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ल्यूकोडर्मा क्या होता है? जानिए इसके कारण, लक्षण और उपचार के बारे में

ल्यूकोडर्मा त्वचा में छोटे-छोटे पैच के रूप में शुरू होता है।कई महीनों में, ये पैच बड़े हो जाते हैं और आपस में मिल जाते हैं। हालांकि ये शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकते हैं, आमतौर पर ये पैच शुरुआत में हाथों, बांहों, पैरों और चेहरे पर निकलते हैं। सामान्यतः बड़े पैच एक ही जगह में बने रहते हैं, जबकि छोटे पैच समय के साथ अपनी जगह बदल और आकार परिवर्तित कर सकते हैं। ल्यूकोडर्मा से प्रभावित क्षेत्र एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न हो सकते हैं। 

 

त्वचा संबंधित यह स्थिति गहरे रंग की त्वचा वाले व्यक्तियों में अधिक ध्यान देने योग्य होती है और आमतौर पर 10 से 30 वर्ष की आयु के बीच दिखाई देनी शुरू होती है। 

 

विटिलिगो का क्या कारण होता है?

 

विटिलिगो के उत्पन्न होने का सटीक कारण निर्धारित करना कठिन है। हालाँकि, कुछ पहचाने गए कारणों में से मुख्य निम्न है:

  • ऑटोइम्यून विकार
  • आनुवंशिक कारक
  • तंत्रिका ऐंडिंग (न्यूरोजेनिक) में ख़राबी आने के कारण
  • सेल डेथ मशीनरी के विकार जिससे मेलानोसाइट्स का आत्म-विनाश (self-destruction) हो जाता है 
  • कटने और जलने जैसी दर्द घटनाएँ

कभी-कभी शारीरिक या भावनात्मक तनाव विटिलिगो को बढ़ा सकता है।

 

विटिलिगो के कितने प्रकार होते हैं?

 

  • नोन-सेग्मेंटल विटिलिगो: यह लगभग 90% मामलों को प्रभावित करने वाला सबसे आम प्रकार का विटिलिगो होता है। आमतौर पर यह स्थिति शरीर के दोनों तरफ़ पर समान रूप से दिखाई देने वाले पैच के रूप में दिखती है। इस विटिलिगो को आगे निम्न उप-विभागों में विभाजित किया गया है:
  • जनरलाइज्ड या यूनिवर्सल ल्यूकोडर्मा: इस स्थिति में शरीर में कहीं भी सफेद पैच हो जाते हैं।
  • फोकल विटिलिगो: आमतौर पर यह स्थिति बच्चों को प्रभावित करती है और शरीर के एक ही क्षेत्र तक ही सीमित रहती है।
  • एक्रोफेशियल विटिलिगो: इस स्थिति में उंगलियों, होंठों के आसपास और मुँह, नाक, और ऊपरी पलकों जैसे छिद्रों के पास मेलानिन वर्णक की कमी के कारण पैच दिखायी देते हैं। 
  • म्यूकोसल ल्यूकोडर्मा - यह केवल श्लेष्मा झिल्ली (mucosa) को प्रभावित करता है।
  • सेग्मेंटल विटिलिगो: इस प्रकार का विटिलिगो शरीर के एक तरफ के हिस्से को प्रभावित करता है। विटिलिगो के लगभग 10% मामलों में यह प्रकार देखा जा सकता है, जबकि बाक़ी 90% मामले नोन-सेग्मेंटल होते हैं। सेग्मेंटल विटिलिगो दिखने में नॉन-सेग्मेंटल वैरिएंट से अलग होता है और इसका ट्रीटमेंट भी अलग होता है।

 

 ल्यूकोडर्मा के क्या लक्षण होते हैं?

 

  • वर्णक में कमी आना, विशेष रूप से सूर्य के संपर्क में आने वाले क्षेत्रों में
  • चोट लगने के बाद सफेद पैच का फैल जाना 
  • धूप या पसीने के संपर्क में आने पर सफेद पैच में खुजली महसूस होना
  • मुख्य पैच का फैलाना
  • बालों का सफेद होना 
  • आँख के रंग में बदलाव आना 

 

ल्यूकोडर्मा का निदान कैसे किया जाता है?

 

आपका डॉक्टर आपकी त्वचा में होने वाले परिवर्तनों का सूक्ष्म अवलोकन करके ल्यूकोडर्मा का निदान करता है। वे आपकी त्वचा को यूवी लैम्प (वुड्स लैम्प) के नीचे भी देख सकते हैं जो डॉक्टर को विटिलिगो को अन्य त्वचा-संबंधी विकारों से अलग करने में मदद करता है। कई स्थितियाँ जैसे केमिकल ल्यूकोडर्मा, ऐल्बिनिज़म, पिट्रिएसिस अल्बा या टिनिया वर्सीकोलर नामक यीस्ट संक्रमण के लक्षण विटिलिगो से मिलते-जुलते होते हैं। 

 

विटिलिगो के उपचार के क्या विभिन्न तरीक़े उपलब्ध हैं?

 

हालांकि अभी तक विटिलिगो का कोई स्थायी इलाज विकसित नहीं हुआ है, परंतु उपचार का मुख्य लक्ष्य त्वचा के रंग की कॉस्मेटिक निरंतरता प्राप्त करना है। इस परिणाम को प्राप्त करने के लिए विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है, जिसमें से कुछ मुख्य निम्न हैं:

  • छिपाने का साधन (Camouflage):
  • 30 से अधिक एसपीएफ़ वाले सनस्क्रीन का उपयोग करना। यह आस-पास की त्वचा में टैनिंग को कम कर प्रभावित क्षेत्र के रंगभेद को कम करता है।
  • मेकअप 
  • सफ़ेद बालों के लिए डाई 
  • डिपिग्मेंटेशनयदि त्वचा का अधिकांश भाग इस स्थिति से प्रभावित है, तो इस विधि द्वारा सामान्य त्वचा को भी सफेद कर दिया जाता है।
  • लाइट थेरेपी:
  • प्रति सप्ताह नैरो-बैंड यूवी-बी के 2-3 सत्र
  • एक्साइमर लेजर: छोटे लक्षित ऊतकों तक  उपचार पहुँचाने के लिए इसका उपयोग होता है 
  • मुँह से ली जाने वाली दवाएँ और यूवीए विकिरण का संयोजित उपचार 
  • रंजकता (Repigmentation):
  • कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स का उपयोग करना
  • टोपिकल विटामिन डी एनालॉग्स
  • टोपिकल इम्यूनोमॉड्यूलेटर्स
  • सर्जरी:
  • प्रभावित क्षेत्र पर शरीर के किसी अन्य अप्रभावित हिस्से से स्किन ग्राफ्ट करना 
  • माइक्रोपिगमेंटेशन विधि का उपयोग करके मेडिकल टैटू बनाना, आमतौर पर इसका उपयोग होंठों पर किया जाता है 

 

इस स्थिति के कारण चिंताग्रस्त होने पर आपका डॉक्टर आपको काउन्सलिंग की सलाह भी दे सकता है। हमेशा याद रखें कि विटिलिगो एक सामान्य त्वचा संबंधी विकार है और इसके कारण कभी भी आपको अपनी गतिविधियों, महत्वाकांक्षाओं या सामाजिक मेलजोल को कम करने की आवश्यकता नहीं है। आपका काउंसलर आपके जिज्ञासाओं को शांत कर मानसिक रूप से मजबूत होने के लिए आपकी सहायता करेगा। 

 

आमतौर पर सुझाए गए घरेलू उपायों में से कुछ निम्न हैं:

  • हाइड्रेटेड रहें 
  • विटामिन सी, जिंक और कॉपर से भरपूर भोजन करें
  • त्वचा में मेलेनिन उत्पादन को बढ़ाने में मदद करने के लिए तुलसी के पत्तों और नींबू के रस का मिश्रण या हल्दी और सरसों के तेल का मिश्रण लगाएँ।
Dr. Manan Mehta
Dermatology
Meet The Doctor
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