Facebook Twitter instagram Youtube

फेफड़े और द्विपक्षीय (Bilateral) प्रत्यारोपण: वह सब जो आपको जानना चाहिए

फेफड़े और द्विपक्षीय (Bilateral) प्रत्यारोपण: वह सब जो आपको जानना चाहिए

फेफड़ों का प्रत्यारोपण (लंग ट्रांसप्लांट) एक जटिल शल्य चिकित्सा है जो अंतिम चरण के फेफड़ों के रोगियों के लिए जीवनदायी साबित हो सकती है। डॉ. अरविंद कुमार, मेदांता गुरुग्राम के अनुसार, यह प्रक्रिया उन रोगियों के लिए एकमात्र विकल्प है जिनके फेफड़ों की बीमारी इतनी गंभीर हो चुकी है कि अन्य चिकित्सा उपचार कारगर नहीं हैं।

फेफड़ों के प्रत्यारोपण की प्रक्रिया

दाता से प्राप्त फेफड़े

फेफड़ों के प्रत्यारोपण में, फेफड़ों को एक दाता से प्राप्त किया जाता है, जो आमतौर पर मस्तिष्क मृत्यु व्यक्ति होता है। डॉ. कुमार बताते हैं कि जब फेफड़े दाता के शरीर से निकाले जाते हैं, तो उनकी रक्त आपूर्ति और ऑक्सीजन आपूर्ति बंद हो जाती है, जिससे उन्हें नुकसान पहुंच सकता है।

फेफड़ों का संरक्षण और परिवहन

इस नुकसान को रोकने के लिए, फेफड़ों को निकालते ही विशेष द्रव से धोया जाता है। फिर उन्हें उसी विशेष द्रव में पैक करके कम तापमान पर रखा जाता है और प्राप्तकर्ता के अस्पताल तक पहुंचाया जाता है। यह प्रक्रिया फेफड़ों को सुरक्षित रखने और उन्हें क्षति से बचाने के लिए महत्वपूर्ण है।

प्राप्तकर्ता में प्रत्यारोपण

प्राप्तकर्ता के अस्पताल में पहुंचने के बाद, प्राप्तकर्ता के खराब फेफड़ों को निकाल दिया जाता है। फिर दाता के फेफड़ों को प्राप्तकर्ता के शरीर में प्रत्यारोपित किया जाता है - दाहिनी तरफ दाहिना फेफड़ा और बाईं तरफ बायां फेफड़ा।

यह एक जटिल शल्य चिकित्सा है, लेकिन इसके बाद नए फेफड़े शरीर में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का आदान-प्रदान करने लगते हैं, जो जीवन के लिए आवश्यक है।

एकल बनाम द्विपक्षीय फेफड़ों का प्रत्यारोपण

ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

डॉ. अरविंद कुमार बताते हैं कि शुरू में, फेफड़ों के प्रत्यारोपण में आमतौर पर केवल एक फेफड़े का प्रत्यारोपण किया जाता था। इसका मतलब था कि एक दाता से दो प्राप्तकर्ताओं को लाभ मिल सकता था।

आधुनिक दृष्टिकोण

हालांकि, बाद के अध्ययनों से पता चला है कि अगर दोनों फेफड़ों का प्रत्यारोपण किया जाए (द्विपक्षीय या डबल लंग ट्रांसप्लांटेशन), तो प्राप्तकर्ता का दीर्घकालिक जीवन बेहतर होता है। इसी कारण से, आज विश्व भर में अधिकांशतः द्विपक्षीय फेफड़ों का प्रत्यारोपण किया जाता है।

फेफड़ों के प्रत्यारोपण का महत्व

डॉ. अरविंद कुमार के अनुसार, फेफड़ों का प्रत्यारोपण अंतिम चरण के फेफड़ों के रोगियों के लिए, जिनके लिए कोई चिकित्सकीय उपचार उपलब्ध नहीं है, एकमात्र विकल्प है। यह प्रक्रिया उन्हें एक नया जीवन प्रदान कर सकती है।

निष्कर्ष

फेफड़ों का प्रत्यारोपण एक जटिल लेकिन जीवनदायी प्रक्रिया है जो अंतिम चरण के फेफड़ों के रोगियों को एक नई आशा प्रदान करती है। हालांकि इसमें चुनौतियां हैं, लेकिन चिकित्सा के क्षेत्र में हुए विकास के कारण, विशेष रूप से द्विपक्षीय प्रत्यारोपण की ओर बढ़ने से, रोगियों के परिणाम बेहतर हुए हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न 

  1. फेफड़ों का प्रत्यारोपण क्या है?

    फेफड़ों का प्रत्यारोपण एक शल्य चिकित्सा है जिसमें एक व्यक्ति के खराब फेफड़ों को हटाकर उनकी जगह दाता के स्वस्थ फेफड़े लगाए जाते हैं। यह प्रक्रिया अंतिम चरण के फेफड़ों के रोगियों के लिए एक जीवनदायी विकल्प है।

  2. फेफड़ों के प्रत्यारोपण के लिए दाता कौन हो सकता है?

    फेफड़ों के दाता आमतौर पर मस्तिष्क मृत्यु व्यक्ति होते हैं, जिनके परिवार ने अंग दान की सहमति दी है। कुछ मामलों में, जीवित दाता भी फेफड़े का एक हिस्सा दान कर सकते हैं, हालांकि यह अपेक्षाकृत दुर्लभ है।

  3. फेफड़ों के प्रत्यारोपण के दौरान दाता के फेफड़ों की सुरक्षा कैसे की जाती है?

    दाता के शरीर से निकालने के बाद, फेफड़ों को विशेष संरक्षण द्रव से धोया जाता है और फिर उसी द्रव में पैक करके कम तापमान पर रखा जाता है। यह प्रक्रिया फेफड़ों को नुकसान से बचाती है और उन्हें प्रत्यारोपण के लिए उपयुक्त रखती है।

  4. एकल और द्विपक्षीय फेफड़ों के प्रत्यारोपण में क्या अंतर है?

    एकल फेफड़े के प्रत्यारोपण में, केवल एक फेफड़े (दाहिना या बायां) को प्रत्यारोपित किया जाता है। द्विपक्षीय प्रत्यारोपण में, दोनों फेफड़ों को बदला जाता है। अध्ययनों से पता चला है कि द्विपक्षीय प्रत्यारोपण में प्राप्तकर्ता का दीर्घकालिक जीवन बेहतर होता है।

  5. क्या फेफड़ों के प्रत्यारोपण के बाद प्राप्तकर्ता सामान्य जीवन जी सकता है?

    प्रत्यारोपण के बाद, कई प्राप्तकर्ता अपेक्षाकृत सामान्य जीवन जी सकते हैं, हालांकि उन्हें प्रतिरोपित फेफड़ों की अस्वीकृति को रोकने के लिए जीवनभर इम्यूनोसप्रेसिव दवाएं लेनी पड़ती हैं और नियमित चिकित्सकीय जांच की आवश्यकता होती है।

  6. फेफड़ों के प्रत्यारोपण के बाद किन सावधानियों की आवश्यकता होती है?

    प्रत्यारोपण के बाद, प्राप्तकर्ता को संक्रमण से बचना, इम्यूनोसप्रेसिव दवाएं नियमित रूप से लेना, धूम्रपान से बचना, स्वस्थ जीवनशैली अपनाना और नियमित चिकित्सकीय जांच कराना आवश्यक है।

  7. फेफड़ों के प्रत्यारोपण के लिए कौन योग्य है?

    फेफड़ों के प्रत्यारोपण के लिए आमतौर पर अंतिम चरण के फेफड़ों के रोग वाले व्यक्ति योग्य होते हैं, जिनके लिए अन्य चिकित्सकीय उपचार कारगर नहीं हैं। योग्यता का निर्धारण विस्तृत चिकित्सकीय मूल्यांकन के बाद किया जाता है।

  8. फेफड़ों के प्रत्यारोपण के बाद अस्वीकृति का खतरा क्या है?

    अस्वीकृति, जिसमें प्राप्तकर्ता का शरीर दाता के अंग को अस्वीकार कर देता है, फेफड़ों के प्रत्यारोपण के बाद एक प्रमुख चिंता है। इसे रोकने के लिए, प्राप्तकर्ता को इम्यूनोसप्रेसिव दवाएं लेनी पड़ती हैं और नियमित जांच कराना आवश्यक है।

  9. क्या भारत में फेफड़ों के प्रत्यारोपण की सुविधा उपलब्ध है?

    हां, भारत में कुछ प्रमुख चिकित्सा संस्थानों में फेफड़ों के प्रत्यारोपण की सुविधा उपलब्ध है। हालांकि, दाताओं की कमी एक प्रमुख चुनौती है जिसके कारण प्रतीक्षा समय लंबा हो सकता है।

  10. फेफड़ों के प्रत्यारोपण के बाद जीवन प्रत्याशा क्या है?

    फेफड़ों के प्रत्यारोपण के बाद जीवन प्रत्याशा विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है, जिसमें रोगी की उम्र, मूल बीमारी, और प्रत्यारोपण के बाद देखभाल शामिल है। द्विपक्षीय प्रत्यारोपण के साथ, वर्तमान में कई रोगी प्रत्यारोपण के बाद 5 से 10 वर्ष या उससे अधिक जीवित रहते हैं।


Dr. Arvind Kumar
Lung Transplant
Meet The Doctor View Profile
Back to top