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मधुमेह (diabetes) रोगियों के लिए बाईपास सर्जरी कितनी सुरक्षित है?

शरीर में उपस्थित सभी कोशिकाओं के प्राथमिक ऊर्जा स्रोत के रूप में रक्त शर्करा काम में आती है। जब रक्त में शर्करा की मात्रा सामान्य स्तर से अधिक हो जाती है, तो उस स्थिति को मधुमेह कहते है। यह लंबे समय तक रहने वाली बीमारी है जिसका कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन इस स्थिति को उचित दवाओं के साथ नियंत्रित किया जा सकता है। समय के साथ, मधुमेह ह्रदय की रक्त वाहिकाओं और अन्य महत्वपूर्ण अंगों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है, जिसके फलस्वरूप व्यक्ति में हृदय रोग के जोखिम बढ़ सकता है।

 

आज के समय में मधुमेह और हृदय रोग दो सबसे आम स्वास्थ्य समस्याएँ हैं। विभिन्न चिकित्सा अध्ययनों के अनुसार मधुमेह के रोगियों में हृदय की बीमारियाँ विकसित होने की संभावना दूसरों से अधिक होती है। डायबिटीज या तो वंशानुगत कारकों, या अस्वास्थ्यकर जीवन शैली की आदतों के कारण हो सकता है। मधुमेह व्यक्तियों में गंभीर स्वास्थ्य लक्षण जैसे उच्च रक्तचाप (hypertension), धमनियों का संकुचन (एथेरोस्क्लेरोसिस), तंत्रिका क्षति, गुर्दे की समस्याओं, घाव भरने में देरी, और बहुत कुछ पैदा कर सकता है। जिन रोगियों की धमनियाँ अवरुद्ध हो जाती हैं, उन्हें हृदय में रक्त के प्रवाह को सामान्य बनाये रखने के लिए एंजियोप्लास्टी या बाईपास सर्जरी कराने की सलाह दी जाती है। हृदय रोगियों में कोरोनरी आर्टरी बाईपास ग्राफ्ट (CABG) सबसे आम हृदय शल्य चिकित्सा में से एक है।

 

मधुमेह (Diabetes) के प्रकार


मधुमेह तीन प्रकार का होता है:

  1. टाइप I मधुमेह
  2. टाइप II मधुमेह
  3. गेस्टेशनल मधुमेह (यह केवल गर्भावस्था के दौरान ही होता है)


टाइप II मधुमेह रोगियों में सीने में दर्द से लेकर दिल की विफलता और अन्य हृदय रोग होने का खतरा सामान्य से अधिक होता है। हृदय रोगों का समय पर पता चलने पर हृदय रोग विशेषज्ञों को उचित उपचार योजना बनाने में काफी मदद मिल सकती है।

 

जोखिम और जटिलताएँ

 

मधुमेह के रोगियों में हृदय शल्य चिकित्सा से जुड़े जोखिम और जटिलताएँ सामान्य से अधिक होते हैं, जैसे:

  • सर्जरी के दौरान या बाद में संक्रमण (infection)
  • सर्जिकल घाव भरने में ज़्यादा समय लगना
  • शरीर में द्रव और इलेक्ट्रोलाइट्स का असंतुलन
  • गुर्दे से संबंधित समस्याएँ
  • स्ट्रोक और हार्ट अटैक आने की अधिक संभावना
  • ट्यूबरक्लोसिस या निमोनिया
  • एनेस्थीसिया से संबंधित समस्याएँ
  • मधुमेह केटोएसिडोसिस (केटोन या शरीर एसिड का स्तर बढ़ना)
  • सेप्सिस (रक्त संक्रमण)
  • हाइपरस्मोलर हाइपरग्लाइसेमिक नॉनकेटोटिक सिंड्रोम (HHNS), इसे डायबिटिक कोमा भी कहते है।

 

हालांकि, जोखिम कारकों की उपस्थिति के कारण आपको ह्रदय के सर्जिकल इलाज को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। विशेषज्ञों और उचित नियंत्रण के साथ, आप जोखिमों और जटिलताओं को कम करने के लिए उपयुक्त एहतियाती उपाय कर सकते हैं।

 

रोकथाम और जोखिम कारकों का प्रबंधन


आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारक मधुमेह के मूलभूत कारक होते हैं। मधुमेह के रोगियों में ह्रदय से संबंधित एंजियोप्लास्टी और बाईपास सर्जरी करना मुश्किल हो सकता है; इसलिए, सर्जरी से पहले उपस्थित संभावित जोखिमों का प्रबंधन करना एक अति आवश्यक एहतियाती कदम होता है। कुछ हद तक, हम सक्रिय और स्वस्थ जीवनशैली के नियमों को पालन कर मधुमेह की शुरुआत को ही रोक सकते हैं। यदि आपको मधुमेह होने का पता चला है, तो इसे नियंत्रित रखने के लिए नीचे दिए गए कुछ स्टेप्स का पालन करें:

  • डॉक्टर द्वारा लिखी गई दवाओं का समय से सेवन करें
  • स्वस्थ वजन बनाए रखें
  • पौष्टिक ख़ाना खायें
  • अपने ब्लड शुगर के स्तर की नियमित जांच कराते रहें
  • अपने हृदय रोग विशेषज्ञ को मधुमेह के प्रकार और दवाओं या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं (यदि कोई हो) के बारे में विस्तृत जानकारी दें
  • डॉक्टर द्वारा लिखी गई प्री-सर्जिकल दवाएँ समय पर लें
  • अपने चिकित्सक से परामर्श किए बिना कोई भी दवा बंद न करें


ह्रदय सर्जरी के दौरान शुगर लेवल को सामान्य बनाए रखने के लिए डॉक्टर आपको इंसुलिन भी दे सकते हैं। दिल की बाईपास सर्जरी के बाद मधुमेह के कारण संक्रमण और घाव भरने में देरी जैसी जटिलताएँ बहुत आम होती हैं। इसलिए, सर्जरी के बाद रक्त शर्करा की मात्रा, शरीर का तापमान, और सर्जरी के चीरे की नियमित जांच करते रहना चाहिए।

 

उपचार


आपके हृदय रोग विशेषज्ञ और मधुमेह विशेषज्ञ एक गहन चर्चा करके एक उपयुक्त उपचार योजना बनाते हैं। जब मधुमेह और दिल से संबंधित लक्षणों का समय पर पता चल जाये तब उपचार योजना सबसे अच्छा काम करती है। डॉक्टर विभिन्न दवाओं या दवाओं का संयोजन ऐसे निर्धारित करते हैं ताकि वे मधुमेह और हृदय की दवाओं में हस्तक्षेप न करें। आपके हृदय की स्थिति के आधार पर, मुँह से दवाओं, एंजियोप्लास्टी, या बाईपास सर्जरी द्वारा इसका इलाज किया जा सकता है। रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने के लिए निर्धारित कुछ दवाएँ निम्न हैं:

 

  • बिगुआनाइड्स (जैसे, मेटफॉर्मिन): यह यकृत में ग्लूकोज के उत्पादन को कम करती है।
  • मेगालिटिनाइड्स (जैसे, स्टारलिक्स और प्रैंडिन): ये दवाइयाँ अधिक इंसुलिन का उत्पादन करने के लिए अग्न्याशय को उत्तेजित करती हैं।
  • सोडियम-ग्लूकोज कोट्रांसपोर्टर -2 (SGLT2) अवरोधक (जैसे, फार्क्सिगा): यह दवाई मूत्र में अधिक ग्लूकोज छोड़ कर रक्त में शर्करा स्तर को सामान्य रखती है।
  • सल्फोनीलुरिया (जैसे, डायबीटा, ग्लूकोट्रॉल, ग्लाइनेस): ये दवाइयाँ अधिक इंसुलिन का उत्पादन करने के लिए अग्न्याशय को ट्रिगर करती हैं।

यदि आपको मधुमेह के साथ ह्रदय रोग भी है तो अपने सभी जिज्ञासा को तृप्त करने और उचित उपचार योजना पर चर्चा करने के लिए हृदय रोग विशेषज्ञ के साथ तुरंत परामर्श करें।

 

निष्कर्ष

 

भारत में मधुमेह और हृदय रोग एक बढ़ती हुई चुनौती बनती जा रही है। बदलती जीवन शैली और हानिकारक रहन-सहन की आदतों के कारण आजकल 20 वर्ष की आयु वर्ग की युवा पीढ़ी भी मधुमेह से पीड़ित होती जा रही है। समय पर सही इलाज के बिना मधुमेह शरीर के अन्य अंगों जैसे हृदय, गुर्दे, मस्तिष्क, रक्त वाहिकाओं, अग्न्याशय आदि को भी प्रभावित कर सकता है। यदि आप मधुमेह के साथ हृदय रोगी भी हैं, तो हृदय शल्य चिकित्सा के दौरान जोखिमों और जटिलताओं से बचने के लिए आपको अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए।

 

This blog is a Hindi version of an English-written Blog - How Safe Is Bypass Surgery for Diabetic Patients?

 

 

Dr. Rujul Jain
Meet The Doctor
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