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स्लीप पैरालिसिस: एक ऐसी गंभीर बिमारी जिसमें दिमाग और शरीर के बीच संतुलन नहीं रहता, दिमाग तो काम करता है पर शरीर “नहीं”

स्लीप पैरालिसिस: एक ऐसी गंभीर बिमारी जिसमें दिमाग और शरीर के बीच संतुलन नहीं रहता, दिमाग तो काम करता है पर शरीर नहीं

स्लीप पैरालिसिस एक ऐसी डरावनी और खतरनाक स्थित होती है जिसमें आदमी कुछ देर के लिए ऐसी अवस्था में चला जाता है जिसमें उसका दिमाग तो काम कर रहा होता है पर उसका शरीर साथ नहीं दे रहा होता, या आसान शब्दों में समझें तो इस स्थिति में व्यक्ति ना तो पूरी तरह से जगा हुआ होता है और न पूरी तरह से नींद में सोया हुआ। इस दौरान इंसान चाहे कितना भी कोशिश क्यों न कर ले पर वो चाह कर भी किसी को मदद के लिए बुला नहीं सकता क्यों कि इस स्थिति में उसके शरीर के दिमाग का तो हिस्सा जाग्रत रहता है पर शरीर पूरी तरह से शून्य की स्थिति में बना रहता है। इस अवस्था में इंसान अपना दिमाग जाग्रत होने के कारण सब कुछ समझ पाता है, यहां तक कि उसके साथ जो भी घटनाक्रम हो रहा है उसे वो महसूस कर पाता है पर किसी से भी अपना अनुभव साझा नहीं कर पाता, वो किसी को भी अपनी समस्या समाप्त करने के लिए बोल नहीं पाता उसका सारा प्रयास निरर्थक हो जाता है। 

 

बिमारी का वजह

  • स्लीप पैरालिसिस बहुंत ही गंभीर बिमारी है क्यों कि इस बिमारी का मुख्य जड़ ही मानव का मस्तिष्क है और मानसिक स्थिति की दृष्टी से अगर देखा जाए तो यदि किसी भी प्रकार की समाजिक और आर्थिक रूप से ब्यक्ति को परेशानी है तो वह अपने दिमाग पर आवश्यकता से अधिक लोड डाल देता है जिस कारण स्लीप पैरालिसिस जैसी गंभीर बिमारी की गिरफ्त में आ जाता है। और आजकल की भागदौड़ भरी जीवन शैली में ये समस्य़ा से बचने के लिए आदमी को योगा और प्राणायाम के अलावा कुछ देर एकांत में ध्यान जरूर लगाना चाहिए जिससे वो अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण रख सके, मन को शांत रख सके।
  • जब से टेक्निकली संसाधन का इस्तेमाल दैनिक जीवन में होने लगा है इंसान की दिनचर्या प्रभावित होने लगी है। बड़े बुजुर्गों एक सीख देते थे कि जल्दी सोये और जल्दी उठें यानी सूर्यास्त के पश्चात जल्दी सोएं और सुर्योदय से पहले उठें पर आज की जीवन शैली ये असंभव सा लगता है क्योंकि इंसान आज कर के टेक्निकल जमाने में बगैर स्मार्ट फोन के वो कुछ पल के लिए भी दूर नहीं रह सकता और ऐसी स्थिति में उसकी दिनचर्या ही पूरी विपरीत हो गई है। आज कल इंसान रात में देर तक जगना और सुबह देर उठना की आदत के चलते अपनी जीवनशैली को प्रभावित कर रहा है कभी जल्दी कहीं किसी काम से जाना हो तो वो जल्दी तो उठेगा पर देर तक जागने के चलते उसकी नींद कभी कभी पूरी नहीं हो पाती यहां तक कि देर तक उठने के कारण वो व्यायाम और योगा के लिए भी समय नहीं निकाल पाता और अगर निकालता भी है तो उसका क्या फायदा क्यों कि ये विज्ञान भी कहता है जितनी शुद्ध और आक्सीजन युक्त हवा सुबह मिलती है फिर वो पूरे दिन नहीं मिलती और व्यक्ति इन्ही कारणों के चलते अवसादग्रस्त रहता है जिससे स्लीप पैरालिसिस जैसी गंभीर बिमारी का उसे सामना करना पड़ सकता है।

 

  • स्लीप पैरालिसिस की समस्या नशे करने वाले व्यक्तियों में देखी गयी है खासकर कोकीन का नशा करने वाले लोगों में स्लीप पैरालिसिस होने की संभावना और अधिक तेज हो जाती है।

 

स्लीप पैरालिसिस से किन किन तरह की दिक्कतें आती हैं ?

 

  1. स्लीप पैरालिसिस में इंसान का दिमाग तो काम करता है पर शरीर चाह कर भी काम नहीं करता व्यक्ति ये भी समझ रहा होता है कि उसका शरीर काम नहीं कर रहा और वो इसके लिए पूरी कोशिश भी करता है यहां तक की वो किसी से मदद मांगने की भी कोशिश करता है पर पूरी तरह नाकाम रहता है। वो चाहे जितनी भी कोशिश कर ले पर चाहकर भी उसका शरीर साथ नहीं देता अंत में हारकर छटपटाकर ही इंसान रह जाता है वो भी दिमागी स्तर तक ही।

 

  1. स्लीप पैरालिसिस के समय कुछ लोगों में अजीब सी आवाज भी आने की समस्याएं रहती है जैसे एक अजीब सी आवाज तो आती है और उसके बाद आदमी चाहकर भी शरीर हिला नहीं सकता। हालांकि ऐसी समस्या को एंग्जाइटी नाम दिया जाता है।

 

  1. स्लीप पैरालिसिस में आदमी को एक अजीब सी चीज होने जैसा आभास होता है उसे अजीब अजीब सी आवाजें सुनाई देती हैं जिससे घबराना स्वाभाविक सी बात है पर वो चाहकर भी कुछ नहीं कर सकता और इस स्थिति को हैलुशिनेशन्स कहते हैं।

 

  1. ये स्थिति और भी खतरनाक तब होती है जब स्लीप पैरालिसिस में हेलुसिनेशन और एंजाइटी एक साथ प्रभावी हो जाता है तब आदमी पूरी तरह मरणासन्न हो जाता है और सिर्फ उसका दिमाग ही कार्य कर रहा होता है। ऐसी स्थिति को कैप्टापैल्सी कहते हैं।

 

स्लीप पैरालिसिस की समस्या कब कब होती है ?

 

  1. स्लीप पैरालिसिस की समस्या एक दिमागी बिमारी है और जब आदमी मेंटली प्रेशर में होता है तभी ये इस बिमारी को बुलावा मिलता है हालांकि ये बिमारी तीन स्थितियों में उत्पन्न होती है पहली जब आदमी सोने की कोशिश करता है तो उसी दरम्यान नींद के शुरुआती चरण में ही स्लीप पैरालिसिस की समस्या उत्पन्न हो सकती है, वहीं दूसरी स्थिति तब बनती है जब व्यक्ति गहरी नींद में होता है और फिर अचानक से वो जग जाता है और घबराहट में उसे स्लीप पैरालिसिस हो जाता है वहीं तीसरी स्थिति में तब स्लीप पैरालिसिस होती है जब आदमी अत्यधिक काम करने से थक जाता है और अचानक उसे झपकी आ जाती है।

 

आंकड़ों के हिसाब से स्लीप पैरालिसिस की स्थिति

 

 

  • स्लीप पैरालिसिस जैसी बिमारी आम तौर पर नौजवान युवाओं में देखी जाती है। कुछ अध्ययनों से पता चला है कि लगभग 25 से 44 साल के बीच के लोगों में जिनमें पुरुष महिला दोनों को स्लीप पैरालिसिस जैसी समस्या देखी गई है। ये बिमारी ऐसी है लगभग 6 % आबादी इससे पीड़ित है हालांकि एक या दो बार इस तरह की समस्याएं लगभग सभी के साथ हो चुकी है और वो भी बहुत ही छोटी अवधी के लिए।

 

इलाज

 

स्लीप पैरालिसिस कितनी गंभीर बिमारी है ये तो आप समझ ही गए होंगे। अगर आप भी इस बिमारी से ग्रसित हैं तो आपको इससे घबराने की जरूरत नहीं इसका इलाज भी संभव है, पहले आप एक्सपर्ट से मिले उसके बाद उचित इलाज लें। हालांकि आपको किसी भी अंधविश्वास में पड़ने की जरूरत नहीं। स्लीप पैरालिसिस नींद के दौरान ही होती है और ये एक मानसिक रोग जो इंसान को अंदर से डरा कर रख देती है इसलिए घबराने की जरूरत नहीं आपको कुछ बातों पर ध्यान की आवश्यकता है जिससे ये बिमारी समय के साध जड़ से खत्म हो जाएगी-

 

  • आपको सोने से पहले एकदम रिलैक्स होना पड़ेगा इसके लिए आप थोड़ी देर ध्यान भी लगा सकते हैं किसी भी प्रकार की आर्थिक और सामाजिक परेशानी को सोने से पहले ना सोचें क्यों कि फिर आपके नींद पर फर्क पड़ेगा और इससे नुकसान सिर्फ आपको ही होगा।

 

  • आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में आपको शरीर के साथ साथ मेंटल हेल्थ पर भी ध्यान देना होगा जिसके लिए आप योग, प्राणायाम और ध्यान के माध्यम एक बेहतर जीवन ब्यतीत कर सकते हैं।

 

नोट- स्लीप पैरालिसिस एक गंभीर बिमारी है पर इससे डरने की जरूरत नहीं अगर आप अपने दिमाग को स्वस्थ रखते हैं तो आप इस बिमारी पर लगभग लगभग कंट्रोल कर पाएंगे हालांकि ये बिमारी जेनेटिक भी होती है अगर आपके परिवार में ये बिमारी पहले से किसी को है तो ये बिमारी नई पीढ़ी को भी होगी पर फिर भी आप ऊपर दिए गए बिंदुओ पर अगर ध्यान दें तो स्लीप पैरालिसिस पर कुछ हद तक लगाम लगाया जा सकता है अगर फिर भी ये बिमारी ठीक नहीं होती तो आप किसी अच्छें चिकित्सक ले इलाज करा सकते हैं एक सफल इलाज ही इस गंभीर बिमारी को जड़ से खत्म कर सकता है।

Dr. Anup Kumar Thacker
Neurosciences
Meet The Doctor
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