबिन स्तर की माप की जाती है।
  • विटामिन बी12 और फोलेट परीक्षण: ये जाँच रक्त में विटामिन बी12 और फोलेट के स्तर को मापते हैं। इन विटामिनों के कम स्तर हिमोग्लोबिन के उत्पादन में रुकावट ला सकते हैं और साथ में कम हिमोग्लोबिन स्तर की वजह बन सकते हैं।
  • आयरन स्टडीज: ये परीक्षण रक्त में आयरन, फेरिटिन और कुल आयरन बाइंडिंग क्षमता के स्तर का पता लगाते हैं। हिमोग्लोबिन के उत्पादन के लिए आयरन की आवश्यकता होती है, इसलिए आयरन स्टडीज यह निर्धारित करने में मदद कर सकते हैं कि किसी व्यक्ति में आयरन की कमी है या नहीं, जो हिमोग्लोबिन के कम स्तर का कारण हो सकती है।
  • रेटिक्युलोसाइट गणना: यह परीक्षण रक्त में उपस्थित अपरिपक्व लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या को मापता है। कम रेटिक्युलोसाइट गणना से यह पता चलता है कि व्यक्ति का शरीर पर्याप्त मात्रा में लाल रक्त कोशिकाओं को उत्पन्न नहीं कर पा रहा है, जो कम हिमोग्लोबिन स्तर का कारण बनती है। 

 

हीमोग्लोबिन का स्तर कम होने का क्या कारण होता है? 

 

हीमोग्लोबिन के स्तर को कई कारक प्रभावित करते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • व्यक्ति का ख़ान-पान: हिमोग्लोबिन के स्तर को सामान्य बनाए रखने के लिए संतुलित और पोषक भोजन का सेवन महत्वपूर्ण होता है। हिमोग्लोबिन स्तर बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों में लाल मांस, मुर्गी, मछली, बीन्स, मसूर की दाल, फ़ॉर्टिफ़ाइड ब्रेड और सीरियल्स, और हरी पत्तेदार सब्जियाँ शामिल होती हैं, जो हिमोग्लोबिन उत्पादन में अहम भूमिका रखते हैं।
  • आयु: हिमोग्लोबिन का स्तर युवाओं में ज़्यादा होता है, और उम्र के साथ हीमोग्लोबिन का स्तर स्वाभाविक रूप से कम होता जाता है। क्योंकि व्यक्ति में उम्र के साथ लाल रक्त कोशिकाओं उत्पादन कम हो जाता है, जिससे हिमोग्लोबिन स्तर कम हो सकता है।
  •  हाइड्रेशन: स्वस्थ हिमोग्लोबिन स्तर बनाए रखने के लिए पर्याप्त पानी पीना एक महत्वपूर्ण कदम माना जाता है। शरीर में डीहाइड्रेशन हिमोग्लोबिन के स्तर को कम करता है, इसलिए पर्याप्त तरल पदार्थों, विशेषतः पानी, का सेवन करना हिमोग्लोबिन के स्तर को सामान्य रखने के लिए महत्वपूर्ण होता है।
  • व्यायाम: नियमित शारीरिक गतिविधि हिमोग्लोबिन स्तर को सामान्य बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती है। व्यायाम शरीर में ऑक्सीजन की माँग को बढ़ाता है, जो लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को प्रेरित करता है, जिसमें हिमोग्लोबिन का उत्पादन भी शामिल होता है।
  • स्वास्थ्य स्थितियाँ: कुछ चिकित्सीय स्थितियाँ, जैसे एनीमिया, हिमोग्लोबिन के स्तर को कम कर सकती हैं। हिमोग्लोबिन के कम स्तर के इलाज अंतर्निहित कारण के उपचार पर निर्भर करता है।

 

लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को क्या प्रभावित करता है?

 

आपकी अस्थि मज्जा वह स्थान है जहाँ पर सभी प्रकार की रक्त कोशिकाएँ बनती हैं। निम्नलिखित विभिन्न स्थितियाँ, बीमारियाँ और अन्य कारक लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को प्रभावित कर सकते हैं:

  • लिम्फोमा: लसीका तंत्र (lymphatic system) के कैंसर को लिम्फोमा कहते हैं। अस्थि मज्जा में लिम्फोमा कोशिकाएँ लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में भी रुकावट उत्पन्न कर सकती हैं, जिससे लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या कम हो सकती है।
  • ल्यूकेमिया: ल्यूकेमिया एक रक्त और अस्थि मज्जा का कैंसर होता है। अस्थि मज्जा में ल्यूकेमिया कोशिकाएँ लाल रक्त कोशिकाओं की उत्पादन को प्रभावित कर सकती हैं।
  • एनीमिया: विभिन्न प्रकार की एनीमिया में हिमोग्लोबिन का कम स्तर एक सामान्य लक्षण होता है। उदाहरण के लिए, लोगों में अप्लास्टिक एनीमिया होने पर, अस्थि मज्जा में स्टेम कोशिकाएँ पर्याप्त रक्त कोशिकाएँ ही नहीं बनाती हैं। उसी तरह, पर्निशियस एनीमिया तब उत्पन्न होता है जब एक ऑटोइम्यून विकार के कारण आपका शरीर विटामिन बी12 को अवशोषित करने में असक्षम होता है। यदि आपको पर्याप्त मात्रा में विटामिन बी12 नहीं मिलता है, तो आपका शरीर लाल रक्त कोशिकाएँ उत्पन्न नहीं कर पाएगा।
  • मल्टीफॉर्म मायलोमा: मल्टीपल मायलोमा में असामान्य प्लाज्मा कोशिकाएँ होती हैं, जो आपके शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की जगह ले सकती हैं।
  • माइलोडिसप्लास्टिक कोशिका सिंड्रोम: यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब आपकी रक्त स्टेम कोशिकाएँ स्वस्थ रक्त कोशिकाओं में परिपक्व नहीं हो पाती हैं।
  • किडनी की स्थायी बीमारी: आपकी किडनी एक ऐसा हार्मोन उत्पन्न करती है जो आपके अस्थि मज्जा को लाल रक्त कोशिकाएँ उत्पन्न करने के लिए संकेत देती है। क्रोनिक किडनी रोग इस प्रक्रिया पर असर डालता है और लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को प्रभावित करता है।
  • वायरस के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाएँ: ये दवाएँ कुछ वायरसों का इलाज में उपयोग आती हैं। इन दवाओं द्वारा आपकी अस्थि मज्जा को नुक़सान पहुँचा सकती है, जिससे यह पर्याप्त लाल रक्त कोशिकाएँ उत्पादन की क्षमता खो सकती है।
  • कीमोथेरेपी: कीमोथेरेपी आपकी अस्थि मज्जा की कोशिकाओं पर नकारात्मक असर डाल सकता है, जिससे वे लाल रक्त कोशिकाएँ उत्पन्न करने की क्षमता कम हो सकती हैं। 

 

लाल रक्त कोशिका के जीवनकाल को कौन से कारक प्रभावित करते हैं?

 

आपकी हड्डी मज्जा लगातार लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन करती है। लाल रक्त कोशिकाओं का जीवनकाल लगभग 120 दिन होता है और उसके बाद वे रक्त प्रवाह से बाहर हो जाती हैं। कुछ कारक लाल रक्त कोशिकाओं के जीवनकाल को प्रभावित करते हैं, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:

  • वृद्ध हुई तिल्ली (स्प्लेनोमेगली): तिल्ली (spleen) लाल रक्त कोशिकाओं को रक्त से छानने का कार्य करती है। कुछ बीमारियों के कारण हमारी तिल्ली का आकार बढ़ जाता है। जब ऐसा होता है, तो आपकी तिल्ली आम से अधिक लाल रक्त कोशिकाओं को अपने पास रोक लेती है, जिससे उन कोशिकाओं का जीवनकाल समय से पहले समाप्त हो जाता है।
  • सिकल सेल एनीमिया एक रक्त रोग होता है जो आपके लाल रक्त कोशिकाओं और हिमोग्लोबिन स्तर को प्रभावित करता है।
  • थैलेसीमिया: यह रक्त विकार आपके शरीर की हिमोग्लोबिन और लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन की क्षमता को प्रभावित करते हैं। 

 

हीमोग्लोबिन का कम स्तर के लक्षण

 

हीमोग्लोबिन का स्तर कम होने के लक्षण इतने हल्के हो सकते हैं कि आप सामान्यतः उन्हें महसूस नहीं कर पाते। कम हीमोग्लोबिन के कारण के आधार पर, आपको निम्न लक्षण महसूस हो सकते हैं:

  • चक्कर आना और नींद ज़्यादा आना
  • तेज या असामान्य दिल की धड़कन
  • सिरदर्द
  • हड्डियों, पेट, सीने और जोड़ों में दर्द महसूस होना 
  • बच्चों और किशोरों में विकास में समस्याएँ आना 
  • सांस में दिक़्क़त 
  • फीकी या पीली त्वचा
  • हाथ और पैर ठंडे रहना 
  • थकान या कमजोरी अनुभव होना 

 

निष्कर्ष

आपकी रक्त में मौजूद लाल रक्त कोशिकाएँ हीमोग्लोबिन को वहन करती है और आपके श्वसन तंत्र से विभिन्न शरीर कोशिकाओं तक ऑक्सीजन ले जाती हैं। हीमोग्लोबिन की संरचना चार आपस में जुड़े हुए प्रोटीन अणुओं से मिलकर बनी होती है। हमारे शरीर को सही ढंग से काम करने के लिए हीमोग्लोबिन के स्तर को ध्यान में रखना आवश्यक है। यदि आप किसी को ऊपर बताए लक्षणों से ग्रसित पाते हैं, तो आपको तत्काल उपचार के लिए डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।




Medanta Medical Team
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