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मरग-एपलपस-क-समझन

मिर्गी (एपिलेप्सी) को समझना: कारण, लक्षण और उपचार के विकल्प

दुनिया भर में मिर्गी बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित करती है। जबकि मिर्गी उन लोगों के लिए एक विचित्र और भ्रमित करने वाली बीमारी हो सकती है जिन्होंने कभी इसका अनुभव नहीं किया है, वहीं यह उन लोगों के लिए एक वास्तविक और चुनौतियों से भरी हो सकती है जो इसके साथ रहते हैं। इस लेख का उद्देश्य मिर्गी क्या है, मिर्गी के लक्षण, कारण, और इसके उपचार पर प्रकाश डालना है। 

 

मिर्गी क्या है और इसके लक्षण क्या हैं?

 

मिर्गी रोग एक न्यूरोलॉजिकल समस्या है जिसमें बार-बार दौरे पड़ते हैं, जिसका कारण मस्तिष्क की इलेक्ट्रिकल गतिविधि अचानक तेज़ हो जाना है। दौरे (Seizures) लोगों को अलग-अलग तरह से प्रभावित करते हैं, और यह इस बात पर निर्भर करता है कि मस्तिष्क का कौन सा हिस्सा प्रभावित हुआ है। 

 

मिर्गी के कुछ सामान्य लक्षण इसके प्रकार के साथ नीचे बताए हैं

 

साधारण आंशिक (फोकल) दौरे या औरा (aura):

 

  • इन दौरों की वजह से व्यक्ति को अजीब भावनाएँ या संवेदनाएँ जैसे डेजा वु की भावना, असामान्य गंध या स्वाद, हाथ और पैरों में झुनझुनी, या भय या खुशी की तीव्र भावना महसूस हो सकती हैं। 
  • साधारण आंशिक दौरे के दौरान लोग जागते रहते हैं।

 

जटिल आंशिक (फोकल) दौरे:

 

  • एक जटिल आंशिक दौरे के दौरान, लोग आस-पास की सतर्कता खो देते हैं और अजीब हरकतें जैसे कि होंठों से बार-बार चटकारे जैसी आवाज़ निकालना, अपने हाथों को रगड़ना, शोर करना, या वस्तुओं के साथ छेड़छाड़ करना, करते हैं। 
  • दौरे के दौरान वे दूसरों को जवाब देने में सक्षम नहीं होते और उन्हें कुछ याद भी नहीं रहता है। 

 

टॉनिक-क्लोनिक दौरे:

 

  • टॉनिक-क्लोनिक दौरे दो चरणों में होते हैं: टॉनिक चरण, जिसमें व्यक्ति बेहोश हो जाता है और उसका शरीर अकड़ जाता है, और क्लोनिक चरण, जहां अंग में झटके आते हैं, मूत्राशय या आंत्र पर नियंत्रण खो सकता है और सांस लेना मुश्किल हो सकता है।
  • आमतौर पर दौरा कुछ मिनटों तक रहता है, और इसके बाद व्यक्ति को सिरदर्द, याददाश्त हानि या भ्रम का अनुभव हो सकता है।

 

एब्सेंस दौरे:

 

  • एब्सेंस दौरे, जिसे पेटिट माल दौरे भी कहते है, के दौरान व्यक्ति थोड़े समय के लिए अपने आस-पास के परिवेश के बारे में बेख़बर हो जाते हैं। ये बच्चों में सबसे आम हैं लेकिन किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकते हैं।
  • दौरे के दौरान, व्यक्ति किसी वस्तु को या खाली जगह में एकटक देख सकता है, ऐसा लग सकता है जैसे वह दिन में सपने देख रहा हो, तेज़ पलकें झपका रहा हो, या या अपने शरीर या अंगों को छोटे-छोटे झटके दे रहा हो। 
  • ये दौरे आम तौर पर 15 सेकंड से अधिक समय तक नहीं रहते हैं और व्यक्ति को इनके बारे में याद भी नहीं रहता। वे एक ही दिन में कई बार हो सकते हैं।

 

मायोक्लोनिक दौरे

 

  • मायोक्लोनिक दौरे में व्यक्ति का शरीर अचानक हिलने या झटके खाने लगता है, जैसे कि बिजली का झटका लगने में होता है। 
  • एक दौरा आमतौर पर एक सेकंड के एक भाग तक रहता है और व्यक्ति उस दौरान जागता रहता है।

 

क्लोनिक दौरे:

 

  • क्लोनिक दौरे के दौरान, व्यक्ति का शरीर हिलने और झटके खाने लगता है, लेकिन शुरुआत में शरीर अकड़ता नहीं है। 
  • यह दौरा आम तौर पर कुछ मिनट तक रहता है और व्यक्ति बेहोश हो सकता है।

 

टॉनिक दौरे:

 

  • टॉनिक दौरे के दौरान, सभी मांसपेशियां अचानक अकड़ जाती हैं, जिससे व्यक्ति अपना संतुलन खो देता है और गिर जाता है।

 

एटोनिक दौरे:

 

  • एटोनिक दौरे में व्यक्ति की सभी मांसपेशियां अचानक शिथिल हो जाती हैं, जिससे वो जमीन पर गिर जाता है।
  • ये दौरे आमतौर पर बहुत कम समय के लिए होते हैं, और व्यक्ति तुरंत दोबारा उठ सकता है।

 

स्टेटस एपिलेप्टिकस:

  • स्टेटस एपिलेप्टिकस में एक दौरा लंबे समय तक रहता है या दौरे की एक श्रृंखला होती है जिसमें व्यक्ति को बीच में होश नहीं आता है। 
  • मिर्गी के ये लक्षण एक चिकित्सीय आपातकालीन स्थिति होती है और इसके लिए तत्काल उपचार की आवश्यकता होती है।

 

दौरा (seizure) क्या है?

 

मस्तिष्क की विद्युत और रासायनिक गतिविधियों में अचानक, अस्थायी परिवर्तन के कारण दौरे आते हैं। यह मस्तिष्क कोशिकाओं (न्यूरॉन्स) की अत्यधिक सक्रियता के फलस्वरूप होता है, जो व्यवहार, गतिविधियों, संवेदनाओं या चेतना में बदलाव का कारण बनता है। 

 

दौरे के दौरान, मस्तिष्क में विद्युत गतिविधियों का सामान्य पैटर्न ख़राब हो जाता है, जिससे अत्यधिक मात्रा में न्यूरोट्रांसमीटर, रसायन जो न्यूरॉन्स के बीच संकेत का आदान-प्रदान करते हैं, उत्सर्जित होते हैं। इससे न्यूरॉन अत्यधिक तेज़ी और अनियंत्रित रूप में सक्रिय होते हैं। जिसके कारण निम्न लक्षण महसूस हो सकते हैं

 

  • कन्वल्शन या मांसपेशियों में संकुचन: यह शरीर के विभिन्न अंगों में मरोड़, काँपना, या ऐंठन के रूप में प्रकट हो सकता है। 
  • चेतना में बदलाव: दौरे के कारण भ्रम, उनींदापन, आस-पास से बेख़बर, या यहां तक ​​कि चेतना की हानि भी हो सकती है। 
  • संवेदी भावना में बदलाव: दौरे के दौरान कुछ लोगों को देखने, सुनने, स्वाद, या स्पर्श में परिवर्तन का अनुभव होता है। 
  • भावनात्मक और व्यवहारिक परिवर्तन: दौरे के कारण मूड या व्यवहार में अचानक परिवर्तन हो सकता है, जिसमें डर, क्रोध या खुशी शामिल है।

 

 एक दौरा कुछ सेकंड से लेकर कई मिनट तक चलता है। दौरे के बाद, कुछ लोग थका हुआ, भ्रमित महसूस कर सकते हैं, या वे सिरदर्द या मांसपेशियों में दर्द महसूस कर सकते हैं। 

 

मिर्गी का निदान कैसे किया जाता है? 

 

मिर्गी के निदान के लिए कई विधियाँ उपलब्ध हैं, जिनमें शामिल हैं

 

  • क्लिनिकल मूल्यांकन: एक न्यूरोलॉजिस्ट आपका विस्तृत चिकित्सा इतिहास लेंगे और विभिन्न शारीरिक परीक्षण करेंगे। वे मरीज से लक्षणों के बारे में पूछेंगे, जिसमें दौरे के प्रकार और आवृत्ति के साथ-साथ किसी अन्य चिकित्सीय स्थिति या मिर्गी के पारिवारिक इतिहास के बारे में भी पूछना शामिल होता है। 
  • इलेक्ट्रोएन्सेफलोग्राम (ईईजी): यह परीक्षण व्यक्ति के मस्तिष्क की विद्युत गतिविधियों को मापता है। मस्तिष्क के विद्युत संकेतों को मापने के लिए सिर की खाल (स्कैल्प) से एक छोटी धातु डिस्क लगाई जाती है जिस पर इलेक्ट्रोड जुड़े होते हैं। 
  • इमेजिंग टेस्ट: मस्तिष्क में किसी भी संरचनात्मक परिवर्तन, जो दौरे का कारण बनता है, को देखने के लिए डॉक्टर कंप्यूटेड टोमोग्राफी (सीटी) स्कैन या मैग्नेटिक रेज़ोनेंस इमेजिंग (एमआरआई) स्कैन की सलाह देते हैं। 
  • रक्त परीक्षण: यह यह जानने में मदद करता है कि क्या कोई अंतर्निहित चिकित्सा स्थिति, जैसे कि संक्रमण, तो मौजूद नहीं है, जो दौरे का कारण बन सकती है। 
  • वीडियो ईईजी: इस परीक्षण में ईईजी को वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ जोड़ा जाता है। यह डॉक्टर को यह देखने की अनुमति देता है कि दौरे के दौरान मस्तिष्क में क्या हो रहा है और मिर्गी के प्रकार की पुष्टि करने में मदद करता है। 
  • न्यूरोसाइकोलॉजिकल परीक्षण: यह रोगी के संज्ञानात्मक और व्यवहारिक कार्य का मूल्यांकन करता है और यह निर्धारित करने में मदद करता है कि दौरे किस हद तक रोगी के दैनिक जीवन को प्रभावित कर रहे हैं। 
  • वाडा परीक्षण: इस टेस्ट का उपयोग मुख्यतः यह पुष्टि करने के लिए किया जाता है कि मस्तिष्क का कौन सा भाग भाषा और स्मृति के लिए प्रभावी है। यह मिर्गी के कुछ रूपों के लिए शल्य चिकित्सा उपचार की योजना बनाने में मदद करता है।

 

मिर्गी का उपचार कैसे किया जाता है?

 

  • एंटी-एपिलेप्टिक दवाएँ: मिर्गी रोग के लिए एंटी-एपिलेप्टिक दवाएँ (एईडी) सबसे आम उपचार हैं। एईडी दौरे की संभावना को कम करती हैं। सबसे अधिक उपयोग में आने वाले कुछ एईडी में वैल्प्रोइक एसिड, कार्बामाज़ेपाइन, फ़िनाइटोइन, लैमोट्रिगिन और लेवेतिरेसेटम शामिल हैं। 
  • सर्जरी: मिर्गी से ग्रसित जिन लोगों पर दवा इच्छित असर नहीं कर पा रही है, उनके लिए सर्जरी एक विकल्प हो सकती है। सर्जरी में आमतौर पर मस्तिष्क के उस हिस्से को हटा दिया जाता है जो दौरे का कारण बनता है। 
  • न्यूरोस्टिम्यूलेशन: डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (डीबीएस) एक न्यूरोस्टिम्यूलेशन तकनीक है जिसमें मस्तिष्क में इलेक्ट्रोड को प्रत्यारोपित किया जाता है जो विशिष्ट क्षेत्रों में विद्युत तरंगों को भेजता है। मिर्गी से पीड़ित कुछ लोगों में दौरे को कम करने में डीबीएस एक प्रभावी उपचार के रूप में सिद्ध हुआ है।
  • वेगस नर्व स्टिम्यूलेशन (वीएनएस): वीएनएस प्रक्रिया में छाती की त्वचा के नीचे एक उपकरण प्रत्यारोपित किया जाता है जो गले में मौजूद वेगस तंत्रिका को विद्युत तरंगें भेजता है। ये तरंगें दौरे की आवृत्ति को कम करने में मदद करती हैं। 
  • आहार चिकित्सा: मिर्गी रोग से ग्रसित कुछ बच्चों में किटोजेनिक आहार की सलाह दी जाती है। यह एक उच्च वसा, कम कार्बोहाइड्रेट वाला आहार है, जो कुछ बच्चों में दौरे की आवृत्ति को कम करने में सहयोगी होता है।

 

This blog is a Hindi version of an English-written Blog - Understanding Epilepsy: Causes, Symptoms, and Treatment Options

Dr. Atma Ram Bansal
Neurosciences
Meet The Doctor
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