महिलाओं में रजोनिवृत्ति के बाद होने वाली 7 स्वास्थ्य समस्याएँ
- 30 Jul 2023
- #महिला स्वास्थ्य
- #रजोनिवृत्ति
मेनोपॉज महिला की मासिक धर्म प्रक्रिया के समाप्ति को इंगित करता है। आमतौर पर यह 45 से 55 की आयु के बीच होता है और इस स्थित में महिला के एस्ट्रोजन हार्मोन स्तर में अचानक कमी दिखायी देती है। मेनोपॉज़ के दौरान महिलाओं को कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, आइए इनके बारे में और जानकारी प्राप्त करें।
एस्ट्रोज़न हॉर्मोन आपकी रक्त वाहिकाओं को लचीला रखने में और आपके रक्तचाप को स्थिर रखने में मदद करता है। मेनोपॉज़ के बाद एस्ट्रोज़न हॉर्मोन के स्तर में अचानक कमी के कारण, मेनोपॉज़ल महिलाओं में गंभीर हृदय रोग विकसित होने का ख़तरा बढ़ सकता है।
मेनोपॉज़ के दौरान और बाद में महिलाओं में बड़ी मात्रा में तेजी से हड्डी का नुकसान हो सकता है। इससे न केवल उनकी गतिशीलता में बाधा उत्पन्न हो सकती है और इसके अलावा ऑस्टियोपोरोसिस और रेमेटॉइड आर्थराइटिस जैसे गिरावटी रोगों के विकास का ख़तरा बढ़ा सकता है।
प्रोजेस्ट्रोन और एस्ट्रोज़न जैसे हार्मोन मूत्राशय (bladder) के ऊतकों को मोटा करने में मदद करते हैं। मेनोपॉज़ के बाद इन हार्मोन में गिरावट आने से यूरिनरी इनकंटीनेंस (कमजोर मूत्राशय के कारण) की समस्या उत्पन्न हो सकती है, और योनि (vagina) में सूखापन महसूस हो सकता है जो महिलाओं में पीड़ादायक संभोग का कारण बन सकती है और यूरिनरी ट्रैक्ट संक्रमणों के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकती है।
मेनोपॉज़ के दौरान आपके एस्ट्रोज़न स्तर में आयी अचानक कमी आपके अनुपयुक्त वजन बढ़ने का कारण बना सकती है, विशेष रूप से आपकी मध्य क्षेत्र के आसपास। मेनोपॉज़ आपके मूड को भी प्रभावित कर सकता है जिससे आपको अत्यधिक थकान हो सकती हैं और अस्वास्थ्यकर (unhealthy) भोजन खाने का मन कर सकता है जो आपके अनावश्यक मोटापे बढ़ने में मुख्य भूमिका निभाता है।
नींद की कमी मेनोपॉज़ का एक सामान्य लेकिन आमतौर पर ध्यान नहीं देने वाला दुष्परिणाम हो सकता है। अगर आपको दिनभर थकान, अनिद्रा, पैनिक अटैक, और उदासी जैसे लक्षण महसूस होते हैं, तो डॉक्टर से स्लीप एपनिया डिसऑर्डर की जाँच करायें, क्योंकि इनका मेनोपॉज़ के साथ सीधा संबंध हो सकता है।
जिन महिलाओं में 55 की उम्र के बाद (या 46 से पहले) मेनोपॉज़ होता है, उनमें टाइप-2 मधुमेह विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि एस्ट्रोज़न हॉर्मोन का कम स्तर आपके शरीर को इंसुलिन के प्रति प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकता है और टाइप-2 मधुमेह जैसी बीमारियों की शुरुआत के लिए मूल तैयारी कर सकता है।
मेनोपॉज़ आपको ऊपर बताई गई स्वास्थ्य समस्याओं के अलावा कई ओर बीमारियों के लिए संवेदनशील बना सकती है। इसीलिए यह एक आदत बना लें कि कुछ समस्याएँ जैसे ब्रेस्ट कैंसर, लिवर रोग और ऑटोइम्यून बीमारियों जैसे ल्यूपस और थायरॉयडिटिस की जाँच करवाते रहना चाहिए, क्योंकि ये समस्याएँ आपके एस्ट्रोज़न हॉर्मोन स्तरों की अचानक कमी से शुरू हो सकते हैं।
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