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हीमोथोरेक्स (छाती की गुहा में रक्त): जानें क्या है यह स्थिति

हीमोथोरेक्स (छाती की गुहा में रक्त): जानें क्या है यह स्थिति

छाती की गुहा या कैविटी में रक्त का जमा होना एक गंभीर चिकित्सकीय स्थिति है, जिसे चिकित्सा भाषा में हीमोथोरेक्स कहते हैं। मेदांता गुरुग्राम के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. अरविंद कुमार इस स्थिति के बारे में विस्तार से बताते हैं, जिससे आम लोगों को इस गंभीर स्थिति को समझने में मदद मिल सकती है।

हीमोथोरेक्स क्या है?

डॉ. अरविंद कुमार के अनुसार, हीमोथोरेक्स शब्द दो हिस्सों से मिलकर बना है - 'हीमो' यानी रक्त और 'थोरेक्स' यानी छाती। इस प्रकार, हीमोथोरेक्स का अर्थ है छाती के अंदर रक्त का इकट्ठा होना।

छाती की गुहा की संरचना

हीमोथोरेक्स को समझने के लिए, छाती की गुहा की संरचना को समझना महत्वपूर्ण है। डॉ. कुमार बताते हैं कि:

  • छाती की बाहरी दीवार (चेस्ट वॉल) होती है

  • इसके अंदर एक झिल्ली होती है, जिसे पैरियटल प्लूरा कहते हैं

  • इसके अंदर फेफड़े होते हैं

  • फेफड़ों की सतह पर भी एक झिल्ली होती है, जिसे विसरल प्लूरा कहते हैं

  • इन दोनों झिल्लियों (प्लूरा) के बीच में एक पतली सी तरल पदार्थ की परत होती है

फेफड़े हर मिनट लगभग 12 से 16 बार फैलते और सिकुड़ते हैं, जिससे सांस लेने की प्रक्रिया चलती रहती है। इन दोनों प्लूरा के बीच का तरल पदार्थ इस मूवमेंट को सुचारू बनाता है। कभी-कभी किसी कारणवंश अगर रक्त आपके छाती में इक्कठा हो जाए तो इसे हीमोथोरेक्स कहते हैं।

हीमोथोरेक्स के कारण

डॉ. अरविंद कुमार हीमोथोरेक्स के मुख्य कारणों के बारे में बताते हैं:

1. दुर्घटनाएँ (सबसे आम कारण)

वर्तमान में देखे जा रहे सबसे आम कारणों में से एक है दुर्घटनाएँ, जिनमें:

  • पसलियों में फ्रैक्चर (टूटना) हो जाता है

  • टूटी हुई पसलियों के नुकीले किनारे पसलियों के बीच चलने वाली धमनियों (आर्टरीज) या फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकते हैं

  • इससे रक्तस्राव होता है और वह रक्त छाती की गुहा में इकट्ठा हो जाता है

2. चिकित्सकीय हस्तक्षेप

दूसरा कारण है चिकित्सकीय हस्तक्षेप (मेडिकल इंटरवेंशन):

  • जब छाती में किसी कारण से (जैसे पानी निकालने के लिए) सुई डाली जाती है या कोई अन्य प्रक्रिया की जाती है

  • इस प्रक्रिया के दौरान अगर कोई रक्त वाहिका (ब्लड वेसल) घायल हो जाए

  • इससे रक्तस्राव हो सकता है जिससे हीमोथोरेक्स हो सकता है

3. फेफड़ों की बीमारियाँ

तीसरा कारण फेफड़ों की बीमारियाँ हैं:

  • फेफड़ों में मौजूद सिस्ट, टीबी के घाव या अन्य रोगग्रस्त क्षेत्र

  • इनके फटने से रक्तस्राव हो सकता है

  • यह रक्त छाती की गुहा में जमा हो जाता है

हीमोथोरेक्स के परिणाम

डॉ. कुमार बताते हैं कि जब छाती में रक्त जमा होता है, तो:

  • फेफड़े सिकुड़ सकते हैं (कॉलेप्स)

  • जमा हुआ रक्त थक्के के रूप में जम सकता है, जिसे क्लॉटेड हीमोथोरेक्स कहते हैं

यह स्थिति गंभीर हो सकती है और तत्काल चिकित्सकीय ध्यान की आवश्यकता होती है।

हीमोथोरेक्स एक चिकित्सकीय आपातकाल है जिसके लिए तुरंत चिकित्सकीय सहायता लेनी चाहिए।

निष्कर्ष

हीमोथोरेक्स एक गंभीर स्थिति है जो विभिन्न कारणों से हो सकती है। डॉ. अरविंद कुमार के अनुसार, छाती में चोट, चिकित्सकीय प्रक्रियाओं के दौरान होने वाली दुर्घटनाएँ, और फेफड़ों की बीमारियाँ इसके प्रमुख कारण हैं। इस स्थिति की समझ आम जनता में बढ़ाना महत्वपूर्ण है, ताकि समय पर चिकित्सकीय सहायता ली जा सके।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

  1. हीमोथोरेक्स के प्रमुख लक्षण क्या हैं?

    हीमोथोरेक्स के प्रमुख लक्षणों में सांस लेने में कठिनाई, छाती में दर्द, तेज़ हृदय गति, कमजोरी और चक्कर आना शामिल हो सकते हैं। गंभीर मामलों में, सांस की तकलीफ और शॉक भी हो सकता है।

  2. क्या हीमोथोरेक्स जीवन के लिए खतरनाक है?

    हां, हीमोथोरेक्स जीवन के लिए खतरनाक हो सकता है, विशेष रूप से अगर रक्तस्राव तेज़ हो या बड़ी मात्रा में रक्त जमा हो जाए। यह फेफड़ों के सिकुड़ने और सांस लेने में गंभीर कठिनाई का कारण बन सकता है।

  3. हीमोथोरेक्स का निदान कैसे किया जाता है?

    हीमोथोरेक्स का निदान आमतौर पर छाती के एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड या सीटी स्कैन जैसे इमेजिंग टेस्ट के माध्यम से किया जाता है। कभी-कभी थोरेसेंटेसिस (छाती से तरल पदार्थ निकालने की प्रक्रिया) भी की जा सकती है।

  4. हीमोथोरेक्स का उपचार क्या है?

    हीमोथोरेक्स के उपचार में छाती से रक्त निकालना, रक्तस्राव के स्रोत को बंद करना, और समर्थित देखभाल शामिल है। छोटे हीमोथोरेक्स के लिए, छाती में एक ट्यूब डालकर रक्त निकाला जा सकता है, जबकि बड़े या जटिल मामलों में सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।

  5. क्या हीमोथोरेक्स को रोका जा सकता है?

    कुछ प्रकार के हीमोथोरेक्स को सुरक्षा उपायों द्वारा रोका जा सकता है, जैसे वाहन चलाते समय सीट बेल्ट का उपयोग करना, काम के दौरान उचित सुरक्षा उपकरण पहनना, और छाती के क्षेत्र में चोट से बचना। हालांकि, चिकित्सकीय प्रक्रियाओं या अंतर्निहित बीमारियों से होने वाले हीमोथोरेक्स को रोकना कठिन हो सकता है।

  6. क्या हीमोथोरेक्स के बाद पूरी तरह से ठीक हुआ जा सकता है?

    हां, अधिकांश मामलों में, उचित चिकित्सकीय उपचार के साथ हीमोथोरेक्स से पूरी तरह से ठीक हुआ जा सकता है। हालांकि, रिकवरी का समय चोट या अंतर्निहित स्थिति की गंभीरता पर निर्भर करता है।

  7. क्या हीमोथोरेक्स का इलाज न करने पर यह अपने आप ठीक हो सकता है?

    छोटे हीमोथोरेक्स कभी-कभी अपने आप अवशोषित हो सकते हैं, लेकिन यह बहुत जोखिम भरा है और चिकित्सकीय निगरानी की आवश्यकता होती है। बड़े या जटिल हीमोथोरेक्स के लिए, तत्काल चिकित्सकीय उपचार आवश्यक है।

  8. हीमोथोरेक्स और न्यूमोथोरेक्स में क्या अंतर है?

    हीमोथोरेक्स में छाती की गुहा में रक्त जमा होता है, जबकि न्यूमोथोरेक्स में हवा जमा होती है। दोनों स्थितियां फेफड़ों के सिकुड़ने का कारण बन सकती हैं और गंभीर हो सकती हैं।

  9. क्या हीमोथोरेक्स दोबारा हो सकता है?

    हां, अगर अंतर्निहित कारण को ठीक से संबोधित नहीं किया गया है, तो हीमोथोरेक्स दोबारा हो सकता है। इसलिए, मूल कारण का निदान और उपचार महत्वपूर्ण है।

  10. किन लोगों को हीमोथोरेक्स का अधिक खतरा होता है?

    हीमोथोरेक्स का खतरा उन लोगों में अधिक होता है जो:

    • खतरनाक व्यवसायों या खेलों में शामिल हैं

    • रक्त पतला करने वाली दवाएं लेते हैं

    • फेफड़ों की बीमारियों से पीड़ित हैं

    • पहले से छाती की सर्जरी या प्रक्रियाओं से गुज़रे हैं

    • वाहन दुर्घटनाओं या गिरने जैसी चोटों का अनुभव किया है

Dr. Arvind Kumar
Lung Transplant
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