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मेदांता में <2 मिमी आकार के एन्यूरिज्म का हुआ इलाज: मिनी फ्लो डायवर्टर का प्रयोग करने में अग्रणी है मेदांता

मेदांता - गुरुग्राम अस्पताल ने भारत में पहली बार एक छोटे से फ्लो डायवर्टर उपकरण का इस्तेमाल करके ऐसे एन्यूरिज्म का सफलतापूर्वक इलाज किया है, जिन्हें सामान्य सर्जिकल क्लिपिंग और एंडोवैस्कुलर कॉइलिंग से ठीक नहीं जा सकता था। इस प्रक्रिया को सिर को खोले बिना न्यूनतम इनवेसिव एंडोवैस्कुलर तकनीक के द्वारा किया गया। अब तक, ऐसे एन्यूरिज्म का इलाज सर्जिकल क्लिपिंग और एंडोवैस्कुलर उपकरणों से करना जोखिम भरा था।

केस स्टडी 

एक 51 वर्षीय महिला, जिन्हें उच्च रक्तचाप था, को 11 जून, 2020 को इमरजेंसी में पिछले पाँच दिन से सिरदर्द, मतली और उल्टी की शिकायत के साथ लाया गया।

  • उनके नॉन-कॉन्ट्रास्ट कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी (NCCT) हेड में एक्यूट सबाराकनॉइड हेमरेज देखा गया।
  • वह होश में तो थीं परन्तु परीक्षण करने पर थोड़ी धीमी प्रतिक्रिया दे रहीं थीं।
  • उनका ग्लासगो कोमा स्केल 15 था।

उनकी डिजिटल सब्सट्रैक्शन एंजियोग्राफी की गई जिसमें बाईं तरफ के पोस्टीरियर सेरेब्रल आर्टरी परफोरेटर पर बहुत छोटा डिसेक्टिंग स्यूडोएन्यूरिज्म (dissecting pseudoaneurysm) देखा गया, जिसे सामान्य एंडोवैस्कुलर कॉइलिंग और सर्जिकल क्लिपिंग से ठीक नहीं किया जा सकता था। रोगी को एंडोवैस्कुलर फ्लो डायवर्टर प्लेसमेंट प्रक्रिया कराने की सलाह दी गई, जिससे एन्यूरिज्म से दूर बहाव को दिशा दी जाएगी। इससे एन्यूरिज्म में थ्रोम्बोसिस की शुरुआत हो जाएगी और जिसे बाद में फॉलो-अप के समय बंद कर दिया जाता है। छोटी कैलिबर पोस्टीरियर सेरेब्रल आर्टरी, मिनी फ्लो डायवर्टर (2.25x10mm) को परफोरेटर स्यूडोएन्यूरिज्म के आर-पार सफलतापूर्वक लगाया गया। बाद में में किये गए एंजियोग्राफिक रन पर स्थिति काफी बेहतर लगी। सात दिनों के बाद रोगी को बिना किसी न्यूरोलॉजिकल कम्प्लीकेशन के साथ स्थिर स्थिति में छुट्टी दे दी गई (संशोधित रैंकिन स्केल (mRS) स्कोर 0)।

मेदांता न्यूरोसाइंसेज इंस्टिट्यूट की न्यूरो-इंटरवेंशन टीम को फ्लो डायवर्टर्स का इस्तेमाल करके एन्यूरिज्म का इलाज करने में बहुत अनुभव है। टीम ने 200 से अधिक एन्यूरिज्म का सफलतापूर्वक इलाज किया है।


डॉक्टर गौरव गोयल - न्यूरो-इंटरवेंशनल सर्जन

डॉ. गौरव गोयल, निर्देशक और प्रमुख - न्यूरो इंटरवेंशनल सर्जरी, न्यूरोसाइंसेज इंस्टिट्यूट - मेदांता, गुरुग्राम,  स्पाइन पेन न्यूरो-इंटरवेंशन और वैस्कुलर न्यूरो-इंटरवेंशन सर्जरी में विशेषज्ञ हैं।  वे इन फ्लो डायवर्टर्स की नवीनतम तकनीक के बारे में आपको विस्तृत जानकारी दे रहे हैं।

फ्लो डायवर्टर क्या है?

फ्लो डायवर्टर एक प्रकार के स्टेंट जैसा उपकरण है जिसका इस्तेमाल जटिल एन्यूरिज्म के उपचार में किया जाता है। यह उपकरण विशेष रूप से ऐसे इंट्राक्रैनियल एन्यूरिज्म के इलाज में इस्तेमाल होता है, जिनका सामान्य एंडोवैस्कुलर कॉइलिंग से इलाज करना मुश्किल होता है। एन्यूरिज्म के गले या मुख पर पहुँचने के बाद, फ्लो डायवर्टर मुख्य धमनी से एन्यूरिज्म में रक्त प्रवाह को बाधित करता है जिससे एन्यूरिज्म के भीतर थ्रोम्बोसिस बनने लग जाता है, जिससे बाद में इसके दुबारा फटने की संभावना कम हो जाती है। समय के साथ, एक नई अतिवृद्धि फ्लो डायवर्टर को ढक लेती है। यह अतिवृद्धि मुख्य धमनी का पुनर्निर्माण करके एन्यूरिज्म/मुख्य धमनी के संपर्क को समाप्त कर देती है।

पारंपरिक रूप से, मस्तिष्क एन्यूरिज्म का इलाज एंडोवैस्कुलर विधियों जैसे बैलून और स्टेंट युक्त कॉइलिंग का इस्तेमाल करके किया जाता था। लेकिन अध्ययनों ने दिखाया है कि उच्च रिकैनलाइजेशन दर के कारण उनकी प्रभाविकता अपेक्षा से कम हो गई है।


तकनीक का प्रभाव और सुरक्षा  

फ्लो डायवर्टर की बीमारी को खत्म करने की दर काफी अधिक है और साथ ही इसकी जटिलता दर काफी कम है। फ्लो डायवर्टर्स का प्रभावी और सुरक्षित होना काफी रिसर्च पेपर्स में अच्छी तरह से बताया गया है।


प्रक्रिया

पहले माइक्रोकैथेटर को मुख्य धमनी में एन्यूरिज्म के पार ले जाया जाता है। इसके बाद फ्लो डायवर्टर को माइक्रोकैथेटर के माध्यम से एन्यूरिज्म के गले में मुख्य रक्त वाहिका उस स्थान पर लगाया जाता है जहां एन्यूरिज्म स्थित होता है। इसके तुरंत बाद, एन्यूरिज्म में रक्त प्रवाह कम हो जाता है और इससे फटने का जोखिम कम हो जाता है। प्रक्रिया के तीन से छह महीने के बीच में एन्यूरिज्म पूरी तरह से बंद हो जाता है।


फ्लो डायवर्टर में नवीनतम तकनीक

इस क्षेत्र में नवीनतम तकनीक छोटे आकार के फ्लो डायवर्टर्स हैं जो अब दूर स्थित छोटे आकार की कैलिबर वाहिकाओं में स्थित एन्यूरिज्म के इलाज को भी संभव बना रहे हैं। हालांकि, इन्हें बड़े आकार के माइक्रोकैथेटर्स के माध्यम से तैनात किया जाता है जिससे कभी-कभी छोटे दूरस्थ वाहिकाओं में पहुंचना मुश्किल हो जाता है। फ्लो डायवर्टर उपकरण का नवीनतम, छोटा संस्करण इस चुनौती को पूरा करता है क्योंकि इसे सबसे छोटी प्रोफ़ाइल 0.017 इंच माइक्रोकैथेटर से लगाया जा सकता है। इस उपकरण का लाभ यह है कि माइक्रोकैथेटर को दूरस्थ छोटी वाहिकाओं (1.5-3.5 मिलीमीटर कैलिबर) में आसानी से ट्रैक किया जा सकता है, साथ ही  माइक्रोकैथेटर को आसान से लगाया जा सकता है तथा यह पूर्ण रेडियोपेसिटी के साथ 90% पुन: शीथबिलिटी देता है।

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Dr. Gaurav Goel
Neurosciences
Meet The Doctor
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