वृषण (Testicular) कैंसर के बारे में सभी पुरुषों को क्या जानकारी होनी चाहिए

हालाँकि कोई भी कैंसर होना अच्छी खबर नहीं है, लेकिन तुलनात्मक रूप से कहें तो यदि समय पर इसे पहचान लिया जाए, तो टेस्टिक्यूलर कैंसर का इलाज करना आसान होता है। यह विश्वभर में एक दुर्लभ कैंसर है, और भारत में ओर भी दुर्लभ है। यह अधिकांश अन्य कैंसरों की तुलना में अधिक उपचार योग्य है, इसलिए महत्वपूर्ण है कि आप शीघ्र निश्चित कदम उठाएं।
कैंसर वृषण या टेस्टिस के अंदर शुरू होता है, जो पुरुष अंडकोश (scrotum) के अंदर स्थित हैं। भारत में पिछले एक दशक में इस बीमारी के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज हुई हैं। आमतौर पर इसके समग्र मामलें अन्य प्रकार के कैंसरों से कम होते हैं और समय पर निदान के साथ इसका सफल इलाज किया जा सकता है।
पुरुषों को किन लक्षणों का ध्यान रखना चाहिए?
प्रोस्टेट कैंसर के विपरीत, टेस्टिक्यूलर कैंसर युवा पुरुषों में अधिक आम है, 15 से 40 वर्ष की आयु के किसी भी पुरुष में। इसके बावजूद, शिशुओं या बुजुर्ग पुरुषों में कई कारकों के कारण इसके होने के कई मामले सामने आए हैं।
निम्नलिखित लक्षणों पर ध्यान रखें, जो शायद अन्य समस्याओं में भी देखे जा सकते हैं, लेकिन यदि आप इन्हें पहचान लेते हैं, तो तुरंत अपने डॉक्टर से परामर्श करें:
- टेस्टिक्यूलर गाँठ: एक या दोनों वृषण में या उसके ऊपर एक गांठ जो अक्सर दर्द रहित होती है। जब तक अन्यथा साबित नहीं होता, तब तक टेस्टिकल की किसी भी गाँठ या सख्त हिस्से को संभावित ट्यूमर मानना चाहिए।
- स्क्रोटम में भारीपन
- पेट या जांघ में हल्का, सतत दर्द
- अंडकोश में तरल पदार्थ का अनियमित संग्रहण
- वृषण का सिकुड़ना
- कमर में लगातार दर्द
- स्तनों में वृद्धि और छूने में दर्द
वृषण कैंसर के जोखिम कारक क्या हैं?
हालांकि चिकित्सा जगत टेस्टिक्यूलर कैंसर के सटीक कारणों का पता नहीं लगा पाया है, परंतु कुछ जोखिम कारक ऐसे हैं, जो इसके बनने में अहम भूमिका निभाते हैं:
- क्रिप्टोर्किडिज़म: इसे 'अनडिसेंडेड टेस्टिकल' के रूप में भी जाना जाता है, जो टेस्टिक्यूलर कैंसर का एक प्रमुख योगदान कारक होता है।
- इंगुआइनल हर्निया: जो पुरुष ग्रोइन में हर्निया के साथ पैदा होते हैं, उनमें इस कैंसर के उत्पन्न होने की संभावना अधिक होती है।
- क्षेत्र में असमानताएँ: गुर्दे, पेनिस, या टेस्टिकल में असमानताओं के साथ पैदा हुए व्यक्तियों में जोखिम अधिक होता है।
- आयु: युवा पुरुष इसके प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
- पारिवारिक इतिहास: यदि आपके किसी भी तत्कालीन परिवार के सदस्यों में टेस्टिक्यूलर कैंसर का इतिहास है, तो नियमित स्क्रीनिंग करवाना एक उचित कदम होता है।
- मम्स ऑर्काइटिस: एक काफी दुर्लभ स्थिति, जिसमें एक या दोनों टेस्टिकल्स में सूजन आ जाती है।
- क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम: एक स्थिति जिसमें टेस्टिकल्स सामान्य आकार में विकसित नहीं होते और टेस्टिक्यूलर कैंसर का खतरा हो सकता है।
अब तक चिकित्सा अनुसंधान ने यह निष्कर्ष निकाला है कि इसे रोका जा सकता है लेकिन यह सलाह दी जाती है कि आप एक स्वस्थ जीवनशैली बनाए रखे, ताकि यदि किसी को यह हो भी जाए, तो शरीर उससे लड़ने के लिए पुरी तरह से मज़बूत हो। इससे यौन प्रदर्शन पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ता है। सर्जरी के बाद शुक्राणु की संख्या में कमी आ जाती है लेकिन आप अपने डॉक्टर के परामर्श से अपने आहार और जीवनशैली में कुछ बदलाव करके इसे पुनः सही कर सकते हैं।
This blog is a Hindi version of an English-written Blog - What All Men Need To Know About Testicular Cancer