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उच्च रक्तचाप: एक धीमी मौत

उच्च रक्तचाप: एक धीमी मौत

एक अध्ययन "भारत में उच्च रक्तचाप: प्रसार, जागरूकता, उपचार और नियंत्रण" के अनुसार उच्च रक्तचाप, जिसे सामान्यत: उच्च ब्लड प्रेशर के रूप में जाना जाता है, भारत में स्ट्रोक की 57% मौतों और कोरोनरी धमनी की 24% मौतों का कारण होता है। डॉक्टर कहते हैं कि बदलती जीवनशैली के साथ, उच्च रक्तचाप का प्रभाव पुरुषों और महिलाओं दोनों में समान देखा जा सकता है। इसलिए इसके बारे में जागरूक होना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है कि शरीर पर उच्च रक्तचाप का क्या असर होता है।

 

रक्तचाप रक्त वाहिकाओं की दीवारों के खिलाफ रक्त का दबाव होता है। उच्च रक्तचाप के मामले में, रक्त को शरीर में पंप करने के लिए आवश्यक दबाव सामान्य से अधिक होता है। उच्च रक्तचाप होने का सीधा मतलब यह है कि दिल को पूरे शरीर में रक्त पम्प करने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है। 

 

रक्तचाप का स्तर दो पठनों के माध्यम से मापा जाता है, सिस्टोलिक दबाव और डायस्टोलिक दबाव। सिस्टोलिक दबाव मूल्यांकन दिल के धड़कने के समय धमनियों में दबाव को बताता है। वहीं डायस्टोलिक दबाव मूल्यांकन दिल की धड़कन के बीच धमनियों में दबाव को इंगित करता है।

 

 

वर्गीकरण सिस्टोलिक दबाव डायस्टोलिक दबाव
सामान्य 120 mm/Hg 80 mm/Hg
प्री-हाइपरटेंशन 120 to 139 mm/Hg 80 to 89 mm/Hg
हाइपरटेंशन Above 140 mm/Hg Above 90 mm/Hg




कोई भी व्यक्ति जो पूर्व-उच्च रक्तचाप (pre-hypertension) वाली श्रेणी में आता है, उसे भविष्य में उच्च रक्तचाप की समस्या हो सकती है, जब तक कि इसके लिए कोई उपचारात्मक मार्ग नहीं अपनाए जाते हैं।

 

उच्च रक्तचाप को अक्सर 'साइलेंट किलर' वाली बीमारी कहा जाता है, क्योंकि जब तक शरीर के अंग गंभीर रूप से प्रभावित नहीं हो जाते तब तक इसके कोई विशिष्ट लक्षण नहीं दिखते। समय पर पहचान और उपचार होने पर यह प्रमुख अंगों के कार्यों में समस्याओं और गंभीर जटिलताओं के उत्पन्न होने का कारण बनता है, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:

 

  • स्ट्रोक

मस्तिष्क को सामान्य रूप से काम करने के लिए पर्याप्त रक्त आपूर्ति की आवश्यकता होती है। उच्च रक्तचाप मस्तिष्क में रक्त वाहिकाओं को कमजोर करता है और उनके बंद होने, संकीर्ण होने, और फटने का कारण बन सकता है। यह धमनियों में थक्के भी बना सकता है जो रक्त के प्रवाह को अवरुद्ध कर सकता है, जिससे स्ट्रोक हो सकता है।

 

  • दिल का दौरा (हार्ट अटैक)

एक हार्ट अटैक तब होता है जब एक या एक से अधिक कोरोनरी धमनियाँ बंद हो जाती हैं। उच्च रक्तचाप धमनियों की आंतरिक परत को क्षति पहुंचाता है; भोजन में मौजूद वसा फिर धमनियों की दीवारों पर जमा होने लग जाती है, जिससे वे संकुचित या पूर्ण अवरुद्ध हो जाती है। इससे हृदय मांसपेशीयों में रक्त प्रवाह पर असर पड़ता है, जिससे कोरोनरी धमनी रोग और एंजाइना (सीने में दर्द) का जोखिम बढ़ जाता है। इसके साथ-साथ, बिना उपचार के लगातार उच्च रक्तचाप से हृदय की मांसपेशियाँ भी कमजोर हो जाती हैं, जिसके परिणामस्वरूप हृदय विफलता (heart failure) हो सकती है।

 

  • किडनी क्षति

उच्च रक्तचाप किडनी की रक्त वाहिकाओं को क्षति पहुंचाता है, जिससे उनकी शरीर के अपशिष्ट पदार्थों को साफ़ करने की क्षमता प्रभावित होती है। इससे शरीर में तरल पदार्थ और विषैला अपशिष्ट इकट्ठा होने लग जाता है और आखिरकार किडनी की असमर्थता का कारण बनता है।

 

  • धमनियों को क्षति

धमनियाँ हृदय से शरीर के विभिन्न अंगों तक ऑक्सीजन युक्त रक्त लेकर जाती हैं। उच्च रक्तचाप समय के साथ धमनियों की दीवारों को क्षति पहुंचा सकता है, जिससे धमनी में एन्यूरिज्म (दीवार में उभार) हो सकता है, जो फट सकता है, जिससे आंतरिक रक्तस्राव हो सकता है। धमनियों की क्षति से छोटे अंग भी प्रभावित हो सकते हैं; जैसे यदि आंख की रक्त वाहिकाएँ प्रभावित होती हैं, तो आँखों को नुकसान पहुंचा सकती है।

 

उच्च रक्तचाप के लिए नई संख्याएँ 

 

2017 में, अमेरिकन कार्डियोलॉजी कॉलेज (एसीसी) और अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (एएचए) ने अपने नए दिशानिर्देशों के अनुसार, यह सुझाव दिया है कि किसी व्यक्ति में उच्च रक्तचाप का इलाज तब किया जाये जब रक्तचाप का पठन 140/90 मिमी एचजी के बजाय 130/80 मिमी एचजी आए। संशोधित एसीसी/एएचए के उच्च रक्तचाप दिशानिर्देशों के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका में वयस्कों की संख्या में 13.7% बढ़ोतरी देखी गई है।

 

यदि इन संशोधित मार्गदर्शनों का भारतीय जनसंख्या के लिए पालन किया जाए, तो उच्च रक्तचाप के मामलों की संख्या काफी बढ़ जाएगी। मेदांता - मेडिसिटी के क्लिनिकल और प्रीवेंटिव कार्डियोलॉजी के निदेशक डॉ. आरआर कासलीवाल के अनुसार, संख्याओं का यह संशोधन अच्छा होता है, क्योंकि इससे मरीज़ों को 140/90 मिमी/एचजी की पठन को पार करने की प्रतीक्षा करने के बजाय प्री-हाइपरटेंसिव चरण में ही उच्च रक्तचाप के इलाज की शुरुआत करने में मदद मिलेगी।

 

डॉक्टर उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए दवाओं, आहार परिवर्तन और शारीरिक व्यायाम के संयोजन की सलाह देते हैं, यह स्थिति को नियंत्रित करता है और इसे बिगड़ने से रोकता है। कम वसा वाले डेयरी उत्पादों, फलों और सब्जियों के सेवन से रक्तचाप को कम किया जा सकता है। प्रतिदिन 30 मिनट की व्यायाम, जैसे कि चलना, दौड़ना, तैरना, साइकिल चलाना रक्तचाप स्तर को सामान्य बनाए रखने या उन्हें नियंत्रित रखने में मदद कर सकता है।

 

This blog is a Hindi version of an English-written Blog - Hypertension: A Silent Killer

Medanta Medical Team
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