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तंबाकू: एक साइलेंट किलर कैसे है

2000 ईसा पूर्व से ही भारतीय धूम्रपान में अग्रणी रहे हैं उस समय भांग का धूम्रपान किया जाता था और इस तथ्य का उल्लेख पहली बार अथर्ववेद में किया गया था। वर्तमान में भारत में लगभग 120 मिलियन सक्रिय धूम्रपान करने वाले लोग हैं और वे दुनिया भर में धूम्रपान करने वालों का लगभग 12% बनाते हैं। 

 

सिगरेट के अविष्कार से पहले चिलम या पाइप से धूम्रपान किया जाता था। अभी भी कई गाँवों में हुक्का धूम्रपान प्रचलित है जहाँ तंबाकू का धुआँ साँस में लेने से पहले पानी के कंटेनर से होकर गुजरता है। आजकल भारत में सिगरेट या बीड़ी की तुलना में धूम्ररहित तम्बाकू का अधिक प्रयोग किया जा रहा है। हमारे देश में 1975 से सिगरेट पैक पर वैधानिक स्वास्थ्य चेतावनी शुरू की गई थी और मई 2004 में सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (COPTA) लागू किया गया था। 

 

हालांकि, हाल ही में अनुमान यह बताते हैं कि अभी भी 35% पुरुष धूम्रपान करते हैं और महिलाओं में धूम्रपान की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। इसके साथ-साथ यह भी अनुमान है कि 16 वर्ष से कम आयु के लगभग 80% बच्चों ने किसी किसी रूप में तम्बाकू का उपयोग कभी ना कभी किया है और लगभग इन बच्चों में लगभग 50% अपने वयस्कता में ऐसा करना जारी रख सकते हैं।

 

तंबाकू धूम्रपान के क्या प्रभाव होते हैं?

 

हालाँकि तम्बाकू के दुष्परिणाम सभी जानते हैं, लेकिन इसकी लत लगने वाली प्रकृति (निकोटीन के कारण) किसी व्यक्ति को तम्बाकू के उपयोग को छोड़ना आसान नहीं होने देता है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के अनुसार, हमारे देश के पुरुषों और महिलाओं में होने वाले सभी कैंसर में तंबाकू द्वारा होने वाले कैंसर का योगदान लगभग 30% है। पुरुषों में मुँह के कैंसर के बाद फेफड़ों का कैंसर सबसे आम कैंसर है। भारत में तंबाकू से संबंधित कैंसर के कारण लगभग 42% पुरुष और 18% महिलाओं की मृत्यु होती है। 

 

तंबाकू में पाए जाने वाले 4800 रसायनों में से 69 रसायन कैंसर कारक होते हैं। आंकड़ों के अनुसार, हर सेकेंड में एक मौत तंबाकू की वजह से होती है।

 

तम्बाकू, चाहे सिगरेट धूम्रपान के रूप में हो या नशीले तंबाकू के रूप में, एक साइलेंट किलर होता है जो केवल उपभोक्ता के स्वास्थ्य-हानि के लिए जिम्मेदार होता है बल्कि इसके सेकंड हैंड स्मोक के कारण उनके परिवार, विशेष रूप से छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं, के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। 

 

फेफड़ों और मुँह के कैंसर के अलावा, तम्बाकू के कारण स्वरयन्त्र(larynx), खाद्य-नली (oesophagus), मूत्राशय, किडनी, पेट, पैनक्रियास और कोलन का कैंसर हो सकता है। सिगरेट या बीड़ी या नशीले तंबाकू के रूप में तम्बाकू उपयोग ना करने का वचन लेने से कैंसर के कुल बोझ को 30% तक कम किया जा सकता है और कई युवाओं की जानें बचाई जा सकती हैं।

Dr. Tejinder Kataria
Cancer Care
Meet The Doctor
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