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भारतीय महिलाओं में स्तन कैंसर के मामलों की बढ़ती संख्या के मुख्य कारण

विश्व स्तर में महिलाओं में स्तन कैंसर सबसे आम कैंसर में से एक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 2020 में बीस लाख से अधिक महिलाओं में स्तन कैंसर के केस डायग्नोज़ हुए हैं। इस कैंसर के कारण एक ही वर्ष में छह लाख पचहत्तर हजार से अधिक मौतें हुईं हैं। वर्ष 2020 के अंत तक, स्तन कैंसर से पीड़ित 78 लाख से अधिक महिलाएँ जीवित हैं, जिसके कारण स्तन कैंसर दुनिया में सबसे अधिक प्रचलित प्रकार का कैंसर बन गया है। 

 

भारत में भी स्तन कैंसर के मामले काफी बढ़ गए हैं। 1965 और 1985 के बीच घटनाओं में लगभग 50% की वृद्धि दर्ज हुई थी। वर्ष 2016 में भारत में स्तन कैंसर मामलों की अनुमानित संख्या एक लाख अठारह हजार दर्ज हुई थी। उसी वर्ष जीवित स्तन कैंसर के मामलों की कुल संख्या पांच लाख पच्चीस हजार से अधिक नोट हुई थी। वर्ष 2020 के ग्लोबोकैन डेटा के अनुसार, भारत में, स्तन कैंसर सभी प्रकार के कैंसर का 13.5% और कैंसर की वजह से हुई सभी मौतों का लगभग 10.6% है। 

 

हाल के अध्ययनों के अनुसार, युवा भारतीय महिलाओं में इस बीमारी की अधिकता बढ़ गई है। एपिडेमियोलॉजिकल स्टडीज के आँकड़ों के अनुसार, प्रत्येक एक लाख में 25 से अधिक महिलाएँ स्तन कैंसर से ग्रसित है। और हर एक लाख में से करीब 13 महिलाएँ ब्रेस्ट कैंसर के कारण मौत का शिकार हो जाती है। आनुवंशिक कारक और पारिवारिक इतिहास (BRCA1 और BRCA2 जीन की विरासत) आप में स्तन कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। ये ऐसे कारक हैं जो हमारे नियंत्रण से बाहर हैं। लेकिन कई अध्ययनों ने मोटापे, खराब जीवनशैली, धूम्रपान और शराब पीने जैसे कारकों की पहचान की है जो आपके कैंसर के जोखिम को बढ़ाते हैं। खराब जीवनशैली और अत्यधिक वजन रजोनिवृत्ति के बाद स्तन कैंसर के दो मुख्य जोखिम कारक होते हैं। पश्चिमी संस्कृति के प्रति हमारे लगाव के कारण हमारे खान-पान की आदतों में बहुत बदलाव आया है। फास्ट फूड द्वारा हम अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड, हानिकारक वसा और उच्च चीनी वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं। आइए पता करें कि आहार और जीवनशैली की बदलती आदतें स्तन कैंसर के प्रति हमारी निकटता को कैसे बढ़ाती हैं। 

 

सूजन, ख़ान-पान, और स्तन कैंसर के बीच में क्या संबंध है?

 

जब हम सूजन के बारे में सुनते हैं तो हमारे ज़हन में उसकी एक नकारात्मक तस्वीर सामने आती है। लेकिन क्या आपको यह पता है कि सूजन हमारे शरीर के प्रतिरक्षा प्रणाली का एक हिस्सा है। जब हमारे शरीर पर किसी संक्रमण या बाहरी हानिकारक पदार्थों का प्रभाव होता है, तो हमारे रुधिर में उपस्थित श्वेत रक्त कोशिकाएँ इन रोगजनक कारको को बेअसर करने के लिए इंफ्लेमेटरी प्रतिक्रियाएँ उत्पन्न करती हैं। लेकिन कई अध्ययनों में यह बताया है कि कोई भी सूजन (एक्यूट और क्रॉनिक दोनों) स्तन कैंसर सहित कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है। कई खाद्य पदार्थों को प्रो-इंफ्लेमेटरी खाद्य पदार्थ की श्रेणी में रखा जाता है, इसमें प्रोसेस्ड मांस, ट्रांस-वसा, कृत्रिम परिरक्षक और शर्करा शामिल हैं। इसकी बजाय फ्लेवोनोइड्स, कैरोटिनॉयड्स, फाइबर और विटामिन जैसे एंटी-इंफ्लेमेटरी योगिकों से समृद्ध खाद्य पदार्थों जैसे फल, हरी सब्जियां, लीन प्रोटीन, प्रोबायोटिक्स और साबुत अनाज को अपने भोजन में शामिल करना चाहिए। 

 

इसीलिए, आपको यह जानना आवश्यक है कि अस्वास्थ्यकर आहार संबंधित आदतें स्तन कैंसर के लिए जिम्मेदार कारकों में से एक हैं।

 

हमें अपने खाने में क्या शामिल करना चाहिए?

 

हमें अपने खाने में एंटी-इंफ्लेमेटरी खाद्य पदार्थों को शामिल करना चाहिए, जिसमें से कुछ मुख्य निम्नलिखित हैं:

  • हरी पत्तेदार सब्ज़ियाँ: भारत में कुछ हरी पत्तेदार सब्ज़ियाँ प्रचुर मात्रा में मिलती हैं जो एंटीऑक्सिडेंट, आयरन और फोलेट से भरपूर हैं, इनमें पालक, हरी सरसों, मेथी, गोभी, लाल गोभी और अरबी शामिल हैं। इन हरी पत्तेदार सब्जियों में ल्यूटिन, बीटा कैरोटीन और ज़ेक्सैन्थिन जैसे कैंसर रोधी एंटीऑक्सिडेंट उपस्थित होते हैं जो स्तन कैंसर के जोखिम को कम करते हैं।
  • फैटी फिश: सैल्मन, बासा, सार्डिन और मैकेरल मछलियों में ओमेगा -3 फैटी एसिड खूब मात्रा में पाया जाता हैं। यह ओमेगा-3 ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के कारण होने वाली इंजरी और सूजन को कम करता है। इन मछलियों में पाया जाने वाला एक एंटीऑक्सीडेंट-माइक्रोन्यूट्रिएंट सेलेनियम स्तन कैंसर के खतरे को कम करने में सहायता करता है।
  • बेरीज और खट्टे फल: ये फल विटामिन सी, फ्लेवोनोइड्स और एंथोसायनिन से भरपूर होते हैं, ये यौगिक सेलुलर क्षति को रोकते हैं, और ये कैंसर कोशिकाओं के विकास और प्रगति को कम करते हैं। इसके साथ-साथ बेरीस (berries) में कैंसर रोधी और सूजन रोधी यौगिक जैसे क्वेरसेटिन, हिक्स्पेरेटिन और नारिनजेनिन समृद्ध मात्रा में मौजूद होते हैं।
  • किण्वित (fermented) खाद्य पदार्थ: कुछ खाद्य पदार्थ जैसे किम्ची, दही, सौकरौट कई विटामिन, खनिज, प्रोबायोटिक्स और एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होते हैं। इनका सेवन स्तन कैंसर के जोखिम को कम करता है और आपके स्वास्थ्य को नियमित करने में मदद करता है। 
  • एलियम सब्जियाँ: इन सब्ज़ियों में हल्दी, लहसुन और प्याज शामिल होते हैं। ये ऑर्गनो-सल्फर एंटीऑक्सीडेंट के अच्छे स्रोत होते हैं। कई अध्ययन भी इस बात का समर्थन करते हैं कि एलियम सब्ज़ियों के सेवन से स्तन कैंसर की संख्याओं में कमी सकती है।
  • क्रुसिफेरस सब्जियाँ: इनमें गोभी, ब्रोकोली, और फूलगोभी शामिल होती हैं, ये उत्कृष्ट एंटी-इंफ्लेमेटरी खाद्य पदार्थ होते हैं और इनके नियमित सेवन से स्तन कैंसर का जोखिम कम होता है। 

 

क्या शारीरिक निष्क्रियता स्तन कैंसर के खतरे को बढ़ा सकती है?

 

कुछ चिकित्सीय अध्ययनों ने कम शारीरिक गतिविधि या निष्क्रियता और स्तन कैंसर के बढ़ते जोखिम के बीच एक मजबूत संबंध बताया है। हालाँकि, कई वैज्ञानिक अभी भी इन दोनों के बीच के संबंध के सटीक कारण का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन कई अध्ययनों ने यह पुष्टि की है कि निष्क्रिय जीवनशैली हमारे हार्मोनल स्तर में असंतुलन उत्पन्न करती है। शारीरिक निष्क्रियता से आपके शरीर पर कुछ प्रभाव निम्नलिखित हैं:

 

  • कम इंसुलिन प्रतिरोधकता (resistance): 

इंसुलिन रेजिस्टेंस एक चिकित्सा स्थिति है जिसमें इंसुलिन हार्मोन स्वस्थ रक्त शर्करा के स्तर को बनाए रखने में अपनी क्षमता को खो देता है। इंसुलिन रेजिस्टेंस आपके शरीर में सूजन के स्तर को बढ़ा सकता है। उच्च सूजन स्तर स्तन कैंसर का उच्च जोखिम कारक हो सकता है।

  • मोटापा:

कम शारीरिक गतिविधि आपके शरीर के अतिरिक्त वजन का मुख्य कारण होती है। कुछ चिकित्सीय अध्ययनों ने मोटापे और स्तन कैंसर के बीच संबंध बताया है। कुछ नियमित व्यायाम जैसे एरोबिक्स, पैदल चलना, साइकिल चलाना, तैरना या नृत्य करना स्वस्थ वजन बनाए रखने में मदद कर सकते हैं। 

 

अत्यधिक स्क्रीन समय या बिंज वॉचिंग का प्रभाव 

टेलीविजन, लैपटॉप, मोबाइल या टैबलेट पर लगातार समय व्यतीत करना हमारे गतिहीनता के स्तर को काफी बढ़ा देता है जिससे शरीर के अत्यधिक वजन होने का खतरा काफ़ी गुना बढ़ जाता है। इन सब उपकरणों में उच्च कैलोरी वाले खाद्य और पेय पदार्थों के विज्ञापन समय-समय पर दिखाए जाते हैं, जिससे हमें इन हानिकारक खाद्य पदार्थों को खाने की इच्छा होती है, और इनके सेवन से वजन और मोटापा बढ़ता है।

 

निष्कर्ष 

 

विश्व स्तर पर स्तन कैंसर सबसे आम कैंसर में से एक है। हाल ही में युवा भारतीय महिलाओं में स्तन कैंसर मामलों की बढ़ती संख्या देखी जा रही हैं। पश्चिमी जीवन शैली को अपनाना इसकी संख्या में बढ़ोतरी के कारणों में से एक है। हालाँकि, इस कैंसर के आनुवांशिक और वंशानुगत कारक हमारे नियंत्रण से बाहर हैं, एक स्वस्थ जीवन शैली इसके जोखिम को कम करने में मदद करती है। कुछ साधारण खाद्य व्यवहार में परिवर्तन जैसे खाने में एंटी-इंफ्लेमेटरी खाद्य पदार्थों को शामिल करना और प्रो-इंफ्लेमेटरी खाद्य पदार्थों का परहेज करना, आपका शुरुआती चरण हो सकते हैं। इसके साथ-साथ, एक सक्रिय जीवन शैली के लाभों को कम मत समझिए, इसके लिए रोज़ाना जिम जाएं या अपनी रुचि के अनुसार व्यायाम करें।

 

स्तन कैंसर का प्रोग्नोसिस तभी उत्तम होता है जब इसका शीघ्र निदान और तुरंत इलाज किया जाए। इसके लिए अपने डॉक्टर द्वारा निर्धारित नियमित स्वास्थ्य जांच और मैमोग्राफी करवायें। स्तन कैंसर के लक्षणों के बारे में ख़ुद को शिक्षित करें और नियमित रूप से स्तनों का स्व-परीक्षण करें। अगर आपको कोई लक्षण या अनियमितता महसूस होती है, तो तुरंत अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से मिलें।

Medanta Medical Team
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