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मूत्राशय (ब्लैडर) कैंसर के बढ़ते केसेज एवं धूम्रपान का प्रभाव

मूत्राशय (ब्लैडर) कैंसर के बढ़ते केसेज एवं धूम्रपान का प्रभाव

मूत्राशय (यूरिनरी ब्लैडर) का कैंसर आजकल काफी आम हो गया है। यह बीमारी मुख्य रूप से बुजुर्ग लोगों में देखी जाती है, लेकिन अब 30-40 वर्ष की आयु वाले युवाओं में भी यह समस्या दिखाई दे रही है। मेदांता गुरुग्राम के डॉ. गगन गौतम बताते हैं कि कभी-कभी मूत्राशय में ट्यूमर विकसित हो सकता है, जिससे मूत्र में रक्त आने लगता है और इलाज की आवश्यकता होती है।

धूम्रपान और मूत्राशय कैंसर का संबंध

डॉ. गगन गौतम के अनुसार, मूत्राशय कैंसर का सबसे आम कारण धूम्रपान है। अधिकांश लोगों को इस बारे में जानकारी नहीं होती और वे मानते हैं कि धूम्रपान मुख्य रूप से मुंह या फेफड़ों के कैंसर से जुड़ा है, जो सही भी है। लेकिन जब हम धूम्रपान करते हैं, तो धुएं में मौजूद कैंसर पैदा करने वाले रसायन (कार्सिनोजेन्स) रक्त में अवशोषित हो जाते हैं और फिर मूत्र के माध्यम से मूत्राशय में एकत्रित हो जाते हैं।

इससे मूत्राशय की अंदरूनी परत में जलन और सूजन होती है, जिससे ब्लैडर कैंसर विकसित हो सकता है। डॉ. गौतम बताते हैं कि ब्लैडर कैंसर के लगभग 50% मामलों का कारण धूम्रपान होता है।

मूत्राशय कैंसर के लक्षण

मूत्राशय कैंसर के मरीजों में सबसे पहला और आम लक्षण मूत्र में रक्त आना होता है। डॉ. गगन गौतम बताते हैं कि विशेष रूप से, मूत्र में रक्त आने पर अक्सर दर्द या जलन नहीं होती, हालांकि कभी-कभी ये लक्षण भी हो सकते हैं।

इसलिए, अगर आपको या आपके किसी करीबी को मूत्र में रक्त आने की शिकायत है, तो इसे नजरअंदाज न करें। कई लोग इसे मूत्र संक्रमण समझकर छोड़ देते हैं, लेकिन कई मामलों में यह ब्लैडर कैंसर का संकेत हो सकता है। ऐसी स्थिति में उचित जांच और सलाह के लिए तुरंत यूरोलॉजिस्ट से मिलना चाहिए।

मूत्राशय कैंसर का निदान

डॉ. गौतम बताते हैं कि जब मूत्राशय से संबंधित कोई लक्षण होते हैं, जैसे मूत्र में जलन या रक्त आना, तो डॉक्टर कुछ बुनियादी परीक्षण करेंगे:

  • मूत्र परीक्षण: मूत्र संक्रमण की जांच के लिए

  • यूरिन कल्चर: संक्रमण के प्रकार की पहचान के लिए

  • अल्ट्रासाउंड: मूत्राशय की छवि देखने के लिए

अगर इन परीक्षणों में कोई संदेह नजर आता है, तो मूत्र में रक्त आने की स्थिति में एक और जांच की जाती है, जिसे सिस्टोस्कोपी कहते हैं। इसमें एक पतली एंडोस्कोपी (दूरबीन) के माध्यम से मूत्राशय के अंदर देखा जाता है, यह पता लगाने के लिए कि क्या वहां कोई ग्रोथ या ट्यूमर है।

मूत्राशय कैंसर का उपचार

डॉ. गगन गौतम के अनुसार, मूत्राशय कैंसर का उपचार कैंसर के प्रकार और स्टेज पर निर्भर करता है:

  • प्रारंभिक अवस्था के कम आक्रामक ट्यूमर: इन्हें दूरबीन के माध्यम से या एंडोस्कोपिक ऑपरेशन करके निकाला जा सकता है। कभी-कभी इलाज के लिए मूत्राशय में दवाई डाली जाती है, जिससे बीमारी को काफी हद तक ठीक या नियंत्रित किया जा सकता है।

  • उन्नत अवस्था या अधिक आक्रामक कैंसर: ऐसे मामलों में अधिक गहन उपचार की आवश्यकता होती है, जैसे:

    • मूत्राशय में दवाई डालना जैसे BCG

    • कीमोथेरेपी का उपयोग

    • ऑपरेशन करके मूत्राशय को निकालना और नया मूत्राशय बनाना

शीघ्र निदान का महत्व

डॉ. गौतम इस बात पर जोर देते हैं कि अगर आप प्रारंभिक अवस्था में मूत्राशय ट्यूमर का निदान कर लेते हैं, तो उपचार के परिणाम बहुत अच्छे होते हैं। वास्तव में, अधिकांश लोग पूरी तरह से सामान्य जीवन जी सकते हैं।

लेकिन अगर निदान या उपचार में देरी होती है, तो समस्या बढ़ सकती है। इसलिए, अगर आपको कभी भी मूत्र से संबंधित कोई समस्या हो या मूत्र में रक्त आ रहा हो, तो तुरंत अपने यूरोलॉजिस्ट को दिखाएं, ताकि समय पर सही निदान हो सके।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न 

  1. मूत्राशय कैंसर किस उम्र के लोगों में अधिक होता है?

    मूत्राशय कैंसर आमतौर पर बुजुर्ग लोगों में अधिक पाया जाता है, लेकिन आजकल 30-40 वर्ष की आयु वाले युवाओं में भी यह समस्या देखी जा रही है।

  2. क्या धूम्रपान ब्लैडर कैंसर का प्रमुख कारण है?

    हां, मूत्राशय कैंसर के लगभग 50% मामलों का कारण धूम्रपान होता है। धूम्रपान से निकलने वाले कार्सिनोजेन्स रक्त में अवशोषित होकर मूत्र के माध्यम से मूत्राशय में पहुंचते हैं और कैंसर का कारण बन सकते हैं।

  3. मूत्राशय कैंसर का सबसे आम लक्षण क्या है?

    मूत्राशय कैंसर का सबसे आम और पहला लक्षण मूत्र में रक्त आना है। यह आमतौर पर बिना किसी दर्द या जलन के होता है, हालांकि कभी-कभी ये लक्षण भी हो सकते हैं।

  4. अगर मूत्र में रक्त आए तो क्या करना चाहिए?

    अगर मूत्र में रक्त आए, तो इसे नजरअंदाज न करें और तुरंत यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करें। कई लोग इसे मूत्र संक्रमण समझकर छोड़ देते हैं, लेकिन यह मूत्राशय कैंसर का संकेत हो सकता है।

  5. मूत्राशय कैंसर का निदान कैसे किया जाता है?

    मूत्राशय कैंसर का निदान मूत्र परीक्षण, यूरिन कल्चर, अल्ट्रासाउंड और सिस्टोस्कोपी (मूत्राशय के अंदर देखने के लिए दूरबीन का उपयोग) जैसे परीक्षणों के माध्यम से किया जाता है।

  6. मूत्राशय कैंसर के उपचार के क्या विकल्प हैं?

    उपचार कैंसर के प्रकार और स्टेज पर निर्भर करता है। प्रारंभिक अवस्था के ट्यूमर को एंडोस्कोपिक ऑपरेशन से निकाला जा सकता है। अधिक उन्नत मामलों में, मूत्राशय में दवाई डालना, कीमोथेरेपी, या मूत्राशय को निकालकर नया मूत्राशय बनाने जैसे विकल्प हो सकते हैं।

  7. क्या मूत्राशय कैंसर से पूरी तरह ठीक हुआ जा सकता है?

    हां, अगर मूत्राशय कैंसर का प्रारंभिक अवस्था में पता चल जाए और उचित उपचार किया जाए, तो अधिकांश लोग पूरी तरह से सामान्य जीवन जी सकते हैं।

  8. क्या मूत्र में रक्त आना हमेशा कैंसर का संकेत होता है?

    नहीं, मूत्र में रक्त आना मूत्र संक्रमण, पथरी या अन्य स्थितियों के कारण भी हो सकता है। हालांकि, यह मूत्राशय कैंसर का एक महत्वपूर्ण संकेत हो सकता है, इसलिए इसे हमेशा गंभीरता से लेना चाहिए और डॉक्टर से जांच कराना चाहिए।

  9. क्या धूम्रपान छोड़ने से मूत्राशय कैंसर का खतरा कम हो जाता है?

    हां, धूम्रपान छोड़ने से मूत्राशय कैंसर का खतरा कम हो जाता है, हालांकि यह तुरंत नहीं होता। समय के साथ, जैसे-जैसे शरीर से कार्सिनोजेन्स निकलते हैं, जोखिम कम होता जाता है।

  10. मूत्राशय को निकालने के बाद मरीज कैसे मूत्र त्याग करता है?

    जब मूत्राशय को निकाला जाता है, तो डॉक्टर आंतों के एक हिस्से का उपयोग करके एक नया मूत्राशय बना सकते हैं या फिर मूत्र के लिए एक बाहरी मार्ग (स्टोमा) बना सकते हैं। उपचार के प्रकार और मरीज की स्थिति के अनुसार विकल्प चुना जाता है।

Dr. Gagan Gautam
Renal Care
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