निमोनिया एक संक्रामक रोग होता है जो व्यक्तियों के फेफड़ों पर असर डालता है। यह किसी संक्रमित व्यक्ति की खांसी या छींक से निकली बूंदों के संपर्क में आने से आसानी से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। इसके कारकों में बैक्टीरिया, वायरस या फंगस शामिल होते हैं, जो फेफड़ों में बस जाते हैं, और वहाँ पर विभाजित हो कर बढ़ते रहते हैं। यह बीमारी पहले से मौजूद स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले व्यक्तियों के लिए घातक हो सकती है। छोटे बच्चे, शिशु और बुजुर्ग विशेष रूप से इस बीमारी के जोखिम वर्ग में आते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, भारत उन छह देशों के ग्रुप में शामिल है जो दुनिया में निमोनिया के सालाना कुल मामलों का आधे से अधिक हिस्सा बनाते हैं। इन छह देशों के ग्रुप में अन्य देश हैं चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश, इंडोनेशिया और नाइजीरिया।
निमोनिया के लक्षण कारकों के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं जिसमें संक्रमण के पीछे जीवाणु का प्रकार, व्यक्ति की उम्र और व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली की क्षमता शामिल हैं। निमोनिया के शुरुआती अवस्था में लक्षण सर्दी या फ्लू से काफी समानता रखते हैं। हालाँकि, निमोनिया के लक्षण सर्दी या फ्लू की तुलना में अधिक समय तक रहने की संभावना है। निमोनिया के अन्य लक्षणों में शामिल हैं:
कमजोर इम्युनिटी वाले व्यक्तियों, जैसे कि एड्स, कैंसर या एचआईवी से पीड़ित लोगों में भी इस बीमारी के होने की संभावना अधिक होती है।
कुछ बुनियादी सावधानियों को बरतने से निमोनिया से बचा जा सकता है। नीचे कुछ बातें हैं जिन्हें आप ध्यान में रख सकते हैं:
टीकाकरण केवल शॉट लगने वाले व्यक्ति को ही फ़ायदा नहीं पहुँचाता, बल्कि यह एक पूरे समुदाय को संरक्षण (herd protection) का लाभ देता है। जब व्यक्तियों को टीका लगता है तो उनके आसपास के व्यक्तियों में रोगजनक कीटाणुओं के फैलने की संभावना कम हो जाती है, जिससे बीमारी फैलने की संभावना भी कम हो जाती है।
इन कारकों के अलावा, वायु प्रदूषण भी आपके फेफड़ों को कमजोर कर सकता है और आपको रोग पैदा करने वाले विभिन्न कीटाणुओं के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकता है। अतः वातावरण और घर के अंदर वायु प्रदूषण दोनों को कम करने की सलाह दी जाती है।
जो लोग पहले ही निमोनिया से प्रभावित हो चुके हैं, उन्हें डॉक्टर पर्याप्त मात्रा में आराम और तरल पदार्थों के सेवन की सलाह देते हैं। बीमारी के दौरान हाइड्रेटेड रहने से कफ को पतला करने और खांसी द्वारा इसे बाहर निकलने में मदद मिलती है। अगर समय पर निमोनिया का इलाज न किया जाए तो इससे गंभीर दुष्परिणाम हो सकते हैं। बीमारी से रिकवरी के लिए डॉक्टर से समय-समय पर परामर्श महत्वपूर्ण चरण होता है।
This blog is a Hindi version of an English-written Blog - Pneumonia: Symptoms, Risk Factors and Prevention Guid
Related articles
Prev आनुवंशिकी और कैं...
Next पॉलीसिस्टिक ओवरी...