कार्डिएक अरेस्ट एक चिकित्सीय आपातकालीन स्थिति होती है, जिसमें व्यक्ति का दिल अचानक से धड़कना बंद कर देता है। इसलिए इसे मेडिकल भाषा में सडन कार्डियक अरेस्ट भी कहते हैं। यदि इस परिस्थिति में मस्तिष्क और अन्य अंगों को रक्त की आपूर्ति में कमी का तुरंत इलाज नहीं किया जाता है, तो व्यक्ति होश खो सकता है, विकलांग हो सकता है, या गंभीर स्थिति में उसकी मृत्यु भी हो सकती है। जब हृदय अचानक और अप्रत्याशित रूप से शरीर में रक्त पंप करना बंद कर देता है, तो व्यक्ति में कार्डियक अरेस्ट होता है। यदि ऐसा होता है, तो मस्तिष्क और शरीर के अन्य महत्वपूर्ण अंगों को रक्त की आपूर्ति रुक जाती है। कुछ आर्रीथमिया ((या ह्रदय की असामन्य धड़कन वाले रोग) जो हृदय को रक्त पंप करने से रोकते हैं, कार्डियक अरेस्ट का कारण बन सकते हैं।
कार्डिएक अरेस्ट कई बार ह्रदय की लंबी बीमारियों के कारण या बिना किसी चेतावनी के हो सकता है। कार्डिएक अरेस्ट के कुछ कारण निम्न हैं:
आर्रीथमिया और वेंट्रिक्यूलर फ़ीबरिलेशन: आर्रीथमिया में ह्रदय के विद्युत संकेत खराब हो जाते हैं जिसके फलस्वरूप दिल की धड़कन अनियमित हो जाती हैं। कार्डिएक अरेस्ट का सबसे आम कारण वेंट्रिकुलर फाइब्रिलेशन नामक आर्रीथमिया होता है। वेंट्रिकुलर फाइब्रिलेशन में दिल की तेज़ धड़कन के कारण कार्डियक अरेस्ट हो सकता है।
दिल का आकार बढ़ना या कार्डियोमायोपैथी: इस स्थिति में हृदय की मांसपेशी फैलती या मोटी हो जाती है, जिससे हृदय का असामान्य संकुचन होता है।
कोरोनरी आर्टरी डिजीस: जब कोरोनरी धमनियों में प्लाक जमा होने लग जाता है तो वे मोटी और संकीर्ण हो जाती है जिससे हृदय में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है। कोरोनरी धमनी की बीमारी हार्ट फेलियर या आर्रीथमिया का कारण बन सकती है, यदि इनका समय पर उपचार ना किया जाए तो दोनों कार्डियक अरेस्ट का कारण बन सकती है।
कार्डिएक अरेस्ट के अन्य कारण निम्न हो सकते हैं:
यदि कोई व्यक्ति निम्नलिखित में से कोई भी लक्षण महसूस कर रहा है तो वह कार्डियक अरेस्ट से गुजर रहा हो सकता है। हालाँकि, कई बार कार्डियक अरेस्ट के दौरान व्यक्ति को कोई संकेत या लक्षण अनुभव नहीं होते हैं। कार्डियक अरेस्ट के सामान्य लक्षणों में कुछ शामिल लक्षण निम्न हैं:
दिल का दौरा (हार्ट अटैक) और कार्डियक अरेस्ट दो अलग-अलग प्रकार के हृदय विकार हैं, भले ही इन दोनों को अक्सर समानार्थक रूप से उपयोग किया जाता है। धमनियों में रुकावट की वजह से हृदय के रक्त के प्रवाह में रुकावट आती है, जो हार्ट अटैक आने का कारण बनती है। ऑक्सीजन और रक्त के प्रवाह की कमी के कारण हृदय की मांसपेशियों के ऊतक खराब होने लग जाते हैं। क्योंकि दिल के दौरे दिल में विद्युत संकेतों पर असर डाल सकते हैं, दिल के दौरे कार्डियक अरेस्ट के जोखिम को और बढ़ा सकते हैं। यह अधिक संभावना है कि दिल का दौरा जब अचानक से होता है और व्यक्ति में पहले से कोई दिल की बीमारी नहीं होती है, तो कार्डियक अरेस्ट हो सकता है।
कार्डिएक अरेस्ट की स्थिति में, सबसे महत्वपूर्ण होता है कि आपातकालीन सेवाओं को तुरंत फ़ोन करना और मरीज़ को कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) देना होता है। कार्डिएक अरेस्ट एक चिकित्सा आपातक़ालीन स्थिति होती है जिसका अगर तुरंत उपचार ना किया जाये तो व्यक्ति की जान को भी ख़तरा हो सकता है। सीपीआर या कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन एक ऐसी तकनीक है जिसमें बचाव के लिए कृत्रिम साँस देने के साथ-साथ छाती को हाथों की सहायता से संकुचित किया जाता है। यह तकनीक फेफड़ों में आवश्यक ऑक्सीजन पहुंचाता है और ऑक्सीजन युक्त रक्त को शरीर में तब तक प्रसारित करता है जब तक कि श्वास और दिल की धड़कन सामान्य नहीं हो जाती। सीपीआर करने का तरीका सीखने से आप दूसरों की जान बचाने में मदद कर सकते है। एक चिकित्सा आपातकालीन टीम कार्डिएक अरेस्ट की स्थिति में अकेले कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) या इसके साथ डीफिब्रिलेशन का उपयोग कर सकती है। डिफिब्रिलेटर नामक उपकरण द्वारा डॉक्टर छाती की दीवार के माध्यम से बिजली के झटके को ह्रदय तक प्रसारित करता है, जिससे वेंट्रिकुलर फिब्रिलेशन की स्थिति में फ़ायदा मिलता है।
This blog is a Hindi version of an English-written Blog - Cardiac arrest: causes, signs and symptoms
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