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नींद आपके ब्लड शुगर को कैसे प्रभावित करती है?

नींद और रक्त शर्करा (Blood sugar) के स्तर के बीच एक जटिल संबंध होता है, क्योंकि रात की नींद ग्लूकोज पाचन को प्रभावित करती है। इसीलिए रात की अच्छी नींद उच्च रक्त शर्करा के लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए बहुत आवश्यक है।

 

मनुष्यों में सर्केडियन चक्र (circadian cycle) के अनुसार आपका रक्त शर्करा (blood glocose) का स्तर सुबह जल्दी बढ़ता है। इसी तरह, जब आप आराम करते हैं तब रक्त शर्करा का स्तर बढ़ जाता हैं। रात को और सोते समय रक्त शर्करा के स्तर में उतार-चढ़ाव होना एक आम बात है और स्वस्थ व्यक्तियों में यह चिंता का विषय नहीं होती। 

उच्च रक्त शर्करा के लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए रात की अच्छी नींद बहुत महत्वपूर्ण है। कई शोध से ये पता चला है कि पिछले कई दशकों से हर रात लोगों के सोने की औसत घंटों में लगातार गिरावट रही है। कम सोने की प्रवृत्ति अधिक वजन और मधुमेह से पीड़ितों की संख्या वृद्धि में एक अहम भूमिका निभाती है। जैसे रक्त शर्करा का स्तर मोटापे और मधुमेह को प्रभावित करता है वैसे ही मधुमेह और अधिक वजन रक्त शर्करा के स्तर पर असर करता हैं। नतीजतन, रक्त शर्करा पर नियंत्रण, वजन घटाने और अच्छी नींद पाने में भूमिका निभाता है।

नींद और आपके स्वास्थ्य के बीच एक गहरा संबंध होता है, इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि रात की नींद ग्लूकोज पाचन को प्रभावित करती है। जिससे, नींद और रक्त शर्करा के स्तर के बीच एक संबंध बन जाता है।

 

क्या सोते समय रक्त शर्करा के स्तर में कोई बदलाव होता है?

 

इसका सीधा संबंध इंसुलिन हॉर्मोन आपके खून में से कितनी अच्छी तरह से ग्लूकोस को साफ़ कर पता है, पर निर्भर करता हैं। जब आप रात को सोते हैं, तो आपकी रक्त शर्करा में अक्सर सुबह 4 से 8 बजे के बीच (यह आमतौर पर बढ़ता है) उतार-चढ़ाव दिखता है। इस घटना को dawn effect कहते हैं। रक्त शर्करा के स्तर को सामान्य बनाये रखने के लिए इंसुलिन हॉर्मोन मांसपेशियों, वसा और यकृत कोशिकाओं को आपके रक्त से ग्लूकोज लेने के लिए संकेत देता हैं, ताकि आपके रक्त में शर्करा का स्तर संतुलित रहें। 

मधुमेह ग्रसित लोगों या जिनमे मधुमेह होने की आशंका हो उनमें, इंसुलिन हॉर्मोन की मात्रा या प्रभावशीलता कम हो जाती है, जिससे की रक्त शर्करा का स्तर बढ़ जाता है।

 

नींद कैसे हमारे मधुमेह होने के जोखिम को प्रभावित करती है?

 

यह संभावना हैं की नींद हमारे मधुमेह होने के जोखिम को प्रभावित करती है, क्यूंकि नींद के पैटर्न का कोशिकाओं की इंसुलिन के प्रति प्रतिक्रिया पर संचयी (cumulative) प्रभाव पड़ता है। एक शोध में चार हजार से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया जहां उन्होंने बताया कि उन्होंने हर रात कितनी नींद ली। जिन लोगों ने  हर रात 6 घंटे से कम नींद ली उनमें इंसुलिन प्रतिरोधी कोशिकाओं या टाइप 2 मधुमेह विकसित होने की संभावना दोगुनी थी। यह तब भी था जब शोधकर्ताओं ने दिनचर्या के कई अन्य तरीकों को भी संतुलित रखा। 

स्लीप एपनिया और अन्य नींद के विकार मधुमेह के आपके जोखिम को कई गुना बढ़ाते हैं। वही दूसरी ओर, बहुत अधिक नींद (प्रत्येक रात 9 घंटे से अधिक) भी मधुमेह के आपके जोखिम को बढ़ा सकती है। 

नींद आपके ग्लूकोज के स्तर को बढ़ा या घटा सकती है:

रात की नींद ग्लूकोज के स्तर को बढ़ाने और घटाने के लिए एक महत्वपूर्ण कारक है। रात में और नींद के दौरान ब्लड शुगर में औसत वृद्धि हमारे शरीर के दैनिक चक्र (सर्केडियन रिदम) का हिस्सा है। और रक्त शर्करा में ये कभी-कभी होने वाले स्पाइक्स हानिरहित और काफी सामान्य हैं।

एक अच्छी आरामदायक नींद आपके स्वस्थ प्रणालियों (healthy systems) को बढ़ावा देकर हानिकारक रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में मदद करती है। इसीलिए नींद की कमी से रक्त शर्करा के स्तर के उच्च होने की संभावना बढ़ जाती है। एक रात की असंतुलित नींद इंसुलिन रेजिस्टेंस को बढ़ा सकती है और जिससे, रक्त शर्करा का स्तर बढ़ सकता है। इसी वजह से नींद की कमी का मधुमेह होने से सीधा संबंध है।

हालाँकि, मधुमेह और नींद के बीच के संबंध को ओर समझने के लिए अधिक अध्ययन की ज़रूरत हैं। नींद का रक्त शर्करा के स्तर पर प्रभाव देखने के लिए निम्न संकेतों को ध्यान में रखा गया हैं:

  • व्यक्ति औसतन कितनी देर सोता हैं 
  • नींद के विभिन्न चरणों की प्रगति
  • व्यक्ति के सोने और उठने का समय 
  • व्यक्ति की आयु 
  • व्यक्ति की पोषण संबंधी दिनचर्या

 

हर रात आराम की नींद कैसे लें?

 

  • सोने से कुछ समय पहले स्क्रीन से दूर रहे:

स्क्रीन जैसे मोबाइल फ़ोन, लैपटॉप, या अन्य यंत्र सफ़ेद रोशनी निकालते हैं जो रात को आपको जगाए रखती हैं। यदि आपको लगता हैं कि सोने से पहले इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को पढ़ने से आपकी नींद में खलल पड़ता है, तो सोने से पहले किताबों को पढ़ने का प्रयास करें।

  • सोने से पहले शराब के सेवन से बचे:

सोने से पहले एक ग्लास वाइन पीने से आपको थकान में आराम मदद मिल सकता है, लेकिन यह संभावना कम हो जाती है कि आप रात भर सो पाएंगे।

  • नींद में आने वाली रुकावटों को दूर करें:

बीच रात में मेसेज आपकी नींद में बाधा डाल सकते हैं, इसीलिए रात को फ़ोन बंद कर दें। अपने फ़ोन के अलार्म के बजाय, आप पारंपरिक अलार्म घड़ी उपयोग में ले सकते हैं। रात को फ़ोन की आवश्यकता नहीं होने का विश्वास आपके सुकून-भरी नींद की मुख्य वजह बनता है। 

  • सौम्य संगीत चला सकते हैं:

रात को अनचाहा शोर या सुबह-सुबह कचरे के ट्रक, सड़क पर सफाई करने वाले और काम पर जाने वाले लोगों के शोर आपके सोने में ख़लल डाल सकते हैं। अगर आपको सोने में परेशानी हो रही है तो पंखे को चालू करने या कोई सौम्य धीमे गानों से इन रुकावटों को दूर करने में मदद मिल सकती है।

  • रोज़ सोने और उठने का समय एक रखे:

रोज़ (सप्ताहांत सहित) नियमित रूप से सोने-जागने का समय एक ही रखने से रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में में मदद मिलती हैं। 

  • देर रात उत्तेजक पदार्थों का सेवन करने से बचें:

अंधेरा होने के बाद कैफीन, व्यायाम, और यहां तक ​​कि घर के मेहनत वाले कामों से दूर रहें। ये आपके हृदय गति और रक्तचाप में वृद्धि करते हैं जिससे आपके शरीर को विश्राम की सामान्य स्थिति में लौटने में अधिक समय लगता है। इसकी बजाय आप रात को धीमी गति वाले योग करने चाहिए, ये आपको विश्राम की अवस्था में लाने और नींद के लिए तैयार होने में मदद करते है।

  • सोने के वातावरण का ध्यान रखें:

रात की अच्छी नींद के लिए एक सुखद नींद का वातावरण होना बहुत ज़रूरी हैं। एक अच्छा गद्दा और तकिया इसमें बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 

एक आरामदायक रात की नींद के लिए कमरे के उचित तापमान की भी एक अहम भूमिका होती है। तापमान को अपने अधिक आरामदायक बनाने के लिए खिड़की को खोल लें या आप पंखे का उपयोग कर सकते हैं।

 

निष्कर्ष 

अब आपको नींद और रक्त शर्करा के बीच में संबंध का ज्ञान हो गया होगा। अगर आपको सोने में लगातार परेशानी हो रही है, तो आपको अपने डॉक्टर को दिखाना चाहिए। चिकित्सीय मदद के बिना लंबे समय से नींद की कमी बीमारी से आपका पूरे दिन सामान्य रूप से काम करना मुश्किल हो सकता है। 

अपनी दिनचर्या के एक या अधिक पहलुओं में बदलाव से आपको बेहतर नींद आने में सहायता मिल सकती है। एक मामूली परिवर्तन से भी रक्त शर्करा के स्तर पर प्रभाव पड़ सकता है। किसी भी आदत को बनने में आम तौर पर लगभग तीन सप्ताह लग सकते हैं, इसलिए अपनी इस आदत को दैनिक रूप से बनाए रखना महत्वपूर्ण है।

 

Medanta Medical Team
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