आपके फेफड़ों पर प्रदूषण का प्रभाव
वायु प्रदूषण आपके फेफड़ों को प्रभावित करता है। हवा में प्रदूषण तत्वों का प्रकार और मिश्रण, उनकी सांद्रता, और कितने प्रदूषक आपके फेफड़ों में प्रवेश करते हैं, ये सभी इस में अहम भूमिका निभाते हैं कि वायु प्रदूषण का आपके फेफड़ों पर क्या प्रभाव पड़ता है।
यदि आप उच्च प्रदूषण स्तर के संपर्क में रहते हैं, जैसे व्यस्त सड़क पर या उच्च प्रदूषण समय के दौरान, तो आपको तुरंत लक्षण दिखाई दे सकते हैं। इनमें खांसी, सांस फूलना और वायुमार्ग में सूजन मुख्यतः होते हैं। यदि आपको ये लक्षण बार-बार महसूस होते हैं, तो आपको इन लक्षणों के आंकलन के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
उच्च प्रदूषण स्तर फेफड़ों से संबंधित लक्षणों को ओर बढ़ा सकता है, जिसमें अस्थमा का दौरा या यदि आपको सीओपीडी है तो इसका ट्रिगर होना शामिल है। अस्थमा के रोगियों को यह पता चलता है कि जब भी प्रदूषण का स्तर ज़्यादा होता है तो उन्हें अपने रिलीवर इनहेलर का उपयोग सामान्य से अधिक बार करना पड़ जाता है। यह महत्वपूर्ण है कि आप नियमित रूप से अपने अस्थमा इनहेलर का उपयोग करते रहें।
पार्टिकल प्रदूषण के खतरे
विभिन्न अध्ययनों के अनुसार, कणीय या पार्टिकल प्रदूषण के संपर्क से श्वसन स्वास्थ्य पर कई प्रतिकूल प्रभाव देखे जाते है, जिनमें शामिल हैं:
- श्वसन संबंधी लक्षण जैसे खांसी के साथ बलगम आना और घरघराहट (wheezing) होना
- फेफड़ों की कार्य क्षमता में अचानक, प्रतिवर्ती (reversible) गिरावट
- फेफड़ों और वायुमार्ग में सूजन होना
- श्वसन अतिक्रियाशीलता
- साँस संबंधी समस्यायों के करण आपातकालीन कक्ष में बार-बार यात्राएँ
- श्वसन स्थितियों के कारण हॉस्पिटल में बार-बार भर्ती होना
- अस्थमा का गंभीर होना
कणीय प्रदूषण से संबंधित स्वास्थ्य प्रभाव हृदय या फेफड़ों की बीमारी वाले लोगों, बुजुर्गों, बच्चों, मधुमेह ग्रसित लोगों और निम्न आर्थिक और सामाजिक पृष्ठभूमि वाले लोगों पर अधिक असर होने की संभावना होती है।
भले ही श्वसन प्रणाली की बचाव और मरम्मत प्रणालियों की बार-बार सक्रियता के कारण हमारी वायु प्रदूषण के प्रति अद्भुत प्रतिरोधक शक्ति होती है, लेकिन सच्चाई यह है की कि स्वस्थ दिखने वाले व्यक्तियों में भी, बढ़े हुए पार्टिकल प्रदूषण के लंबे समय तक संपर्क में रहने से श्वसन कार्यक्षमता कम हो सकती है। इसलिए, भले ही हम कणीय प्रदूषण के संपर्क से ख़ुद को रोक नहीं सकते हैं, फिर भी इनके जोखिम को कम करने के लिए कुछ बुनियादी उपाय करने से स्वस्थ और अधिक संवेदनशील दोनों प्रकार के व्यक्तियों के फेफड़ों और उनके स्वास्थ्य पर इसके नकारात्मक प्रभाव की गंभीरता को कम कर सकते हैं।
प्रदूषकों (pollutants) के प्रकार:
दो विशेष प्रकार के वायु प्रदूषक जो खतरनाक मात्रा में फेफड़ों में जमा हो सकते हैं और उनके स्वास्थ्य को हानि पहुंचा सकते हैं:
- जमीनी स्तर पर ओजोन स्मॉग (Ground-level ozone smog): सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में, नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) और वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (वीओसी) के बीच एक रासायनिक क्रिया जमीनी स्तर पर ओजोन प्रदूषण उत्पन्न करती है, जिसे ओजोन स्मॉग भी कहते है। वीओसी कार्बनिक पदार्थ होते हैं जो जल्दी से वाष्प या गैसों में परिवर्तित हो सकते हैं। दहन के दौरान नाइट्रोजन और ऑक्सीजन के संयोजन से NOx गैस का उत्पादन होता है। ऑटोमोबाइल इंजन में गैसोलीन का दहन NOx गैस के उत्सर्जन के मुख्य स्रोतों में से एक होता है।
जब गर्म, प्रकाशित, और हवा रहित मौसम होता है, तो ओजोन की सांद्रता हानिकारक स्तर तक पहुंच सकती है। ओजोन स्वाभाविक रूप से उच्च वायुमंडलीय परत में मौजूद होता है और अपने सुरक्षात्मक गुणों के कारण हमारे लिए फायदेमंद होता है, वही दूसरी तरफ़, जमीनी स्तर का ओजोन एक मानव द्वारा निर्मित वायु प्रदूषण होता है जो लोगों और पर्यावरण दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है। ओजोन का स्तर आमतौर पर दिन में शाम के समय अधिकतम और सुबह के समय सबसे कम होता है।
- कालिख (Soot): शब्द "कालिख" सूक्ष्म वायुजनित कण या बूँदे होती हैं, और व्यावहारिक रूप से मानव आंखों से दिखाई नहीं देती हैं जो आमतौर पर तत्वों के जलने का उत्पाद होती हैं, जैसे लकड़ी का धुआँ, डीजल वाहनों से निकला धुआँ, या पावर प्लांट से उत्सर्जन।
स्मॉग बढ़ाने वाली ही मौसमी परिस्थितियों में कालिख का स्तर भी उच्च हो सकता है। पार्टिकल प्रदूषण वर्ष की किसी भी अवधि में बढ़ सकता है जब शुष्क, शांत परिस्थितियाँ मौजूद हों। कालिख दृश्यता को कम कर देती है और इसका स्तर बढ़ने पर हवा धुंधली भी दिखाई देती है।
वायु प्रदूषण फेफड़ों की स्थिति का एक कारण:
नियंत्रित मानव एक्सपोजर के साथ-साथ जानवरों पर पार्टिकल प्रदूषण से संपर्क पर किए गए अध्ययनों से पता चला है कि जब पार्टिकल श्वसन प्रणाली में पर्याप्त मात्रा में इकट्ठा हो जाते हैं, तो ऊतकों में सूजन आ सकती है। पार्टिकल की मात्रा और संरचना फेफड़ों की सूजन की डिग्री को नियमित करती है। कई अलग-अलग प्रकार के कणों के संपर्क में आने के बाद नियंत्रित मानव एक्सपोजर अध्ययनों में फेफड़ों की सूजन के बढ़ने के संकेत मिले हैं।
वायुमार्ग में सूजन उन्हें ठंडी हवा, पार्टिकल प्रदूषण, एलर्जी, लिपोपॉलीसेकेराइड और गैसीय प्रदूषक जैसे ट्रिगर पदार्थों के प्रति अधिक संवेदनशील बनाती है। यह वायुमार्ग को संकुचित करके फेफड़ों की कार्यप्रणाली को भी ख़राब कर सकता है।यह सूजन फेफड़ों की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकती है या उन्हें नष्ट भी कर सकती है और वायुकोशीय-केशिका (alveolar-capillary) बैरियर की स्थिरता को भी नुक़सान पहुँचा सकती है। बार-बार कणीय प्रदूषण के संपर्क में आने से ये शुरुआती नुकसान और भी बिगड़ सकता है, जो क्रॉनिक सूजन को भी बढ़ा सकता है।
कणीय प्रदूषण के विरुद्ध प्रतिक्रिया के लिए, पल्मोनरी प्रतिरक्षा प्रणाली और अन्य रक्षात्मक प्रणालियाँ सक्रिय कार्य करती हैं। सूजन संबंधी श्वसन बीमारियाँ जैसे अस्थमा क्षति (सूजन गतिविधि) और हीलिंग (सूजनरोधी सुरक्षा) के बीच संतुलन के प्रभावित होने के कारण होती हैं। पार्टिकल प्रदूषण को साँस में लेने से इन बीमारियों की स्थिरता या प्रगति पर असर हो सकता है।
This blog is a Hindi version of an English-written Blog - Effects of Pollution on your Lungs