BE FAST

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स्ट्रोक या मस्तिष्क आघात एक बहुत ही गंभीर बीमारी है। इस ब्लॉग में हम मेदांता, पटना के प्रसिद्ध न्यूरोसर्जन डॉ. मुकुंद प्रसाद द्वारा बताए गए “BE FAST” प्रोटोकॉल के बारे में जानेंगे, जो स्ट्रोक के लक्षणों को पहचानने में मदद करता है।
बी फास्ट स्ट्रोक प्रोटोकॉल क्या है?
डॉ. मुकुंद प्रसाद के अनुसार, “बी फास्ट” (BE FAST) एक संक्षिप्त शब्द है जिसका उपयोग स्ट्रोक के लक्षणों को आसानी से याद रखने के लिए किया जाता है। यह अंग्रेजी के छह अक्षरों से बना है, जिनमें से प्रत्येक स्ट्रोक के एक महत्वपूर्ण लक्षण को दर्शाता है। आइए जानते हैं इन अक्षरों का क्या अर्थ है:
B - बैलेंस (Balance)
‘B’ का अर्थ है बैलेंस यानी संतुलन। अगर किसी व्यक्ति को अचानक से अपने शरीर का संतुलन बनाए रखने में कठिनाई होने लगे, तो यह स्ट्रोक का संकेत हो सकता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति ठीक से खड़ा नहीं हो पाता या चलते समय लड़खड़ाने लगता है।
E - आईसाइट (Eyesight)
‘E’ का अर्थ है आईसाइट यानी दृष्टि। अगर किसी व्यक्ति की आंखों की रोशनी अचानक से कम हो जाए, धुंधली दिखाई देने लगे या दृष्टि में अन्य परिवर्तन हों, तो यह भी स्ट्रोक का संकेत हो सकता है।
F - फेशियल ड्रूपिंग (Facial Drooping)
‘F’ का अर्थ है फेशियल ड्रूपिंग यानी चेहरे का एक तरफ लटकना या टेढ़ा होना। अगर किसी व्यक्ति के चेहरे का एक हिस्सा अचानक से नीचे की ओर लटक जाए या मुस्कुराने पर चेहरे का एक हिस्सा सामान्य रूप से काम न करे, तो यह स्ट्रोक का संकेत हो सकता है।
A - आर्म (Arm)
‘A’ का अर्थ है आर्म यानी हाथ। अगर किसी व्यक्ति के एक हाथ में अचानक से कमजोरी आ जाए, वह हाथ उठाने में असमर्थ हो या हाथ में सुन्नपन महसूस करे, तो यह स्ट्रोक का संकेत हो सकता है।
S - स्पीच (Speech)
‘S’ का अर्थ है स्पीच यानी बोलने में लड़खड़ाहट। अगर किसी व्यक्ति की बोली अचानक से अस्पष्ट हो जाए, वह शब्दों को सही से उच्चारण न कर पाए या बात करते समय लड़खड़ाहट महसूस करे, तो यह स्ट्रोक का संकेत हो सकता है।
T - टाइम (Time)
‘T’ का अर्थ है टाइम यानी समय। यह सबसे महत्वपूर्ण है। अगर किसी व्यक्ति में उपरोक्त लक्षणों में से कोई भी दिखाई दे, तो तुरंत चिकित्सकीय सहायता लेनी चाहिए। समय बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि जितनी जल्दी उपचार शुरू होगा, उतनी ही अधिक ठीक होने की संभावना होगी।
स्ट्रोक के लक्षण और तुरंत कार्रवाई का महत्व
डॉ. मुकुंद प्रसाद बताते हैं कि अगर किसी व्यक्ति में अचानक से उपरोक्त लक्षण दिखाई दें, जैसे शरीर का संतुलन बिगड़ना, आंखों की रोशनी में परिवर्तन, चेहरे का एक तरफ टेढ़ा होना, हाथ में कमजोरी या बोलने में कठिनाई, तो यह स्ट्रोक का संकेत हो सकता है।
ऐसी स्थिति में समय बर्बाद न करें और तुरंत अस्पताल जाएं। स्ट्रोक के मामले में, जितनी जल्दी उपचार शुरू होगा, उतनी ही अधिक ठीक होने की संभावना होगी। अगर समय पर उपचार न मिले, तो स्ट्रोक से पूरी तरह से ठीक होने के अवसर कम हो जाते हैं।
स्ट्रोक गोल्डन आवर का महत्व
डॉ. मुकुंद प्रसाद स्ट्रोक के उपचार में “गोल्डन आवर” या स्वर्णिम घंटे के महत्व पर भी प्रकाश डालते हैं। गोल्डन आवर स्ट्रोक या किसी भी दुर्घटना के बाद का पहला घंटा होता है, जिसमें उपचार शुरू करना सबसे अधिक प्रभावी होता है।
उनके अनुसार, जब कोई व्यक्ति स्ट्रोक या अन्य चोट का शिकार होता है, तो शरीर में एक श्रृंखला प्रतिक्रियाएँ शुरू हो जाती हैं। समय के साथ-साथ ये प्रतिक्रियाएँ बढ़ती जाती हैं और चोट या नुकसान को और अधिक गंभीर बना देती हैं।
अगर पहले घंटे के भीतर सही निदान और उपचार शुरू कर दिया जाए, तो मरीज को काफी लाभ होता है। लेकिन अगर उपचार में देरी हो जाए, तो एक ऐसा समय भी आ सकता है जब सभी उपलब्ध उपचार भी प्रभावी नहीं होंगे।
इसलिए, स्ट्रोक के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत अस्पताल जाना और गोल्डन आवर के भीतर उपचार शुरू करना बहुत महत्वपूर्ण है।
निष्कर्ष
स्ट्रोक एक गंभीर चिकित्सकीय स्थिति है, लेकिन अगर समय पर पहचान और उपचार किया जाए, तो इससे पूरी तरह से ठीक होना संभव है। BE FAST प्रोटोकॉल स्ट्रोक के लक्षणों को पहचानने का एक आसान तरीका है, जिसे हर किसी को याद रखना चाहिए।
याद रखें, स्ट्रोक के मामले में समय बहुत महत्वपूर्ण है। अगर आप या आपके आसपास कोई व्यक्ति BE FAST में बताए गए लक्षणों का अनुभव कर रहा है, तो तुरंत चिकित्सकीय सहायता लें। गोल्डन आवर के भीतर उपचार शुरू करने से जीवन बचाया जा सकता है और स्थायी नुकसान को कम किया जा सकता है।
डॉ. मुकुंद प्रसाद, मेदांता पटना के इस महत्वपूर्ण संदेश को याद रखें और अपने परिवार और दोस्तों के साथ भी साझा करें। क्योंकि जागरूकता ही बचाव का पहला कदम है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
स्ट्रोक क्या है?
स्ट्रोक एक ऐसी स्थिति है जिसमें मस्तिष्क के किसी हिस्से में रक्त का प्रवाह बाधित हो जाता है, जिससे मस्तिष्क की कोशिकाएं ऑक्सीजन की कमी के कारण मरने लगती हैं।
क्या स्ट्रोक से पूरी तरह से ठीक हुआ जा सकता है?
हाँ, अगर स्ट्रोक का समय पर निदान और उपचार किया जाए, तो कई मरीज पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं। हालांकि, यह स्ट्रोक की गंभीरता और उपचार शुरू करने में लगे समय पर भी निर्भर करता है।
स्ट्रोक के जोखिम कारक क्या हैं?
उच्च रक्तचाप, मधुमेह, धूम्रपान, मोटापा, शारीरिक निष्क्रियता और अनियमित जीवनशैली स्ट्रोक के प्रमुख जोखिम कारक हैं।
स्ट्रोक से बचाव के लिए क्या करें?
स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं, नियमित व्यायाम करें, स्वस्थ आहार लें, धूम्रपान और अत्यधिक शराब से बचें, और नियमित रूप से अपने स्वास्थ्य की जांच करवाएं।
क्या युवा लोगों को भी स्ट्रोक हो सकता है?
हाँ, हालांकि स्ट्रोक आमतौर पर बुजुर्गों में अधिक होता है, लेकिन युवा लोगों को भी स्ट्रोक हो सकता है, खासकर अगर उनमें जोखिम कारक मौजूद हों।