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किडनी प्रत्यारोपण बनाम डायलिसिस

किडनी फेलियर, या किडनी की अंतिम चरण की बीमारी, एक गंभीर चिकित्सीय स्थिति होती है जिसके लिए तुरंत उपचार की ज़रूरत होती है। किडनी की अंतिम चरण की बीमारी (ईएसआरडी) के लिए डायलिसिस और किडनी प्रत्यारोपण दो मुख्य उपचार विकल्प हैं। हालांकि डायलिसिस ईएसआरडी के लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है, परंतु किडनी प्रत्यारोपण अनेक ईएसआरडी रोगियों के लिए पसंदीदा उपचार विकल्प होता है।

 

किडनी फेलियर, या अंतिम चरण की किडनी बीमारी (ईएसआरडी), एक गंभीर चिकित्सीय स्थिति होती है जो उस समय होती है जब किडनी रक्त से अपशिष्ट और अतिरिक्त तरल पदार्थ को अच्छी तरह से छानने में असमर्थ होती है। क्रोनिक किडनी रोग (सीकेडी), जो ईएसआरडी की अग्रगामी स्थिति है, की प्रसार दर लगभग 10-15% वयस्कों में रिकॉर्ड हुई है, और अनेक व्यक्ति जिन्हें सीकेडी समस्या होती हैं वे अधिकतर अपनी स्थिति से अनजान होते हैं।

 

किडनी बीमारी के बारे में कुछ डरावने तथ्य निम्नलिखित हैं:

  • डायबिटीज वाले 3 में से 1 व्यक्ति किडनी रोग से पीड़ित हो सकता है।
  • सीकेडी से पीड़ित मरीज़ों में 10 में से 9 वयस्क लोग इस स्थिति के बारे में अनजान होते हैं।
  • उच्च रक्तचाप वाले व्यक्तियों में से 5 में 1 व्यक्ति किडनी रोग से पीड़ित होता है।
  • यह स्थिति महिलाओं में (14%) पुरुषों (12%) की तुलना में कुछ ज्यादा सामान्य है।
  • सीकेडी से पीड़ित 38% वयस्क 65 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोग होते हैं।

 

सीकेडी के कई जोखिम कारक होते हैं, जिसमें डायबिटीज और उच्च रक्तचाप मुख्य होते हैं, जो ईएसआरडी के भी प्रमुख कारण सिद्ध हुए हैं। अन्य जोखिम कारकों में उम्र, मोटापा, धूम्रपान, और किडनी रोग का पारिवारिक इतिहास शामिल होते हैं। महिलाओं में पुरुषों की तुलना में सीकेडी विकसित होने की संभावना थोड़ी ज़्यादा होती है।

 

जब किसी व्यक्ति को अंतिम चरण की किडनी बीमारी (ईएसआरडी) होती है, तो दो मुख्य उपचार विकल्प होते हैं: डायलिसिस और किडनी प्रत्यारोपण। डायलिसिस एक चिकित्सा प्रक्रिया होती है जिसमें शरीर से विषाक्त और अतिरिक्त तरल पदार्थों को हटाने के लिए पेट से एक मशीन जोड़ी जाती है या एक विशेष विलयन का उपयोग किया जाता है। हेमोडायलिसिस प्रक्रिया के लिए रोगियों को प्रति सप्ताह तीन बार अस्पताल या डायलिसिस केंद्र जाना पड़ता है, जबकि पेरिटोनियल डायलिसिस घर पर भी किया जा सकता है। डायलिसिस मृत्यु दर को 15-20% तक कम करने में सक्षम हुआ है, लेकिन डायलिसिस वाले रोगियों की समायोजित मृत्यु दर अभी भी काफ़ी उच्च है, जो 160.8/1000 दर्ज हुई है।

 

किडनी प्रत्यारोपण में दानकर्ता से एक स्वस्थ किडनी को लेकर ईएसआरडी वाले रोगी के शरीर में ख़राब किडनी की जगह प्रत्यारोपित किया जाता है। किडनी प्रत्यारोपण को ईएसआरडी वाले रोगी के लिए चयनित उपचार माना जाता है और यह डायलिसिस की तुलना में कई लाभ देता है। डोनर किडनी प्रायः एक रिश्तेदार, परिवार के सदस्य, या एक ब्रेन-डेड रोगी से प्राप्त की जाती है, और एक स्वस्थ जीवन जीने के लिए सिर्फ एक किडनी भी पर्याप्त होती है।

 

किडनी प्रत्यारोपण के विभिन्न लाभों में से मुख्य डायलिसिस के मुकाबले बढ़ी हुई जीवन अवधि शामिल होती है। अनेक अध्ययनों के अनुसार डायलिसिस रोगियों की तुलना में किडनी प्रत्यारोपण प्राप्तकर्ताओं की दीर्घकालिक जीवित रहने की दर आमतौर पर ज़्यादा होती है। इसके साथ-साथ, किडनी प्रत्यारोपण रोगियों को कम खाद्य-संबंधी प्रतिबंध और बेहतर जीवन गुणवत्ता का भी लाभ प्रदान करता है, क्योंकि इसमें रोगी को हर हफ्ते कई घंटे तक मशीन से बंधा नहीं रहना पड़ता है। इसके अलावा, डायलिसिस की तुलना में किडनी प्रत्यारोपण की स्थिति में जटिलताओं का जोखिम आम तौर पर कम होता है।

 

इन सबके अतिरिक्त यह ध्यान रखना आवश्यक है कि किडनी प्रत्यारोपण बिना जोखिम के नहीं होता है। किडनी प्रत्यारोपण प्राप्तकर्ताओं को अपनी बाकी जिंदगी इम्यूनोसप्रेसिव दवाओं का सेवन करना होता है ताकि प्रत्यारोपित किडनी का अस्वीकृति की संभावना को रोका जा सके। इन दवाओं के कई दुष्प्रभाव हो सकते हैं, जैसे संक्रमण, उच्च रक्तचाप और मधुमेह का उच्च खतरा। इसके साथ ही, ट्रांसप्लांट के लिए उपलब्ध किडनी की कमी भी एक अतिरिक्त बाधा होती है, जिससे फलस्वरूप ईएसआरडी वाले सभी रोगियों को किडनी प्रत्यारोपण के लिए पात्र नहीं बनते हैं।

 

निष्कर्ष 

 

किडनी फेलियर, या अंतिम चरण की किडनी बीमारी (ईएसआरडी) एक गंभीर चिकित्सीय स्थिति होती है जिसके लिए शीघ्र उपचार की आवश्यकता होती है। डॉक्टर ईएसआरडी के लिए डायलिसिस और रीनल ट्रांसप्लांट दो मुख्य उपचार विकल्प सुझाते हैं। जबकि डायलिसिस ईएसआरडी के लक्षणों को नियंत्रित करने में सहायता करता है, फिर भी रीनल ट्रांसप्लांट कई रोगियों के लिए पसंदीदा उपचार विकल्प होता है। किडनी ट्रांसप्लांट डायलिसिस की तुलना में कई गुना लाभप्रद होता है, जिसमें अनुमानित जीवन-काल में वृद्धि, कम आहार प्रतिबंध, जीवन की बेहतर गुणवत्ता और जटिलताओं का कम जोखिम मुख्य होते हैं। हालाँकि किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी बिना जोखिम के नहीं होती है, और इसके लिए आजीवन इम्यूनोसप्रेसिव दवाओं का सेवन करना पड़ता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में अच्छी हॉस्पिटल सुविधाओं में किडनी ट्रांसप्लांट की सफलता दर 95% से अधिक देखी गई है। ईएसआरडी वाले रोगियों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे अपनी व्यक्तिगत आवश्यकताओं के आधार पर सर्वोत्तम उपचार विकल्प निर्धारित करने के लिए अपने डॉक्टर के साथ मिलकर काम करें।

 

This blog is a Hindi version of an English-written Blog - Kidney Transplant Vs Dialysis

Dr. Manish Jain
Renal Care
Meet The Doctor
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