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भारत में मोटापा - इस महामारी का कारण क्या है?

भारत में मोटापा - इस महामारी का कारण क्या है?

हमारे देश में मोटापा एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है, मोटे लोगों की संख्या के मामले में यह चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद तीसरे नंबर पर है। जिस देश में 194 मिलियन से अधिक लोग कुपोषित हैं, वहां मोटापे की समस्या एक विचित्र बात लगती है। हालाँकि, आहार में बदलाव और जीवनशैली की प्राथमिकताओं ने भारतीयों को मोटे होने के ख़तरे की तरफ़ अग्रसर किया है। 

 

मोटापा क्या है और यह आपके शरीर को किस तरह प्रभावित करता है? 

 

मोटापा एक ऐसी स्थिति है जिसमें आपके शरीर में अत्यधिक अस्वास्थ्यकर चर्बी जमा हो जाती है और आपका बॉडी मास इंडेक्स 30 से अधिक हो जाता है।

मोटापे के कारण आपके शरीर में कई स्वास्थ्य जोखिम पैदा हो सकते है, जैसे कि:

  • टाइप 2 मधुमेह
  • ह्रदय रोग
  • हड्डी और जोड़ों की समस्याएँ

यह प्रजनन क्षमता में, गर्भावस्था में और बहुत सारी गंभीर चिकित्सा स्थितियों में भी समस्याएँ पैदा कर सकता है। 

 

भारत का कुपोषण से अधिक वजन की ओर स्थानांतर 

 

वैश्विक पोषण स्थिति समय के साथ बदल रही है और इस पर आर्थिक विकास, शहरीकरण, वैश्वीकरण, जनसांख्यिकीय परिवर्तन और आहार-संबंधी विकल्पों का काफ़ी प्रभाव पड़ रहा है।

 

भारत में भी हाल के दशकों में पोषण स्थिति में एक महत्वपूर्ण बदलाव देखा है और अब यह अधिक वजन वाले और मोटापे से ग्रस्त लोगों के नंबर वाला तीसरा देश बन गया है।

 

हालांकि भारत में कुपोषण एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या रहा है, कोलकाता और हैदराबाद जैसे शहरों में मोटापा की एक स्थिर वृद्धि दर्ज की जा रही है।

 

अधिक वजन और मोटापे की वृद्धि का मुख्य कारण कैलोरी का सेवन और उसके खर्च के बीच मौजूद बड़ा अंतर है, जो वजन बढ़ने का कारण बनता है। भारत के शहरों में मोटापे की वृद्धि के लिए उच्च-ऊर्जा-सघन वाले खाद्य पदार्थ जैसे मीठे पेय और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का सेवन एक प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में गिना जाता है।

 

एक सर्वेक्षण के अनुसार कि भारत में लगभग 5 में से 1 पुरुष मोटापे से ग्रसित हैं, और अधिक वजन वाली महिलाओं का अनुपात 20.7% दर्ज हुआ है, जो कुपोषित महिलाओं के अनुपात से केवल 2% कम है। 

 

एक सर्वे के अनुसार शहरीकरण और आर्थिक विकास के कारण 1999 के बाद से भारतीयों का वजन लगातार बढ़ रहा है।

 

तकनीक और इंटरनेट के आने ने लोगों को आलसी बना दिया है और उन्हें गुणवत्ता की बजाय सुविधा का चयन करने के लिए प्रोत्साहित किया है। मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, अहमदाबाद, हैदराबाद, और चेन्नई जैसे मेट्रो शहरों में डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, हृदयरोग और अन्य जीवनशैली विकार बढ़ रहे हैं, और अधिक से अधिक लोग, युवा और बुजुर्ग समान रूप से, अतिरिक्त शारीरिक वजन और जोड़ विकारों के अतिरिक्त दबाव महसूस कर रहे हैं।

 

भारत में बदलती आहार आदतें

 

पिछले दशक से, भारत में घरों में खाने के रुझानों और सेवन में एक परिवर्तन देखा गया है। हालांकि भारत का प्रमुख आहार अब भी शाकाहारी है, फिर भी चीनी, वसा, और मांस की खपत बढ़ गई है, और साबुत अनाजों के सेवन में स्थिर गिरावट देखी जा रही है। वसा ही वो एकमात्र मुख्य पोषण तत्व समूह हैं जिसकी प्रति व्यक्ति खपत में स्पष्ट रूप से वृद्धि दर्ज की गई है।

 

भारतीयों की पारंपरिक खानपान की एक साथ बैठकर एक भव्य भोजन करने की आदत के बजाय, आज कल किसी को भी चलते-फिरते, कम से कम समय में, जब चाहें कुछ भी खाने को मिल सकता है। इसने निष्क्रिय जीवन शैली के साथ-साथ प्रसंस्कृत, पैकेज किए गए खाद्य पदार्थों का सेवन बढ़ा दिया है जो ट्रांस-फैट और असंतृप्त चीनी में उच्च होता है।

 

खाद्य समूह और उनका शारीरिक वजन पर प्रभाव

 

कार्बोहाइड्रेट्स और वजन

 

कार्बोहाइड्रेट्स से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे कि सफेद चावल, सफेद ब्रेड, सफेद पास्ता, और प्रोसेस्ड सीरियल्स का ग्लाइसेमिक इंडेक्स और ग्लाइसेमिक लोड उच्च होता है और अन्य खाद्य पदार्थों की तुलना में बहुत तेजी से पच भी जाते हैं। इससे खून में शर्करा और इंसुलिन में तेजी से वृद्धि होती है जिससे भूख लग सकती है, जिससे आप ज्यादा खाने लगते हैं और समय के साथ वजन बढ़ने लगता है।

आप अपने आहार में कार्बोहाइड्रेट्स के सेवन को प्रतिदिन 30 ग्राम से ज़्यादा ना लेकर नियंत्रित कर सकते हैं। जितना हो सके सफेद खाद्य पदार्थों जैसे सफेद चावल, आलू, ब्रेड, आटा, और चीनी के सेवन से बचें। इसके साथ यह सुनिश्चित करें कि आप हर दिन अपने भोजन के साथ प्रोटीन का सेवन करें। आपके आहार विशेषज्ञ आपको सटीक बताएँगे कि आपके शरीर को कितनी प्रोटीन की आवश्यकता है।

 

चीनी-युक्त मीठे पेय और वजन

 

मीठे पेय पदार्थों में तेजी से पचने वाले कार्बोहाइड्रेट की भरपूर मात्रा होती है। विभिन्न अध्ययनों से यह पता चला है  कि जब पेय में कार्बोहाइड्रेट उतना संतोषजनक नहीं होता है, और लोग इसकी भरपाई करने के लिए अधिक खाने लगते हैं। मोटापे की रोकथाम के प्रयासों में चीनी युक्त पेय एक महत्वपूर्ण लक्ष्य बन गए हैं और मोटापे और मधुमेह जैसी अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से बचाने के लिए इन्हें नियंत्रित किया जाना चाहिए।

आप अपनी वजन को नियंत्रित करने के लिए गैस-वाले, उच्च चीनी वाले पेय के बजाय स्मूदी, घर पर बनी आइस टी, या हर्बल टी के सेवन करने का प्रयास करें।

 

फलों का रस और वजन

 

100% फलों के रस और वजन बढ़ने के बीच सीधे संबंध पर कई अनुमान हैं। विभिन्न अध्ययनों ने विभिन्न परिणाम दिखाए हैं, हालांकि यह माना जाता है कि फलों के रस में केवल फल से आने वाले प्राकृतिक चीनी होती है और यह एक योजक या कृत्रिम स्वाद की तरह नहीं होती है। वजन बढ़ने का सीधा संबंध कैलोरी सेवन की मात्रा के साथ है और चीनी नहीं। बल्कि यह कहना सुरक्षित है कि संतुलित आहार के एक हिस्से के रूप में रोज एक गिलास फल का रस सेवन करने से कोई महत्वपूर्ण वजन नहीं बढ़ता है।

 

प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ और वजन

 

हाल के समय में, प्रौद्योगिकी और शोध ने प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों को आसानी से और किफायती मूल्य पर उपलब्ध करा दिया है, और यह भारत में बड़े पैमाने पर सेवन किया जाता है। पारंपरिक खाद्य पदार्थ जो पहले साबुत, कच्चे या जैविक हुआ करते थे, अब उनका स्थान औद्योगिक रूप से प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों ने ले लिया है। अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ बहु-घटक औद्योगिक फॉर्मूलेशन होते हैं। इसमें शुगर-स्वीटेन्ड बेवरेज (एसएसबी), पैकेज़ ब्रेड, कुकीज़, नमकीन नाश्ता, मिठाई, आइसक्रीम, ब्रेकफास्ट सीरियल्स, और पहले से तैयार फ्रोजन खाद्य पदार्थ शामिल हैं।

 

अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ लगभग 61-62% अधिक कैलोरी का योगदान करते हैं और वजन में महत्वपूर्ण वृद्धि का कारण बनते हैं। ये ऊर्जा से भरपूर होते हैं और इसके साथ ये संतृप्त और ट्रांस वसा, अतिरिक्त चीनी, और सोडियम में उच्च होते हैं, जो अतिरिक्त ऊर्जा की उपस्थिति का कारण बनते हैं। उनमें परिष्कृत कार्बोहाइड्रेट भी मौजूद हो सकती हैं जो इंसुलिन प्रतिक्रिया को बदल सकती हैं और पोषक तत्वों को ऑक्सीकरण के बजाय आपके वसा ऊतकों में संग्रहण की ओर ले जा सकते हैं। कुछ शोधकर्ताओं का सुझाव है कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्यों के उच्च रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट या वसा सामग्री व्यक्ति के न्यूरोसर्किट्री में परिवर्तन पैदा कर सकता है, जिससे खाने के विकार और अत्यधिक सेवन जैसी समस्या उत्पन्न हो सकती है। 

 

अतः जितना हो सके ताज़ा खाने की कोशिश करें और खाने की मात्रा पर नियंत्रण रखें। स्वस्थ आहार पर स्विच करें और इसके साथ यह सुनिश्चित करें कि आप हर दिन कुछ शारीरिक व्यायाम अवश्य करें।

 

This blog is a Hindi version of an English-written Blog - Obesity in India – What’s Driving The Epidemic?

Medanta Medical Team
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