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इन्फ्लैमेटरी बाउल डिजीस (आईबीडी): यह कब हो सकता है और इसके होने पर क्या करना चाहिए?

इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज एक बीमारियों का समूह होता है जिसका उपयोग उन बीमारियों को वर्गीकृत करने के लिए किया जाता है जो एक सूजन के कारण होती हैं और मल त्याग में बाधा डाल सकती हैं। आजकल बढ़ते शहरीकरण, गतिहीन (sedentary) जीवन शैली और ख़ान-पान में बदलाव, और पर्यावरण प्रदूषण के कारण भारतीयों में आईबीडी के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है, और विभिन्न अध्ययनों से पता चला है कि विकासशील देशों में रहने वाले व्यक्ति विभिन्न कारकों, जैसे कि स्वच्छता, जीवन शैली, और पर्यावरण, के कारण आईबीडी के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।

 

इन्फ्लैमेटरी बाउल डिजीस के कितने प्रकार हैं?

 

आईबीडी दो प्रकार के होते हैं और दोनों प्रकार में व्यक्ति को डायरिया, पेट में दर्द, अचानक वजन कम होना और थकान महसूस हो सकती है।

  • अल्सरेटिव कोलाइटिस: आमतौर पर यह कोलन (बड़ी आंत) और मलाशय के अंदरूनी परत को प्रभावित करता है, और इसके लक्षण लंबे समय तक रहते हैं।
  • क्रोहन रोग: इस स्थिति में पाचन तंत्र में सूजन जाती है, जिसका डाइजेस्टिव ट्रैक्ट के अन्य भागों में फैलने का खतरा अधिक होता है। 

 

इन्फ्लैमेटरी बाउल डिजीस का मुख्य कारण क्या होता है?

 

इन्फ्लैमेटरी बाउल डिजीस का सबसे मुख्य कारण प्रतिरक्षा प्रणाली में खराबी होना है। जब आपकी कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली हानिकारक वायरस या बैक्टीरिया से लड़ने की कोशिश करती है, तो ये अक्सर आपके पाचन तंत्र की कोशिकाओं पर हमला कर सकता है। वंशानुगत कारक भी आईबीडी के कारण हो सकता है। पहले, डॉक्टर खराब आहार और तनाव को आईबीडी का मूल कारण मानते थे, लेकिन डॉक्टरों ने अब यह निष्कर्ष निकाला है कि ये कारक केवल स्थिति की गंभीरता को बढ़ाते हैं।

 

कौन से कारक आप में आईबीडी के जोखिम को बढ़ाते हैं?

 

कई कारक आईबीडी की स्थिति के विकास में योगदान कर सकते हैं, इनमें से कुछ मुख्य निम्नलिखित हैं:

  • आयु: आईबीडी ग्रसित अधिकांश लोगों में 30 वर्ष से पहले इसका पता चल जाता है। दूसरों के लिए, आईबीडी के लक्षण 50 या 60 वर्ष की उम्र तक भी विकसित नहीं होते हैं।
  • पारिवारिक इतिहास: यदि आपके परिवार के सदस्यों में आईबीडी का इतिहास है, तो आप में दूसरों की तुलना में इसके विकसित होने की संभावना अधिक होती हैं।
  • दवाएँ: कुछ नॉन-स्टेरॉयडल, एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएँ आईबीडी के लक्षणों को बढ़ा सकती हैं, यदि आईबीडी पहले से किसी में हैं या कोई व्यक्ति में इसके होने के जोखिम को पैदा कर सकती हैं।
  • धूम्रपान: तंबाकू का उपयोग शायद सबसे नियंत्रणीय जोखिम कारको में से एक है। अपने आईबीडी के जोखिम को कम करने के लिए धूम्रपान से बचें।
  • पर्यावरणीय कारक और डाइट: पर्यावरणीय घटक और आहार विकल्प आपके आईबीडी के होने के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। यदि आपके आहार में प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ या उच्च वसा वाले खाद्य पदार्थ शामिल है, तो आप इस रोग के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हो।

 

आईबीडी के किन लक्षणों पर नज़र रखनी चाहिए?

 

व्यक्ति में आईबीडी के संकेत और लक्षण हल्के से लेकर गंभीर तक भिन्न होते हैं। लक्षणों की गंभीरता इस बात पर भी निर्भर करती है कि यह पाचन तंत्र के किस हिस्से को प्रभावित करता है। इसके विशिष्ट लक्षणों में कुछ मुख्य लक्षण निम्न हैं:

  • मल में रक्त आना 
  • दस्त
  • पेट दर्द और गंभीर ऐंठन महसूस होना 
  • खून की कमी के कारण आयरन की कमी होना 
  • बार-बार शौच करने की इच्छा होना
  • बुखार आना और वजन कम होना

 

कौन सी स्थितियाँ आईबीडी को खराब कर सकती हैं?

 

हालाँकि, आईबीडी के हालात ख़राब होने का सटीक कारण को हम इंगित नहीं कर सकते हैं, परंतु नीचे कुछ संभावित कारणों की एक सामूहिक सूची दी है जो इस स्थिति को बदतर बना सकती है:

  • खाद्य पदार्थ: कैफीन, शराब, धूम्रपान, डेयरी उत्पाद, फ़िज़ी पेय, उच्च फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ, और तेल या मसालेदार भोजन का अत्यधिक उपयोग आपके आईबीडी को और बदतर कर सकता है, चाहे वो अल्सरेटिव कोलाइटिस हो या क्रोन रोग हो।
  • बीच-बीच में दवाएँ स्किप करना: यदि आपमें पहले से ही आईबीडी की पुष्टि हो चुकी है तो अक्सर यह  सलाह दी जाती है कि आप अपनी निर्धारित दवाओं का नियमित शेड्यूल पर हो लें।
  • अत्यधिक तनाव: तनाव सूजन को करने या उसे बढ़ाने में अहम भूमिका रखता है। इसके साथ-साथ अत्यधिक तनाव आईबीडी से निपटना और भी कठिन बना सकता है।

 

आईबीडी का निदान और उपचार क्या है?

 

आपका डॉक्टर आईबीडी की पुष्टि करने के लिए कुछ परीक्षण करवाते हैं, जिसमें से निम्न मुख्य हैं:

  • कोलोनोस्कोपी: इस जाँच में आपके मलाशय में लगभग आधा इंच की एक लचीली ट्यूब डाली जाती है, जिससे डाइजेस्टिव ट्रैक्ट को स्कैन किया जाता है ताकि मौजूद स्थिति का निदान किया जा सके।
  • रक्त परीक्षण: ब्लड टेस्ट से संक्रमण और एनीमिया का पता लगाने में मदद मिलती है।
  • सिग्मायोडोस्कोपी: जबकि कोलोनोस्कोपी द्वारा आपके पूरे कोलन का निरीक्षण होता है, वही सिग्मायोडोस्कोपी केवल आपके कोलन के निचले हिस्से में उपस्थित समस्याओं को पहचानने में सहायता करता है।

 

एक बार पुष्टि होने पर और आपके परीक्षण के परिणामों के आधार पर, आपका डॉक्टर स्थिति से संबंधित दर्द और परेशानी को कम करने वाले जीवनशैली में परिवर्तनों और दवाओं का सुझाव देंगे। आपका डॉक्टर निम्न सुझाव दे सकता है:

  • एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाइयाँ: ये आईबीडी के इलाज में मुख्य भूमिका रखते हैं। 
  • इम्यून सिस्टम सप्रेसर्स: जो आपके इम्यून सिस्टम द्वारा जारी रसायनों को दबा कर उपचार में मदद करते हैं।
  • एंटीबायोटिक्स, और अन्य सप्लमेंट्स: ये सूजन के कारण होने वाले दर्द को कम करने में मदद करते हैं।

 

आप आईबीडी दर्द को कम करने के लिए क्या उपचार कर सकते हैं?

 

आपका डॉक्टर उपचार कि साथ-साथ आहार और जीवनशैली में बदलाव का सुझाव भी दे सकते हैं। आईबीडी दर्द को कम करने के लिए नीचे कुछ आसान कार्य बताये हैं जो आप कर सकते हैं:

  • एक फ़ूड डायरी बनायें: आप जो कुछ भी खाते हैं उससे आप कैसे प्रभावित हुए हैं, ये सब डायरी में ट्रैक करें। इससे आपको यह समझने में मदद मिलेगी कि आपको लंबे समय में किन खाद्य पदार्थों को ख़ाना चाहिए और किन के सेवन से से बचना चाहिए।
  • अपने तनाव को मैनेज करें: तनाव आईबीडी के लक्षणों को बढ़ाने में मुख्य भूमिका रखता हैं। तनाव को नियंत्रित करने के साधनों जैसे मैडिटेशन द्वारा श्वास और हृदय गति को नियंत्रित करना, का उपयोग कर सकते हैं।
  • नियमित अंतराल पर अपने चिकित्सक के साथ अपनी दवा की डोज़ की समीक्षा करें: अपने चिकित्सक के साथ अपने उपचार की प्रगति पर चर्चा एक नियमित अंतराल पर करना अनिवार्य होता है। यदि फिर भी आपको आराम नहीं मिल रहा है या कुछ और समस्या या प्रश्न है, तो उस जानकारी को अपने डॉक्टर के साथ साझा करें और उपचार के अन्य विकल्प के बारे में जानकारी लें।
  • धूम्रपान छोड़ें: तम्बाकू आईबीडी के लिए एक उत्तेजक होता है, इसलिए इसके निदान के तुरंत बाद धूम्रपान छोड़ना सबसे अच्छा स्टेप होता है।

 

ऊपर कुछ इन्फ्लैमरेटरी बाउल डिजीज से निपटने के तरीके हैं। अगर आप किसी लक्षण को महसूस कर रहे हैं, तो मदद के लिए आगे बढ़ें, बात करें, सहायता समूहों में शामिल हों, अपने शरीर और दिमाग द्वारा बताये जाने वाले लक्षणों के बारे में जागरूक रहें और जब भी आपको जरूरत महसूस हो तो अपने डॉक्टर से तुरंत परामर्श करें। 

Medanta Medical Team
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