गर्भावस्था के दौरान (Prenatal) देखभाल गर्भवती महिलाओं और उनके बच्चों दोनों के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। प्रीनेटल स्वास्थ्य देखभाल यह सुनिश्चित करती है कि बच्चे का जन्म किसी भी चिकित्सीय समस्या के बिना हो और यह बच्चे और मां दोनों के लिए स्वस्थ प्रसव को भी सुनिश्चित करती है। हालांकि, कभी-कभी, एक नवजात शिशु में विभिन्न स्वास्थ्य स्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं जो रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (आरडीएस) और दीर्घकालिक फेफड़े की बीमारियों का कारण बन सकती हैं।
नवजात शिशुओं में सांस की समस्याएँ आम होती हैं, जिनमें बच्चों में सांस लेने के पैटर्न अनियमित होते हैं, जो धीमी गति और तेज गति वाली साँसों के बीच अनियमित ठहराव जैसी भी हो सकती हैं।
हालांकि, आप अपने बच्चे की सांस की आवाज़ें ध्यान से सुनें और यह पता लगाएं कि वे कैसी सुनाई देती हैं। सांस लेने के पैटर्न में अनियमितता कई कारणों के कारण हो सकती है और बेहतर यही होता है कि आप डॉक्टर से इसके बारे में परामर्श करें।
फेफड़े शरीर में विकसित होने वाले अंतिम अंग होते हैं। बच्चों को साँस लेने की प्रक्रिया पूरी तरह से आती नहीं है, और उनके वायुमार्ग भी अपेक्षाकृत छोटे होते हैं। शिशु मुँह की तुलना में अपनी नाक से अधिक साँस लेते हैं, जिसके कारणवश उनमें सांस लेने की ध्वनि वयस्कों से अलग होती है।
आमतौर पर, एक नवजात शिशु 30 से 60 साँसें प्रति मिनट लेता है।
जब शिशु सो रहे होते हैं तब साँस लेने की गति प्रति मिनट 20 सांसों तक धीमी हो जाती है। वे तेज़ी से साँस भी ले सकते हैं और उनके बीच फिर 10 सेकंड के लिए रुक सकते हैं। यह सब क्रिया एक वयस्क की साँस लेने की प्रक्रिया से अलग होती है, जिससे नए बने माता-पिता चिंतित हो सकते हैं।
शिशु सांस की बीमारियाँ (Infant Breathing Disorders) एक बीमारियों का समूह होता है जो आपके नवजात शिशु के श्वसन स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं। यह तब होती हैं, जब आपके बच्चे के फेफड़े पूरी तरह से विकसित नहीं हुए होते, विशेष रूप से यदि वे समय से पूर्व (premature) पैदा होते हैं।
नवजात ब्रीथिंग डिसऑर्डर के विभिन्न प्रकार निम्नलिखित हैं:
नवजात शिशुओं में निम्नलिखित बताई साँस ध्वनियाँ होती हैं, जिनका आपको ध्यान रखना चाहिए:
प्रीमेच्योर पैदा होना शिशुओं में सांस की बीमारियों का प्रमुख कारण होता है। यदि आपका बच्चा फेफड़े के पूरी तरह से विकसित होने से पहले ही पैदा हो गए हैं, तो उनमें लंबे समय तक श्वसन समस्याएँ होने की संभावना अधिक होती है।
नवजात श्वसन विकार (infant breathing disorder) का निदान करने के लिए एक्स-रे और रक्त गैस परीक्षण का उपयोग किया जाता है। रक्त गैस परीक्षण द्वारा शिशु के रक्त में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर को मापा जाता है।
शिशु श्वास संबंधी विकार (infant breathing disorder) वाले नवजात शिशुओं के माता-पिता के लिए आवश्यक नुस्ख़े:
नवजात शिशु में अनियमित सांस आना नए माता-पिता में चिंता और तनाव का कारण बन सकती है। अपने बच्चे के सांस लेने के पैटर्न का निरीक्षण करते रहें, और यदि आपको कुछ भी असामान्य दिख रहा है, तो तुरंत बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श करें।
यदि आप अपने नवजात शिशु के साँस के पैटर्न से चिंतित हैं, तो नीचे कुछ घरेलू उपाय बताए हैं जिन्हें आप अपना सकते हैं:
This blog is a Hindi version of an English-written Blog - Infant Breathing Disorders: What You Should Know
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