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ग्लोमेरुलर रोग: कारण, लक्षण और उपचार

  • 10 Aug 2023
  • #ग्लोमेरुलर रोग
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ग्लोमेरुलर रोग एक किडनी रोग है जिसमें ग्लोमेरुली की क्षति के कारण उत्पन्न होती है। ग्लोमेरुली किडनी में मौजूद कई रक्त वाहिकाओं का एक नेटवर्क होती है। ये रक्त वाहिकाएँ किडनी की सफाई इकाई के रूप में काम करती हैं। ये इकाइयाँ रक्त को फिल्टर करके नुकसानदायक अपशिष्ट पदार्थों को रक्त से हटाते हैं और इसके साथ यह हमारे शरीर से अतिरिक्त द्रव्यों को भी शरीर से बाहर निकलती हैं।

 

एक व्यक्ति को ग्लोमेरुलर रोग तब होता है जब गंभीर क्षति होने के कारण ग्लोमेरुली अच्छी तरह से काम नहीं कर पाते। ग्लोमेरुली की क्षति कई स्थितियों या बीमारियों के कारण हो सकती है। सामान्य रूप से, ग्लोमेरुली की क्षति को दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। इनमें ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस (सूजन) और ग्लोमेरुलोस्क्लेरोसिस (सख्त होना या स्कार होना) शामिल होते हैं।

 

ग्लोमेरुलस एक छोटी ट्यूब जैसी नलिका के साथ जुड़ा हुआ है, जो तरल पदार्थों को इकट्ठा करता है। इस नलिका की एकल इकाई को नेफ्रॉन कहा जाता है। हमारे शरीर में कम से कम एक मिलियन नेफ्रॉन होते हैं जो साथ मिलकर ग्लोमेरुलस और किडनी के लिए सही तरह से काम करते हैं। ग्लोमेरुली का प्राथमिक कार्य अतिरिक्त पानी और अपशिष्ट पदार्थों को फिल्टर करना और उन्हें नलिका में ले कर जाना होता है जो फिर इसे मूत्र में बदल देता है। ग्लोमेरुलर रोग ग्लोमेरुली के कार्य करने की क्षमता को प्रभावित ख़राब कर देता है।

 

ग्लोमेरुलर रोग किडनी की कार्यक्षमता को कैसे प्रभावित करते हैं ?

 

ग्लोमेरुली की बीमारी प्रत्येक ग्लोमेरुलस के सामान्य रूप से कार्य करने करने की क्षमता को प्रभावित करती है। ग्लोमेरुली की हर इकाई रक्तप्रवाह में रक्त कोशिकाओं और प्रोटीन के संचरण (सर्कुलेशन) को नियंत्रित करती है। जब किसी व्यक्ति को ग्लोमेरुलर रोग होता है, तो प्रोटीन (अल्ब्यूमिन) और रक्त कोशिकाएँ, रक्त में अनियंत्रित तरीके से प्रवेश करती हैं। इस तरह से प्रोटीन का फ़िल्टर करने और मुक्त करने से एड़ी, पेट, पैर, हाथ और चेहरे में सूजन आ सकती है।

 

इसके अलावा, ग्लोमेरुलर रोग ग्लोमेरुली को गंभीर नुकसान पहुंचाता है जिससे प्रत्येक ग्लोमेरुलस अपशिष्ट उत्पादों को फ़िल्टर करने में असमर्थ हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप, वेस्ट मटेरियल रक्त के अंदर इकट्ठा होने लगते हैं।

 

ग्लोमेरुलर रोग के कारण 

 

कई कारक व्यक्ति में ग्लोमेरुलर रोग का कारण बन सकते हैं, इनमें से कुछ निम्नलिखित शामिल हैं:

  • हानिकारक केमिकल या दवा, जो किडनी के लिए हानिकारक हो, का उपयोग करना 
  • संक्रमण
  • पूरे शरीर और किडनी को प्रभावित करने वाले रोग
  • कई बार इस रोग का कारण अज्ञात होता है 
  • ऐसे रोग जो या तो ग्लोमेरुली की स्काररिंग या फिर सूजन का कारण बनते हैं

 

किडनी की इस बीमारी के लक्षण 

 

किडनी की अन्य बीमारियों की तरह, ग्लोमेरुलर रोग को भी कुछ लक्षणों से आसानी से पहचाना जा सकता है। चिकित्सकों को इस रोग से प्रभावित व्यक्तियों में कुछ लक्षण दिखाई देते हैं, उनमें से कुछ नीचे दिए गए हैं:

 

  • अतिरिक्त प्रोटीन (या प्रोटीनुरिया) जमा होने के कारण पेशाब में झाग बनना 
  • पेशाब में रक्त (या हीमेचुरिया) आना, जो हल्के भूरे या गुलाबी रंग के पेशाब के साथ पहचाना जा सकता है।
  • पैरों, टखनों, या हाथों में सूजन (ज्यादातर दिन के अंत में दिखाई देने वाली) आना 
  • आंख या चेहरे के आस-पास सूजन (दिन की शुरुआत में या सुबह) आना 
  • उच्च रक्तचाप

 

ग्लोमेरुलर रोग का निदान

 

आपका डॉक्टर ग्लोमेरुलर रोग के निदान के लिए आपके शरीर का एक संपूर्ण शारीरिक परीक्षण करेंगे और आपका चिकित्सा इतिहास देखेंगे ताकि ग्लोमेरुलर रोग के निदान के लिए आवश्यक परीक्षणों का निर्धारण कर सकें। अधिकांश मामलों में, वे निम्नलिखित परीक्षणों की सलाह देते हैं:

  • मूत्र परीक्षण जिसमें सफेद रक्त कोशिकाओं (डब्ल्यूबीसी), लाल रक्त कोशिकाओं (आरबीसी), और प्रोटीन के स्तर की जांच की जाती है।
  • रक्त परीक्षण जिससे क्रिएटिनीन और प्रोटीन के स्तर की जाँच के माध्यम से किडनी की वर्तमान स्थिति पता चलता है।

 

इन परीक्षणों के आधार पर, आपका डॉक्टर ग्लोमेरुलर फ़िल्ट्रेशन रेट (जीएफआर) करवाने का निर्धारण करेंगे। यदि इसमें किडनी की क्षति इंगित होती है, तो वे निम्नलिखित अतिरिक्त परीक्षणों की सलाह देंगे:

  • अन्य रक्त परीक्षण जो किसी भी ऑटोइम्यून रोग या संक्रमण का पता लगाने के लिए किया जाता है।
  • अल्ट्रासाउंड जिससे किडनी के आकार या आकृति में किसी भी असमान्यता का पता लगाया जाता है।
  • किडनी बायोप्सी

 

ग्लोमेरुलर रोग का उपचार 

 

ग्लोमेरुलर रोग के उपचार की शुरुआत इसके निदान से ही हो जाती है। रोग के उपचार का उद्देश्य उस अंतर्निहित बीमारी का इलाज करना है जो ग्लोमेरुलर रोग के लिए जिम्मेदार होती है। विभिन्न ऑटोइम्यून रोगों के लिए उपचार विकल्प निम्नलिखित हैं:

  • एसएलई (सिस्टेमिक लूपस एरिथेमाटोसस): आपके डॉक्टर द्वारा इम्यूनोसप्रेसेंट दवाओं के साथ एंटी-इंफ्लेमेट्री दवाइयों की सलाह दी जा सकती है।
  • गुडपैस्चर सिंड्रोम (Goodpasture’s syndrome): आपके डॉक्टर द्वारा इम्यूनोसप्रेसेंट्स और आपको शरीर की कोशिकाओं पर आक्रमण करने वाले एंटीबाडीज को हटाने के लिए प्लाजमाफेरिस की सलाह दी जा सकती है।
  • आईजीए नेफ्रोपैथी: इस स्थिति में डॉक्टर एंजियोटेंसिन रिसेप्टर ब्लॉकर या एंजियोटेंसिन-कन्वर्टिंग एंजाइम इन्हिबिटर की सलाह देते हैं।
  • अल्पोर्ट सिंड्रोम: आपके डॉक्टर द्वारा इस स्थिति के कारण होने वाली ग्लोमेरुलर रोगों के उपचार के लिए रक्तचाप को नियंत्रण में रखने के लिए दवाएँ दी जा सकती है।
  • पीआईजीएन (एक्यूट पोस्ट-इन्फेक्शस ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस): इस स्थिति का कोई भी उपचार नहीं होता है। आपके डॉक्टर इसके उपचार के लिए डायलिसिस या किडनी प्रत्यारोपण की सलाह दे सकते हैं।
  • बैक्टीरियल एंडोकार्डाइटिस: आपके डॉक्टर आपको एंटीबायोटिक्स लेने की सलाह देते हैं।
  • वायरल संक्रमण: आपके डॉक्टर शरीर में मौजूदा वायरल संक्रमण के प्रकार के आधार पर उपचार विकल्प सुझाते हैं।
  • ग्लोमेरुलोस्क्लेरोसिस: आपके डॉक्टर स्कारिंग को कम करने के लिए उपयुक्त दवाएँ देंगे।
  • मधुमेह से होने वाली नेफ्रोपैथी: व्यायाम और स्वस्थ आहार के निर्देशों के साथ-साथ, आपके डॉक्टर रक्तचाप को नियंत्रण में रखने के लिए दवाएँ और एंजाइम इन्हिबिटर्स देंगे।
  • एफएसजीएस (फोकल सेगमेंटल ग्लोमेरुलोस्क्लेरोसिस): इसके उपचार विकल्प शरीर के कोलेस्ट्रॉल और रक्तचाप के स्तर को कम करने का उद्देश्य रखते हैं।
  • मेम्ब्रेनस नेफ्रोपैथी: आपके डॉक्टर द्वारा कैल्सिन्यूरिन इन्हिबिटर्स, एंजियोटेंसिन रिसेप्टर ब्लॉकर्स, और एंजाइम्स को एंजाइटेंसिन में परिवर्तित करने वाले इन्हिबिटर्स देते हैं।
  • मिनिमल चेंज डिजीज: आपके डॉक्टर द्वारा एंजाइटेंसिन रिसेप्टर ब्लॉकर्स की सलाह दी जाएगी, और आपको कम नमक वाला भोजन खाने को कहा जाएगा।

 

This blog is a Hindi version of an English-written Blog - Glomerular Diseases: Causes, Symptoms & Treatment

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