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आई फ्लोटर्स क्या होते हैं और यह आपकी दृष्टि को कैसे प्रभावित कर सकते हैं।

हालाँकि ये वातावरण में बहते हुए वस्तुओं की तरह दिखते हैं, पर असल में आई फ्लोटर्स या आई फ्लैश आपके आँखों के अंदर ही उपस्थित होते हैं। ये रेखाओं, धब्बों, या मकड़ी के जाले की रेखाओं जैसे दिखते हैं जो आपके नज़र के साथ-साथ चलते हैं। सामान्यत यह काले या स्लेटी रंग के धब्बों के रूप में दिखाई देते हैं जो आपकी आंखों को इधर-उधर धूमने पर साथ घूमते हैं, और यह आपकी टकटकी का भी अनुसरण करते हैं। 

 

आई फ्लैश और आई फ्लोटर्स के बीच इकलौता अंतर यह है कि आई फ्लैश आमतौर पर रात में या अंधेरे में दिखते हैं, वही दूसरी और आई फ्लोटर्स दिन के समय आँखों के सामने महसूस होते हैं।

 

आई फ्लैश और आई फ्लोटर्स दिखने के मुख्य कारण क्या हैं?

 

आपकी आँखों के लगभग 80% भाग में विट्रियस नामक जेल जैसा पदार्थ भरा होता है। जब यह विट्रियस जेल सिकुड़ता है तो यह अपना स्वभाविक गोल आकार खो देता है, और रेशेदार हो जाता है जो रेटिना पर छोटी-छोटी छाया उत्पन्न करता है। इन छायाओं को आई फ्लोटर्स कहते हैं। ये आई फ्लोटर्स अंततः आपकी दृष्टि की रेखा के नीचे बस जाते हैं और शुरुआत में देखने में मामूली व्यवधान पैदा कर सकते हैं। 

 

वही आई फ्लैश के मामले में, आपकी आंखों में प्रवेश करने वाला प्रकाश आँखों की रेटिना को उत्तेजित करता है जिसके फलस्वरूप एक विद्युत आवेग उत्पन्न होता है जो मस्तिष्क को भेजा जाता है। मस्तिष्क इस आने वाले विद्युत आवेग को प्रकाश या किसी छवि के रूप में अनुवादित करता है। इसे फोटोप्सिया या आई फ्लैश कहते है। और यह रेटिना के नुकसान की गंभीरता के आधार पर अल्पकालिक या लंबे समय तक हो सकता है। 

 

अगर यह लंबे समय तक बना रहता है या इसमें दर्द शुरू हो जाता है, तो यह संभावना अधिक है की आई फ्लैश संक्रमण, रक्तस्राव, आंखों की चोट, या रेटिना के फटने (retinal tear) के कारण उत्पन्न हुआ है। ऐसी स्थिति में नेत्र रोग विशेषज्ञ से तुरंत परामर्श करने की सलाह दी जाती है। 

 

किन व्यक्तियों को आई फ्लैश और आई फ्लोटर्स होने का ख़तरा अधिक होता है?

 

आई फ्लोटर्स होने के जोखिम करको में से कुछ निम्न है:

  • 50 वर्ष से अधिक आयु का होना
  • निकट दृष्टि दोष
  • आँखों में चोट लगना 
  • मधुमेह संबंधी रेटिनोपैथी
  • आँख में सूजन आना 
  • मोतियाबिंद सर्जरी से होने वाली जटिलताएँ 

 

आई फ्लैश और आई फ्लोटर्स के क्या लक्षण होते हैं?

 

आई फ्लोटर्स और आई फ्लैश के कुछ मुख्य लक्षण निम्नलिखित हैं:

  • आपको आपकी दृष्टि में छोटे, जाले जैसी आकृतियाँ जो गहरे धब्बे या तैरती हुई पारदर्शी डोरियों के रूप में, दिखाई देती हैं।
  • एक धब्बा या स्पॉट जो आपकी नज़र का अनुसरण करते प्रतीत होता है, और जब आप उन्हें गौर से देखने की कोशिश करते हैं, तो वे आपकी नज़र से तुरंत बाहर चले जाता है।
  • जब आप एक सादे उज्ज्वल पृष्ठभूमि की तरफ़ देखते हैं, जैसे नीला आकाश या सफेद दीवार, तब यह धब्बा या स्पॉट अधिक स्पष्ट महसूस होता है।
  • छोटी-छोटी संरचनाएँ या धागे धीरे-धीरे बैठ जाते हैं और नज़र की सीमा से बाहर निकल जाते हैं।

 

आई फ्लैश और आई फ्लोटर्स कब चिंता का विषय बन सकते हैं?

 

कभी-कभी आई फ्लोटर्स या आई फ्लैश अधिक गंभीर आँख की समस्या की तरफ़ इशारा करते हैं, जिसके कारण दृष्टि हानि हो सकती है। विट्रियस के सिकुड़ने से रेटिना में खिंचाव उत्पन्न हो सकता है, जिसके फलस्वरूप रेटिना को अपनी जगह पर रखने वाले ऊतक अपनी जगह से अलग हो सकते है या फट सकते है। इसे रेटिनल टीयर या रेटिनल डिटेचमेंट कहते है और आमतौर पर यह दर्द रहित होता है लेकिन दृष्टि के स्थायी नुकसान का कारण बन सकता है। 

 

चिन्ताजनक संकेत निम्न हैं:

  • आई फ्लोटर्स या आई फ्लैश का एक नया सेट
  • नज़र पर धीरे-धीरे छाया का एहसास होना (जैसे कोई पर्दे को खींच रहा है)
  • मैक्युलर डिजेनेरेशन के कारण तेज दृष्टि में अचानक गिरावट (मैक्युला तेज दृष्टि के लिए जिम्मेदार रेटिना का एक क्षेत्र होता है)

 

यदि आपको उपरोक्त लक्षणों में से किसी भी लक्षण का अनुभव हो रहा है, तो आपको तुरंत नेत्र रोग विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए। 

 

आई फ़्लोटर से कैसे छुटकारा प्राप्त करें?

 

आमतौर पर आई फ़्लोटर्स या फ्लैश को किसी चिकित्सीय इलाज की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन अगर वे इतने घने हो चुके हैं कि वे आपकी दिन-प्रतिदिन की दृष्टि को प्रभावित कर रहे हैं, तो आपका नेत्र सर्जन विट्रोक्टोमी नामक सर्जरी का सुझाव दे सकता है। 

 

विट्रोक्टोमी प्रक्रिया में आपकी आंखों में सभी तैरते कणों के साथ विट्रियस जेल को हटा देता है, और इसको  नमक के घोल से बदल देते है। यह शल्य प्रक्रिया आपको बिलकुल प्रभावित नहीं करता क्योंकि अधिकांश विट्रीस जेल केवल तरल होता है और इससे आपकी आंखों पर कोई असर नहीं होगा। 

 

आई फ्लोटर्स से छुटकारा पाने का एक और इलाज लेजर थेरेपी होता है जिसमें आपकी आंखों में फ्लोटर्स को लेजर द्वारा तोड़ना शामिल होता है। हालाँकि, यह थेरेपी अभी भी अपने प्रायोगिक चरण में है और हो सकता है कि आपके नेत्र सर्जन द्वारा इसकी सलाह दी जाए। अगर सही तरीके से नहीं किया गया तो यह रेटिना को नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसी किसी भी प्रक्रिया को चुनने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें।

 

अपनी आँखों के स्वास्थ्य का ध्यान कैसे रखें?

 

एक अच्छी नेत्र देखभाल दिनचर्या का पालन करने से आप आँखों से संबंधित कई बीमारियों से बचाव कर सकते है। 

  • आंखों की जांच नियमित रूप से करवाते रहें 
  • एक स्वस्थ आहार जैसे फल, सब्जियाँ और प्रोटीन का सेवन करें 
  • खुद को हाइड्रेटेड रखें
  • सुरक्षात्मक चश्मा पहनकर ही धूप में निकलें
  • अपनी आंखों को आराम दें और जितना हो सके डिजिटल स्क्रीन देखने से बचें

 

नेत्र देखभाल की अच्छी दिनचर्या आपकी आँखों को लंबे समय तक स्वस्थ रखने में मदद कर सकती है। हालांकि, यदि आपको नज़र से संबंधित कोई भी लक्षण महसूस होता है, तो तुरंत नेत्र रोग विशेषज्ञ से परामर्श करें। 

Medanta Medical Team
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