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प्रोस्टेट कैंसर: लक्षण, रोकथाम और उपचार के बारे में जानें

आपको यह जानकर बहुत हैरानी होगी कि प्रोस्टेट कैंसर भारत में शीर्ष 10 कैंसरों में से एक है और इसका प्रसार तेजी से बढ़ रहा है। बायोमेडिकल अनुसंधान की भारत में मुख्य संस्था भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की खोज के अनुसार यह भारत के बड़े शहरों जैसे पुणे, कोलकाता, दिल्ली, और अन्य शहरों में पुरुषों में पाया जाने वाला दूसरा प्रमुख कैंसर है।

 

2018 में, भारत में सभी कैंसर मामलों में से 2% से थोड़ा ज़्यादा प्रोस्टेट कैंसर सूचीबद्ध हुआ, जिसमें 25,696 नए मामले दर्ज किए। इसके अलावा, अब यह सिर्फ़ एक ऐसी बीमारी नहीं है जो 60 वर्ष के बाद के पुरुषों में ही मिलती है, युवा पुरुष भी धीरे-धीरे इसके मरीज़ बनते जा रहे हैं।

 

अब प्रोस्टेट कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने का समय गया है। प्रारंभिक चिकित्सीय हस्तक्षेप बहुत महत्वपूर्ण है और संकेतों को समझने में सक्षम होने के लिए, हमें अपनी समझ को विकसित करने की आवश्यकता है। 

 

प्रोस्टेट कैंसर क्या है?

 

प्रोस्टेट कैंसर एक प्रकार का कैंसर है जो केवल पुरुषों को ही प्रभावित करता है। यह तब पैदा होता है जब प्रोस्टेट में असामान्य कोशिकाएँ तेज़ी से बढ़ती हैं और इकट्ठा हो कर एक ट्यूमर बनाती हैं। प्रोस्टेट एक अखरोट की आकृति की ग्रंथि है जो पुरुष के मूत्राशय (bladder) और लिंग के बीच स्थित होती है, जो शुक्राणुओं को पोषण और सुरक्षित रख कर उनके स्वास्थ्य को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती है।

 

प्रोस्टेट कैंसर को मुख्यतः दो प्रकारों में बाँटा गया है- एक आक्रामक (aggressive) और गैर-आक्रामक (non-aggressive) रूप। गैर-आक्रामक प्रकार में, ट्यूमर या तो बढ़ता नहीं है या बहुत धीरे-धीरे बढ़ता है। इसलिए रोगियों को कम या कोई भी इलाज की आवश्यकता नहीं होती है। वही दूसरी तरफ़, आक्रामक प्रकार में, ट्यूमर तेजी से बढ़ता है और प्रोस्टेट के आस-पास के ऊतकों में मौजूद अंगों में फैल सकता है और हड्डियों सहित दूर के और प्रजनन क्षेत्र के अंदर के अंगों में फैल सकता है। 

 

प्रोस्टेट कैंसर के क्या कारण होते हैं?

 

आयु प्रोस्टेट कैंसर का एक मुख्य जोखिम कारक होता है। भारत में, 50 वर्ष की आयु में प्रवेश करते ही किसी पुरुष में प्रोस्टेट कैंसर के विकसित होने का जोखिम तेजी से बढ़ जाता है। यदि किसी के परिवार में इस बीमारी का इतिहास है तो कैंसर पहले भी उत्पन्न हो सकता है।

 

हालांकि आयु और रोग का पारिवारिक इतिहास अपरिवर्तनीय जोखिम कारक होते हैं, इसके अलावा ऐसे अन्य परिवर्तनीय जोखिम कारक भी हैं जो प्रोस्टेट कैंसर के पैदा होने के जोखिम में योगदान कर सकते हैं। इनमें से शीर्ष कारण धूम्रपान, मोटापा, व्यायाम की कमी और खराब खाने-पीने की आदतें हैं।

 

बीआरसीए1 या बीआरसीए2 जीन का पारिवारिक इतिहास (जो महिलाओं के स्तन कैंसर के जोखिम को बढ़ाते हैं) भी अधिक प्रोस्टेट कैंसर जोखिम में योगदान करता है। 

 

किन लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए?

 

यदि प्रोस्टेट कैंसर का जल्दी निदान हो जाता है (जब यह अभी भी प्रोस्टेट ग्रंथि में ही सीमित होता है), तो इसे ठीक किया जा सकता है। दुर्भाग्यवश, प्रोस्टेट कैंसर तब तक महत्वपूर्ण संकेत नहीं दिखाता, जब तक यह एडवांस अवस्था में पहुँच जाएं।

 

इसे समय पर पहचानने के लिए निम्नलिखित लक्षणों पर नज़र रखें:

 

  • मूत्राशय-संबंधी समस्याएँ: प्रोस्टेट ग्रंथि मूत्राशय के ठीक नीचे स्थित होती है और मूत्रमार्ग को चारों तरफ़ से घेरती है। इसलिए, प्रोस्टेट ग्रंथि में ट्यूमर मूत्राशय और मूत्रमार्ग पर दबाव डालकर पेशाब में बाधा पैदा कर सकता है। 

 

पेशाब करने में समस्या अक्सर प्रोस्टेट कैंसर का सबसे प्रमुख लक्षण है। जिसके कारण व्यक्ति को मूत्र करने की तत्काल, अनियंत्रित आवश्यकता या रात में अक्सर पेशाब जाने की संख्या में वृद्धि दिख सकती है। पेशाब के दौरान अंतर भी महसूस हो सकता है, जैसे दर्द, एक धीमी, कमजोर मूत्र धारा, या पेशाब शुरू करने/रोकने में कठिनाई।

 

  • दर्द और सुन्नापन: जब प्रोस्टेट कैंसर आक्रामक होता है, तो यह शरीर के अन्य जगहों, विशेषकर हड्डियों में फैल सकता है। इससे पेल्विक क्षेत्र, पीठ, और छाती में दर्द हो सकता है। कुछ मामलों में, यह रीढ़ की हड्डी तक फैल सकता है, जिससे आपकी पैरों और मूत्राशय में संवेदना की हानि हो सकती है।
  • मूत्र या वीर्य में रक्त आना और यौन समस्याएँ: आपके मूत्र या वीर्य में रक्त का आना प्रोस्टेट कैंसर का एक संकेत हो सकता है। इस संकेत का पता लगते ही तुरंत डॉक्टर से मिलना महत्वपूर्ण होता है। प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों में नपुंसकता या स्तंभन दोष (इरेक्टाइल डिसफंक्शन) का कारण भी बन सकता है।

 

याद रखें कि ऊपर बताए लक्षण अधिकतर प्रोस्टेट को प्रभावित करने वाली अन्य बीमारियों, जैसे कि बेनाइन प्रोस्टेट हाइपरप्लेजिया (बीपीएच) और प्रोस्टेटाइटिस जैसी अन्य बीमारियों के कारण भी हो सकते हैं। इन लक्षणों का होना यह निश्चित नहीं करता कि आपको प्रोस्टेट कैंसर है। कृपया इन लक्षणों के कारण को स्पष्ट समझने के लिए अपने डॉक्टर से सलाह लें। 

 

मैं प्रोस्टेट कैंसर के खतरे को कैसे कम कर सकता हूँ?

 

स्वस्थ आहार लें जिसमें टमाटर, क्रूसिफेरस सब्ज़ियाँ (फूलगोभी, ब्रोकोली, और बंदगोभी), हरी पत्तेदार सब्जियाँ, ओमेगा-3 फैटी एसिड्स से भरपूर आहार (मछली और अखरोट), और सोया शामिल करें। अपना स्वस्थ वजन बनाए रखें और नियमित रूप से व्यायाम करें। तत्काल धूम्रपान करना छोड़ें और अपनी शराब की मात्रा को मध्यम करें।

 

हर दूसरी बीमारी के जैसे ही, यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने लक्षणों के प्रति सजग रहें और समय पर निदान करना महत्वपूर्ण है। डॉक्टर यह सलाह देते हैं कि जब आप पचास की उम्र के हो जाएं तो प्रोस्टेट कैंसर के लिए नियमित रूप से स्क्रीनिंग करवाएं। यदि समय पर पता चल जाए, तो प्रोस्टेट कैंसर का सफलता से इलाज किया जा सकता है।

 

This blog is a Hindi version of an English-written Blog - Prostate Cancer: Learn About The Symptoms, Prevention and Treatment

Dr. Rajesh Ahlawat
Renal Care
Meet The Doctor
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