भारत में हर साल अचानक कार्डियक अरेस्ट की वजह से लगभग 7 लाख लोगों की मौत हो जाती है, जो सभी मृत्यु का लगभग 10% है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि अचानक कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में प्रारंभिक 10 मिनट बहुत महत्वपूर्ण होते हैं और इस दौरान की गई मदद किसी मरीज को बचाने में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। कार्डिएक अरेस्ट एक ऐसे व्यक्ति में अचानक दिल की कार्यक्षमता खत्म हो जाती है जो दिल की बीमारी से ग्रसित हो भी सकता है और नहीं भी। यह अचानक होता है और इसमें हृदय शरीर में रक्त पंप करना बंद कर देता है। इससे अंगो में रक्त प्रवाह रुक जाता है, जो तत्काल उपचार के बिना जानलेवा हो सकता है। कार्डियक अरेस्ट में प्रारंभिक 10 मिनट के भीतर तत्काल प्राथमिक चिकित्सा मरीज के जीवन बचाने में महत्वपूर्ण होती है। 10 मिनट तक इलाज ना मिलने पर, सीपीआर और डीफिब्रिलेशन की प्रभावशीलता तेजी से कम होने लग जाती है, और जीवित रहने की दर अत्यधिक कम हो जाती है।
कार्डियक अरेस्ट के लक्षण को कैसे पहचाने?
व्यक्ति में अचानक कार्डिएक अरेस्ट एक आपातक़ालीन स्थिति है जिसमें आपका दिल अचानक धड़कना बंद कर देता है। आपके शरीर के अंगों और कोशिकाओं में ऑक्सीजन की कमी होने के कारण अचानक कार्डियक अरेस्ट कुछ ही मिनटों में जानलेवा हो सकता है। इसके तुरंत उपचार करने के लिए कार्डिएक अरेस्ट को पहचानना अति महत्वपूर्ण कदम होता है। बहुत सारे मामलों में, अचानक कार्डियक अरेस्ट के लक्षण पता नहीं चलते हैं। हालांकि, कुछ इसके लक्षण देखे जा सकते हैं और उसके अनुसार तत्काल कदम उठाये जा सकते हैं।
कार्डियक अरेस्ट के कुछ लक्षण निम्न हैं:
उपर्युक्त सभी लक्षण ये इंगित करते हैं कि आपके शरीर में संभावित रूप से हृदयगति की गंभीर समस्या शुरू हो गई है, और आपको तत्काल इलाज की ज़रूरत है।
कार्डियक अरेस्ट के उपचार में- त्वरित कदम सफल इलाज की कुंजी है
ज़्यादातर भारतीयों को यह पता ही नहीं होता की कार्डियक अरेस्ट के कारण अचानक कोई व्यक्ति गिर जाए तो क्या कदम उठाने चाहिए। किसी व्यक्ति के कार्डियक अरेस्ट के कारण पतन के बाद, जीवित रहने की संभावना प्रत्येक गुजरते मिनट के साथ 7-10% कम होती जाती है। रोगी की मदद करने का सबसे तेज़ तरीका कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (CPR) देना है। जैसा कि कोई व्यक्ति रोगी को सीपीआर दे रहा होता है, तत्काल इलाज के लिए आपातकालीन चिकित्सा नंबर डायल करना न भूलें।
रोगी में सीपीआर देते समय निम्न चरणों को ध्यान में रखें:
उपचार
जिन व्यक्तियों को कार्डियक अरेस्ट आया है उन्हें आपातकालीन सहायता के बाद एक अच्छे हॉस्पिटल से उपयुक्त उपचार की आवश्यकता होती है। अस्पताल में, अनुभवी और प्रशिक्षित डॉक्टर दूसरे कार्डियक अरेस्ट से बचने के लिए दवाएं दे सकते हैं और किसी भी लक्षण पर बारीकी से निगरानी रख सकते हैं। उसके बाद, डॉक्टर कार्डियक अरेस्ट के मूल कारण का पता लगाने के लिए विभिन्न जाँचे करते हैं। इन परीक्षण के परिणामों का उपयोग करके डॉक्टर व्यक्ति की उपचार योजना बनाते है। एक स्वस्थ व्यक्ति में अचानक कार्डियक अरेस्ट आने पर हृदय में रक्त के प्रवाह को वापिस से सामान्य करने के लिए शल्य चिकित्सा की आवश्यकता हो सकती है। इसके अतिरिक्त, डॉक्टर इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डीफिब्रिलेटर (ICD) का उपयोग भी कर सकते हैं। आईसीडी एक छोटा उपकरण है जो समय समय पर हृदय को बिजली के झटके भेजकर और हृदय की नियमित दर को बनाए रखते हुए आर्रीथमिया को नियंत्रित करते हैं। एक विशेष हृदय रोग विशेषज्ञ द्वारा यह उपकरण व्यक्ति के छाती या पेट की त्वचा के नीचे प्रत्यारोपित किया जाता है। डॉक्टर आपके दिल के स्वास्थ्य के अनुकूल भोजन और जीवन शैली का सुझाव भी दे सकते हैं।
कार्डियक अरेस्ट को होने से कैसे रोकें?
निष्कर्ष
कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में व्यक्ति को तुरंत सीपीआर और डीफिब्रिलेशन की आवश्यकता होती है। एईडी या डीफिब्रिलेटर सार्वजनिक क्षेत्रों में भी उपलब्ध होते हैं। आपातकालीन सहायता या पैरामीडिक्स के आने तक सीपीआर करें और यदि कोई सहायता उपलब्ध नहीं है तो डीफिब्रिलेशन दें।
कार्डियक अरेस्ट होने के बाद क्या करना चाहिए और क्या नहीं, इसकी जानकारी आप इंटरनेट पर और डॉक्टर द्वारा लिखे गये ब्लॉग्स से प्राप्त कर सकते हैं। एक स्वस्थ जीवन शैली हमेशा आपमें हृदय रोग होने के जोखिम को कम करती है। इसीलिए उचित उपचार और उपचार के बाद के जीवन शैली में परिवर्तन के उपयुक्त निर्देशों के लिए किसी अनुभवी चिकित्सक से सलाह लें।
This blog is a Hindi version of an English-written blog - Cardiac arrest: causes, signs, and symptoms
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