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ब्रेन स्ट्रोक और उपचार | मेदांता

 ब्रेन स्ट्रोक मस्तिष्क में रक्त प्रवाह में बाधा डालकर (यह मस्तिष्क को ऑक्सीजन और ग्लूकोज की आपूर्ति को रोक देता है) अचानक शरीर के किसी भी हिस्से में कार्य करने की क्षमता को नुकसान पहुंचाता है। यह एक चिकित्सीय आपातकालीन स्थिति है। स्ट्रोक के दौरान मरीज़ को तत्काल अस्पताल में भर्ती और विशेषज्ञों द्वारा देखरेख की आवश्यकता होती है क्योंकि रक्त प्रवाह बाधित होने के कुछ मिनटों के भीतर ही मस्तिष्क की कोशिकाएँ मृत होना शुरू हो जाती हैं।

स्ट्रोक दुनिया भर में मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण और वयस्क विकलांगता के सबसे प्रमुख कारणों में से एक है। भारत में, हर 20 सेकंड में एक व्यक्ति को स्ट्रोक का सामना करना पड़ता है। स्ट्रोक हर साल लगभग 1.54 मिलियन भारतीयों को प्रभावित करता है।

मस्तिष्क स्ट्रोक के लक्षण क्या हैं?

मस्तिष्क स्ट्रोक के लक्षणों को समझने और रोगी को तत्काल सहायता प्रदान करने के लिए, 'थिंक एंड एक्ट एफ.ए.एस.टी (FAST) को याद रखें:

  • F - फेस: एक तरफ चेहरा लटकना। सहायक को रोगी को मुस्कुराने के लिए कहना चाहिए।
  • A - आर्म्स: हाथों में कमजोरी या लकवा। सहायक को व्यक्ति को दोनों हाथ ऊपर उठाने के लिए कहना चाहिए और यह देखना चाहिए कि क्या एक या दोनों हाथ नीचे की ओर जा रहे हैं।
  • S- स्पीच: अस्पष्ट भाषण। सहायक को व्यक्ति से कुछ बोलने या एक साधारण वाक्य दोहराने का अनुरोध करना चाहिए।
  • T - टाइम: ब्रेन स्ट्रोक के इलाज और उपचार के लिए समय बहुत महत्वपूर्ण घटक है। यदि सहायक रोगी में इनमें से कोई भी लक्षण देखता है, तो उन्हें व्यक्ति को अस्पताल ले जाने के लिए एम्बुलेंस को कॉल करना चाहिए।

आप ब्रेन स्ट्रोक के कुछ कारण और जोखिमों को नियंत्रित कर सकते हैं जबकि अन्य कारक व्यक्ति के नियंत्रण से बाहर हो सकते हैं। नियंत्रित जोखिम कारकों में उच्च कोलेस्ट्रॉल, शारीरिक निष्क्रियता, धूम्रपान/तंबाकू का उपयोग, उच्च रक्तचाप आदि शामिल हो सकते हैं, और अनियंत्रित जोखिम कारकों में आम तौर पर बढ़ती उम्र और स्ट्रोक का पारिवारिक इतिहास शामिल होता है।

मस्तिष्क स्ट्रोक के उपचार के विभिन्न विकल्प क्या हैं?

कारणों के आधार पर स्ट्रोक को मोटे तौर पर दो भागों में बांटा जाता है:

1. इस्केमिक स्ट्रोक:

TOAST सिस्टम के माध्यम से इस्केमिक स्ट्रोक को पांच प्रकारों में वर्गीकृत किया है:

  • बड़ी-धमनी एथेरोस्क्लेरोसिस
  • कार्डियो एम्बोलिज्म
  • छोटे धमिनी में अवरोध
  • अन्य ज्ञात कारणों के कारण होने वाला स्ट्रोक
  • अज्ञात कारणों के कारण होने वाला स्ट्रोक

2. हेमोरेजिक स्ट्रोक (रक्तसाव के कारण होने वाला स्ट्रोक)

1. इस्केमिक स्ट्रोक:

इस्केमिक स्ट्रोक सबसे सामान्य प्रकार के स्ट्रोक में से एक है। जब कोई व्यक्ति इस्केमिक स्ट्रोक से पीड़ित होता है, तो रक्त-आपूर्ति करने वाली धमनियाँ रक्त के थक्कों या किसी अन्य कारण से अवरुद्ध हो सकती हैं, जिससे मस्तिष्क में रक्त प्रवाह काफी कम हो जाता है।

  • बड़ी धमनी एथेरोस्क्लेरोसिस: यह तब होता है जब गर्दन की वाहिकाओं में प्लॉक जमा होने के कारण रक्त के थक्के बन जाते हैं जो मस्तिष्क तक जाते हैं।
  • कार्डियो एम्बोलिज्म: कार्डियक एम्बोलिक स्ट्रोक विभिन्न हृदय धमनियों में अवरोधों के कारण हो सकता है, हृदय में बना एक थक्का मस्तिष्क तक जा सकता है और स्ट्रोक का कारण हो सकता है।
  • छोटी धमनी में अवरोध: हाइपरटेंशन और हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया जैसे जोखिम कारकों के कारण मस्तिष्क की छोटी धमनियों में रक्त का थक्का बनने से बने अवरोध के कारण इस्केमिक स्ट्रोक हो सकता है। यह सबसे आम प्रकार का इस्केमिक स्ट्रोक है।
  • अन्य ज्ञात कारणों के कारण होने वाला स्ट्रोक: इसे तब वर्गीकृत किया जाता है जब अन्य जोखिम कारक स्थितियों जैसे हाइपरकोएगुलेबिलिटी या नॉन-एथेरोस्क्लेरोसिस वाहिका रोगों की अनुपस्थिति के प्रमाण मिलते हैं।
  • अज्ञात कारणों के कारण होने वाला स्ट्रोक: व्यापक जांच के बाद भी यदि स्ट्रोक के कारण का पता नहीं चलता है, तो इस्केमिक स्ट्रोक को अज्ञात कारणों के कारण होने वाला स्ट्रोक माना जाता है।

इस्केमिक स्ट्रोक का उपचार:

स्ट्रोक के सटीक उपचार के लिए स्ट्रोक के प्रकार का पता लगाना महत्वपूर्ण है। इस्केमिक स्ट्रोक के प्राथमिक उपचार का मुख्य लक्ष्य मस्तिष्क को ओर अधिक क्षति से बचाना और रक्त के थक्के को घोलना/हटाना होता है। इसके लिए अल्टेप्लेज़ नामक एक टिश्यू प्लास्मिनोजेन एक्टिवेटर नामक दवा का उपयोग किया जाता है। इस दवा को व्यक्ति के बाजू की शिरा के माध्यम से दिया जाता है। यह रक्त के थक्के को घोलती है और रक्त प्रवाह को बढ़ाती है। कुछ मामलों में, थक्के को हटाने के लिए थ्रोम्बेक्टॉमी नामक सर्जरी की भी सलाह दी जा सकती है, जिसे आमतौर पर स्ट्रोक शुरू होने के छह घंटे के भीतर दिया जाता है। 

द्वितीयक उपचार में समग्र संज्ञानात्मक और शारीरिक क्रिया में सुधार लाने के लिए विभिन्न प्रकार की चिकित्साओं का इस्तेमाल किया जा सकता है, जैसे कि स्पीच थेरेपी, ऑक्यूपेशनल चिकित्सा, मनोवैज्ञानिक चिकित्सा आदि।


2. हेमोरेजिक स्ट्रोक (रक्तसाव के कारण होने वाला स्ट्रोक):

हेमोरेजिक स्ट्रोक मस्तिष्क में रक्त के रिसाव के कारण होता है और इसके मुख्य कारण एन्यूरिज़्म (धमनी का फुलाव), उच्च रक्तचाप, मस्तिष्क में गंभीर चोट, असामान्य रक्त वाहिकाएँ आदि शामिल हैं।

रक्तस्राव के स्थान के आधार पर, हेमोरेजिक स्ट्रोक को दो प्रकारों में बाँटा जाता है:

  • सबअरैक्नोइड रक्तस्राव: जब रक्तस्राव मस्तिष्क और खोपड़ी (स्कल) के बीच होता है।
  • इंट्रासेरेब्रल रक्तस्राव: जब स्ट्रोक का कारण बनने वाला रक्तस्राव मस्तिष्क के अंदर होता है।

हेमोरेजिक स्ट्रोक का उपचार: 

हेमोरेजिक स्ट्रोक को रोकने के लिए अक्सर मस्तिष्क में फटी हुई रक्त वाहिका को ठीक करने के लिए जटिल सर्जरी की आवश्यकता होती है। कभी-कभी, क्रैनियोटॉमी भी की जाती है, जिसमें खोपड़ी के प्रभावित हिस्से को हटाकर फटी धमनी तक पहुंचकर उसकी मरम्मत करते हैं।


क्षणिक (ट्रांसिएंट) इस्केमिक अटैक (टीआईए):

टीआईए को कभी-कभी इस्केमिक स्ट्रोक का एक अन्य उपप्रकार कहा जाता है। टीआईए वास्तव में मिनी-स्ट्रोक है, और इसके कारण और लक्षण इस्केमिक स्ट्रोक से मिलते-जुलते हैं। टीआईए में मस्तिष्क में रक्त प्रवाह अस्थायी रूप से अवरुद्ध हो जाता है और इसके लक्षण आमतौर पर कुछ ही मिनटों तक रहते हैं और  24 घंटों के भीतर स्वाभाविक रूप से चले जाते हैं।

टीआईए का उपचार: 

चूंकि टीआईए के लक्षण कम गंभीर होते हैं और कुछ ही मिनटों तक रहते हैं, इसलिए कई लोग चेतावनी संकेतों को गंभीरता से नहीं लेते हैं। लेकिन इसे अनदेखा करना सही नहीं है। टीआईए को बड़े स्ट्रोक बनने से रोकने के लिए डॉक्टर से उचित परामर्श लें। टीआईए के ज्यादातर मामलों में, रोगियों को रक्त पतला करने वाली दवाएँ और जीवनशैली में बदलाव जैसे कि शारीरिक गतिविधि बढ़ाना, वसायुक्त भोजन से बचना आदि की सलाह दी जाती है।

स्ट्रोक के प्रभावी निदान, उपचार और प्रबंधन इस बात पर निर्भर करते हैं कि स्ट्रोक शुरू होने के बाद रोगी को कितनी जल्दी सही चिकित्सा मिलती है। इसलिए, स्ट्रोक के लक्षणों को जानना और मरीज को जल्द से जल्द अस्पताल ले जाना आवश्यक है।

This blog is a Hindi version of an English-written Blog - Brain strokes conditions and treatment

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